क्यों भावुक हो गए मंच पर चंद्रशेखर

kabir Sharma
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नई दिल्ली। हिन्दी बैल्ट दलित चेहरे के रूप में तेजी से राजनीतिक क्षितिज पर उभरे सांसद चंद्रेशेखर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन खचाखच भरे मंच और जिंदाबाद के नारों के दौरान मंच पर खड़े चंद्रशेखर अचानक क्यों भावुक हो गए। ऐसा क्या हुआ जो उनकी आंखें उस भीड़ को देखकर नम हो गयीं। दरअसल नगीना सांसद चंद्रशेखर मवाना में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, वहां उम्मीद से ज्यादा भीड़ जमा हुई थी। उस भीड़ को देखकर उनके मुंह से निकल भीड़ देखकर भावुक हुए और अपने खून का आखिरी कतरा समाज के लिए देने की बात कही। उनके यह अल्फाज उनकी उस वक्त जो मन में चल रहा था वो बताने के लिए काफी हैं, लेकिन यह भी बात सही है कि यह बात सभी की समझ में आने वाली नहीं।

सांसद चंद्रशेखर मवाना में रैली कर राजनीतिक दलों खासतौर से सत्ताधारी भाजपा के उन नेताओं की नींद उड़ा गए हैं जो मवाना विधानसभा में राजनीति या तो कर रहे हैं या संभावना तलाश रहे हैं। केवल मवाना ही नहीं चंद्रशेखर की रैली में आयी भीड़ ने कई विधानसभा के मिजाज की झलक दिखा दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के लोकसभा में डा. अंबेडकर को लेकर जिसमें उन्होंने कहा था कि जितना नाम अंबेडकर का लेते हो इतना भगवान का लेते तो शायद मिल जाते। इसके बाद पूरी भाजपा खुद अंबेडकर वादी साबित करने पर तुल गयी। यह कोई लोकल लेबल पर ही बल्कि नेशनल लेबल पर चलाया गया भाजपा अभियान है। दरअसल जो कुछ सदन में उस दिन हुआ था उसके निहितार्थ पहले भाजपा के चुनावी मैनेजर भांप गए थे। इस बात का उल्लेख यहां इसलिए भी किया गया है क्योंकि मवाना में इस वक्त हिन्दी बैल्ट में जिस तरह से सांसद चंद्रशेखर जिस तरह पोस्टबॉय बन गए हैं साल 2027 के चुनावों के चश्मे से देखें तो वो भाजपा के लिए विधानसभा की कई सीटों पर नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है लेकिन शर्त है कि दलितों के साथ मुसलमान भी खड़े हों।

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