इनका क्या कसूर-अफसर बताएं कहां जाएं,
मेरठ/परीक्षाएं सिर पर हैं, लेकिन पढ़ाने वाले भारी भरकम फीस लेकर कोचिंग सेंटर पर ताला डालकर रातों रात गायब हो गए। तन पेट काटकर कोचिंग सेंटरों पर फीस के नाम पर मोटी रकम जमा करने वाले अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। वो चाहते हैं कि FIT-JEE कोचिंग के संचालक बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हे सलाखों के पीछे भेजा जाए, लेकिन सीधी कार्रवाई के बजाए लीपापोती नजर आ रही है। अफसर जांच-जांच खेल रहे हैं। जो बच्चे FIT-JEE कोचिंग की मार्फत पढ़ाई कर रहे थे, उनकी परीक्षाएं सिर पर हैं। लेकिन करीब एक पखवाडे पहले FIT-JEE कोचिंग संचालक रातों रात ताला डालकर गायब हो गए। इन कोचिंग से जो पढ़ाई कर रहे थे उन्हें जब पता चला कि रातों रात FIT-JEE कोचिंग के संचालक गायब हो गए तो उनके होश उड़ गए। जो भी मोबाइल नंबर उनके पास थे वो बंद जा रहे थे। नाम न छापे जाने की शर्त पर कुछ स्टूडेंट ने इस संवाददाता को बताया कि सेंटर पर वैसे तो कोई मिलता नहीं, यदि सेंटर से कनेक्शन रखने वाला कोई कहीं टकरा जाता है तो वो आकाश इंस्टीट्यूट जाने की सलाह देता है। मतलब साफ है कि पहले भारी भरकम फीस एफआईआईटी-जेईई कोचिंग के संचालकों को दी अब यदि परीक्षा की तैयारी करनी है तो आकाश इंस्टीट्यूट में दोबारा फीस जमा कराएं। बच्चों का कहना कि किस मुंह से अभिभावकों को जाकर कहें कि अब आकाश इंस्टीट्यूट में फीस जमा करा दें।
पहले ही बता दिया था भागने वाले हैं
भाजपा नेता अंकित चौधरी ने FIT-JEE कोचिंग सरीखे कोचिंग सेंटरों के गोरखधंधे का पर्दाफाश करने का काम किया था। उन्होंने इसको लेकर प्रशासन के आला अधिकारियों को 48 घंटे पहले बता दिया था कि FIT-JEE कोचिंग के संचालक रातों रात भागने वाले हैं, लेकिन अफसरों के स्तर से पूरी लापरवाही बरती गयी। भाजपा नेता समेत तमाम अभिभावकों ने जिला प्रशासन को 23 जनवरी को एफआईआईटी-जेईई सरीखे कोचिंगों को लेकर आगाह किया था। भाजपा नेता अंकित चौधरी ने बताया कि उन्होंने प्रशासन के अफसरों को बता दिया था कि ये कभी भी भाग सकते हैं उनकी आश्ांका सही साबित हुई, लेकिन उनकी चेतावनी को अफसरों ने गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा सबके सामने हैं। हजारों बच्चों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है और इसके लिए कोचिंग सेंटर संचालकों से ज्यादा प्रशासन के अफसर कसूरवार हैं। संचालकों को तो यहां से भागना था यह सब पहले से जानते थे, लेकिन हैरानी तो इस बात कि है कि आगाह किए जाने के बाद भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। वहीं दूसरी ओर सिटी मजिस्ट्रेट से मिलकर लौटे कुछ छात्रों ने बताया कि अधिकारी सीधी कार्रवाई के बजाए केवल जांच की बात कह रहे हैं। हजारों बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीरता नजर नहीं आ रही है।