मेरठ। शहर का दिल कहे जाने वाले बेगमपुल चौराहा जहां बने कंट्रोल रूम में अक्सर पुलिस प्रशासन के आला अफसर आकर बैठते हैं। इस कंट्रोल रूम में बैठने वाले अफसर महज दस कदम की दूरी को यदि नाप लें तो उन्हें अपने ही चिराग तले अंधेरा नजर आएगा। बेगमपुल पुलिस चौकी से महज दस कदम की दूरी वीरबाला पथ स्थित है। बेगमपुल के कंट्रोल रूम में बैठने वाले अफसर महजद दस कदम चलें तो उन्हें पता चले कि क्यों चिराग तले अंधेरा कहा जा रहा है।
पुलिस अफसरों का हाल चिराग तले अंधेरा सरीखा, बेगमपुल से महज दस कदम की दूरी पर जाकर झांके
आबूनाले से सटे बेगमपुल से छावनी चांट बाजार काठ का पुल की ओर जाने वाले इस रास्ते की हालात कितनी खराब बना दी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुले आसमान के नीचे रहने वाले खानाबदोशों ने वीरबाला पथ पर झोपड़ीनुमा अपने घर आबाद कर लिए हैं। बेगमपुल पुलिस चौकी पर यदि खड़े यदि नजर डाली जाए तो वीरबाला पथ की बदहाली आसानी से नजर आ जाएगी। बेगमपुल से वीरबाला पथ होकर काठ के पुल वाले रास्ते पर सरकारी जगह पर सड़के एक ओर चाय नाश्ते के स्टाल लगाए हुए हैं तो दूसरी ओर नाले के किनारे अवैध कब्जा कर मिट्टी के बर्तन बेचने वालों ने वहां टट्टर डालकर अपना पक्का कब्जा कर लिया है। नाले की पटरी को यूं तो शासन के कब्जा मुक्त कराए जाने के आदेश हैं, लेकिन लगता है कि वीरबाला पथ पर आकर शासन के नाले की पटरी कब्जा मुक्त कराने के आदेश दम तोड़ देते हैं। इससे थोड़ा आगे चलेंगे तो अवैध टैंपो स्टैंड यहां नजर आएगा। करीब पचास टैंपो/आटो यहां हर वक्त नजर आएंगे। कुछ आगे चलने पर राजा साहब के बंगले के नाम से मशहूर पुराने बंगले में जिसमें गाड़ियों के गैराज खुले हुए हैं, इनके यहां मरम्मत होने के लिए आने वाली गाड़ियां बजाए गैराज के वीरबाला पथ पर खड़ी कर मरम्मत की जाती हैं। छावनी चांट बाजार पुल तक जितने भी यहां गैराज हैं उन सभी में आने वाले गाड़ियां बजाए गैराज के भीतर सही होने के वीरबाला पथ पर खड़ी कर उनमें काम किया जाता है। कई बार इतनी बुरी दशा होती है कि वहां से गाड़ी तो दूर की बात है बाइक व स्कूटी से भी निकला दुश्वार हो जाता है। इसके अलावा बेगमपुल से जब वीरबाला पथ की ओर मुड़ते हैं तो कौने पर फल फ्रूट वालों का कब्जा नजर आ जाएगा। रही सही कसर कौने पर ही खड़े होने वाले ठेले वाले पूरी कर देते हैं। इतना ही नहीं इस मोड़ पर आटो वालों का कब्जा रहता है। हालात इतने ज्यादा खराब हैं कि लोगों ने अब इस रास्ते से निकला ही बंद कर दिया है।
इसके अलावा बेगमपुल कंट्रोल रूम के बराबर में आबूनाले के पुल तक पर भी दोनों साइडों में अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। पुल के ऊपर ही जहां दीवार है वहां पर ताले चाबी व दूसरा सामान बेचने वालों का कब्जा है। लेकिन यह बात अलग है कि ये किसी को भी दिखाई नहीं देते। यहां गुजरने वाले लोगों को होने वाली परेशानी भी किसी को दिखाई नहीं देती। यह दशा तो तब है जब बेगमपुल चौराहे को गोद लिया हुआ है।
कब तक रहेंगे अफसरों की गोद में चौराहे
जाम को लेकर मेरठ से लेकर लखनऊ तक आलाेचना व सीएम योगी की सख्त हिदायतों के बाद शहर के बेगमपुल समेत दस प्रमुख चौराहों को मेरठ पुलिस ने गोद लिया हुआ है। विगत अप्रैल माह में एसएसपी डा. विपिन ताडा ने शहर के चौराहों को जाम मुक्त कराने के नामपर अधिकारियों को इन चौराहों की जिम्मेदारी सौंपी थी। जाम की मुसीबत के लिए सबसे ज्यादा बदनाम बेगमपुल चौराहे की जिम्मेदारी एसपी सिटी को सौंपी गयी। इनके अलावा के शहर के तेजगढी चौराहे पर भी आवाजाही में लोगों को दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है, यहां