जहां तोड़ने के लिए लगाए थे निशान वहीं करा दिए अवैध निर्माण

kabir Sharma
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मेरठ। दिल्ली देहरादून बाईपास के एनएच-58 हाइवे पर ग्रीन बैल्ट में बना दिए गए होटल ढावों का लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की फटकार व सख्ती के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण ने करीब तीन साल पहले ध्वस्तीकरण के लिए जहां लाल निशान यानि डिमार्केशन किया था, प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसरों से हाथ मिलाकर होटल ढावा मालिकों ने उसी स्थान और भी ज्यादा अवैध निर्माण करा लिए हैं। प्राधिकरण के नावगत वीसी यदि अपने मातहतों से हाइवे के अवैध होटल ढावों की फाइल तलब कर लें तो अफसरों की बड़ी कारगुजारी बेपर्दा हो जाएगी। एनजीटी के सख्त आदेश तो मेरठ बाईपास से ग्रीन बैल्ट पर बनाए गए होटलों की ध्वस्तीकरण के आदेश थे। इसको लेकर प्राधिकरण की ओर से बाकायदा वहां हलफनामा भी दाखिल किया गया था, इस हलफनामे के बाद अभियान चलाकर तमाम होटल ढावों पर क्रॉस का लाल निशान लगाया गया था। हाइवे पर ज्यादातर होटल ढावे ऐसे हैं जो पूरी तरह से ग्रीन बैल्ट पर बना दिए गए हैं। इन सभी को ध्ववस्तीकरण के लिए वहां लाल निशान लगाए गए थे। लाल निशान लाने के बाद बजाए कार्रवाई के प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसरों की छत्रछाया में जहां जहां लाल निशान लगाकर ध्वस्तीकरण की चेतावनी दी गयी थी, उन हिस्सों में ही अवैध निर्माण करा दिए गए हैं। हाइवे पर ऐसे होटल ढावों की बड़ी संख्या है जो ग्रीन बैल्ट में बना दिए गए हैं। इन्हीं सबको लेकर एनजीटी ने प्राधिकरण प्रशासन को फटकार लगायी थी।

ग्रीन बैल्ट में बनावाए गए किसी भी ढावो होटल पर ना तो प्राधिकरण से स्वीकृत मानचित्र है और ना ही उनके पास फायर एनओसी है। हाइवे ऐसे होटल ढावों में आए दिन आग की घटना होती है। हाइवे स्थित जिस होटल में दो बार आग लगने की वारदात हो चुकी है वो भी पूरी तरह से अवैध है। बाईपास स्थित जिन होटल ढावों को ध्वस्त किए जाने के आदेश पूर्व में किए गए हैं उनमें यह होटल भी शामिल है जहां आग की घटना हुई ह, लेकिन बजाए ध्वस्त किए जाने के प्राधिकरण के अफसरों की मिलीभगत के चलते उसमें चार बड़े हाल और साठ कमरों का अवैध रूप निर्माण कर लिया गया है। प्राधिकरण के नवागत वीसी चाहें तो मौके पर पहुंच कर इसका भौतिक सत्यापन भी कर सकते हैं। इसका ही नहीं पूरे हाइवे पर जितने भी अवैध होटल ढावो जिन पर कार्रवाई की जानी थी वहां करा दिए गए अवैध निर्माणों को लेकर भी इस जोन के जेई और जोनल अधिकारी की कारगुजारी उनके सामने आ जाएगी। जितने बड़े स्तर पर हाइवे की ग्रीन बैल्ट में अवैध होटल ढावों का निर्माण करा दिया गया है उससे तो यही लगता है कि प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसरों को ना तो अपनी नौकरी की चिंता है और न ही एनजीटी की कार्रवाई का खौफ उन्हें रह गया है।

बाईपास स्थित जिस अवैध होटल में भयंकर आग का हादसा हुआ है। इस होटल में पहले भी इस प्रकार का अग्निकांड हो चुका है। उसके बाद भी ना तो प्राधिकरण और ना ही फायर विभाग के अफसरों को इस अवैध होटल पर कार्रवाई की फुर्सत है। प्राधिकरण और पुलिस फायर विभाग के अफसरों का जो रवैया नजर आ रहा है उससे तो यही लगता है कि यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है। जब इस होटल में कई लोग मारे नहीं जाएंगे तब तक अधिकारी नींद में रही रहेंगे। होटल अवैध रूप से बनाया गया है। आग सरीखे हादसों से बचाव के इस अवैध होटल में कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं, इतना कुछ हो रहा है और सिस्टम नींद में है। एनजीटी के कार्रवाई के आदेशों को पूरी तरह से रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है। क्या वजह है जो क्रॉस का लाल निशान लगाए जाने के बाद भी हाइवे के अवैध होटल को ध्वस्तीकरण नहीं किया जा रहा है। क्या काली कमाई के लालच में प्राधिकरण के उच्च पदसथ अफसर भी आंखों पर पट्टी बांधे हैं जो उन्हें जोनल अफसर व जेई की कारगुजारियां नजर नहीं आ रही हैं। हरियाली का चीर हरण किया जा रहा है और उच्च पदस्थ चुप बैठे तमाश भर देख रहे हैं। ग्रीन बैल्ट में होटल ढावे बनवाने वाले प्राधिकरण के अफसरों व इन अवैध होटल ढावों पर वीसी कब कार्रवाई करेगे पूछता है जनमानस। यहां यह भी बता दें कि पूर्व में तत्कालीन वीसी ने दावा किया था कि हाइवे पर ग्रीन बैल्ट में बनवा दिए गए होटल ढावों को ध्वस्त कर ग्रीन बैल्ट को मुक्त कराया जाएगा। इसके लिए उन्होंने तमाम अवैध होटल ढावों की सूची भी तलब की थी, तब माना जा रहा था कि अवैध होटल ढावों पर कार्रवाई की जाएगी लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी। प्राधिकरण में जो भी वीसी आए वो ग्रीन बैल्ट को अवैध हाेटल ढावों से मुक्त कराने की बात तो करते रहे, लेकिन किसी ने भी कार्रवाई का साहस नहीं दिखाया, इसी के चलते आशंका व्यक्त की जा रह है कि नवागत वीसी क्या ग्रीन बैल्टक को मुक्त कराने का साहस दिखाएंगे या फिर भ्रष्टाचार के चलते जो सड़ा गल सिस्टम प्राधिकरण के जोनल व जेई ने बनाया हुआ है उसको आगे बढ़ाने का काम करेंगे। एनजीटी के आदेशों पर किसी प्रकार का कोई अमल नहीं किया जाएगा।

अवैध निर्माण पर कार्रवाई की मांग

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