एसपी क्राइम अवनीश कुमार को तेजगढ़ी चौराहे को जाम के झाम से मुक्ति की जिम्मेदारी एसएसपी ने दी है। सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले शहर के हापुड़ अड्डा चौराहे को खुद एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा ने गोद लिया है। बिजली बंबा चौराहे की जिम्मेदारी सीओ क्राइम नवीना शुक्ला को दी है, कंकरखेड़ा बाईपास चौराहा को सीओ दौराला प्रकाश चंद को दी गई है, भारी ट्रैफिक जहां से गुजरता है माल रोड से सटे टैंक चौराहे की सीओ कैंट संतोष कुमार संभालने का कहा गया। इसके अलावा शहर का भीड़ व पुरानी आबादी वाले इलाके का रेलवे रोड़ चौराहे की जिम्मेदारी सीओ कोतवाली आशुतोष कुमार संभाल रहे हैं। यह बात अलग है कि यहां अक्सर पीक आवर में जाम लगता है शहर के फुटबाल चौक पर काफी जाम रहता है इसकी जिम्मेदारी यहां सीओ ब्रह्मपुरी अंतरिक्ष जैन दी गई है। शहर के प्रमुख चौराहों को गोद दिए जाने के साथ ही यह निर्देश दिए कि शाम को साढ़े 5 बजे से साढ़े 6 बजे तक चौराहों पर ट्रैफिक का हाल जानें व वहां पर्याप्त व्यवस्था करें ताकि लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कोई समस्या न हो. निश्चित समय अवधि के अतिरिक्त वहां यातायात सामान्य ढंग से रहें । इसके लिए गोद लेने वाले अफसर को अपने ढंक से चौराहों पर व्यवस्था बनाने काे कहा गया है।
एसपी ट्रैफिक को भी नजर नहीं आया वीरबाला पथ
दो दिन पहले बेगमपुल पर अवैध कब्जे हटाने के नाम पर अभियान चलाया गया था। इसमें नगर निगम के अमले के अलावा एसपी ट्रैफिक व मेरा शहर मेरी पहले वाले भी मौजूद थे। घंटे बेगमपुल पर पूरा अमला जमा रहा। चलो यह मान लिया जाए कि वीरबाला पथ नगर निगम के अधिकारी क्षेत्र में नहीं कैंट बोर्ड प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस यानि जहां खुद एसपी टैफ्रिक मौजूद हों उनके लिए तो कोई क्राइटेरिया नहीं है। उनके अधिकार क्षेत्र में तो कहीं भी यदि कोई यातायात में बाधक बन रहा है उसको हटाने की तमाम शक्तियां व अधिकार नितित हैं, लेकिन उनकी भी नजर वीरबाला पथ पर किए गए अवैध कब्जों पर नहीं गयी।
बड़ा सवाल कौन करेगा कार्रवाई
वीरबाला पथ की बदहाली का तो बखान जनवाणी ने कर दिया है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि वीरबाला पथ पर किए गए अवैध कब्जों से मुक्त कौन कराएगा। और कब तक इसकी मुक्ति संभव हो सकेगी। यह जिम्मेदारी कैंट बोर्ड के अफसर संभालेंगे या फिर ट्रैफिक पुलिस का अमला इस रास्ते को ऑल क्लीयर करेंगा या फिर इस बात का इंतजार किया जाए कि बेगमपुल के कंट्रोल रूम में बैठने वाले अफसरों की इस पर नजर पड़ेगी उसके बाद वीरबाला पथ की सुध ली जाएगी।
के लिए ठेकेदार को कहा गया है।
कैंट बोर्ड ने बेगमपुल की तरफ सड़क से हटाया ठेले वालों का अतिक्रमण
बेगमपुल चौराहे पर जाम का कारण बन रहे लालकुर्ती पैंठ बाजार के अतिक्रमण को हटाने के लिए कैंट बोर्ड की टीम गुरुवार दोपहर पहुंची। राजस्व अधीक्षक राजेश जान के नेतृत्व में पहले मुनादी कर ठेले वालों को हटने के लिए कहा गया। इसके बाद कुछ ठेले वालों का सामान जब्त करने की कार्रवाई की गई। लालकुर्ती पैंठ बाजार में कैंट बोर्ड ने मुनादी कराई कि सड़क पर दुकानें लगाना बंद करें। आने-जाने का रास्ता छोड़े। सड़क पर ठेले या दुकान लगाकर अतिक्रमण करने पर सामान जब्त किया जाएगा। कैंट बोर्ड सीईओ जाकिर हुसैन ने कहा कि पहले दिन दुकानदारों के बीच मुनादी कराई गई है। कुछ ठेले वालों को हटाया गया। दो-तीन दिन बाद फिर टीम भेजी जाएगी।
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