मेरठ/ जून का महीना और बदले हुए मौसम में डिमांड पर असर के बाद भी बिजली की अघोषित कटौती से मुक्ति के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बिजली कटौती के चलते दस-दस घंटे चलने वाले जैनरेटरों का भी लगा बैठ गया है। जैनरेटरों की वजह से एक तो वायु प्रदूषण और दूसरा जो सबसे ज्यादा मुसीबत व मुश्किल भरा होता है वो है ध्वनी प्रदूषण। रात को जब जैनरेटर चलेगा तो कैसे चैन की नींद कोई सो सकता है। जैनरेटर की वजह से अपनी ही नहीं पूरे मोहल्ले की नींद खराब होती है।
बीती 21 मई को आए आंधी तूफान के बाद बेपटरी हुई बिजली आपूर्ति के 23 दिन बाद भी पटरी पर नहीं आ सकी है। यह हाल तो तब है जब मौसम में नमी के चलते बिजली की डिमांड पर असर पड़ है। आमतौर पर जून के महीने बिजली की जितनी मांग हुआ करती थी उतनी नहीं है। मौसम के मेहरबान और बिजली की मांग में कमी के बाद भी अघोषित बिजली कटौती ने सपा शासनकाल की याद ताजा कर दी है। अघोषित कटौती की यदि बात करें तो एक घंटे सप्लाई देने के बाद करीब दो घंटे का कट कर दिया जाता है। पिछले कई दिनों से ऐसा ही हो रहा है। किस वजह से और क्यों चौबीस घंटे में महज 14 घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जा रही है इसका उत्तर किसी के पास नहीं है। पीवीवीएनएल के आल अधिकारियों से यदि बात करें तो बताया जाता है कि लाइनों पर काम चल रहा है।
लाइनों पर काम के सहारे कब तक
अघोषित बिजली कटौती को लेकर जब-जब सवाल किया जाता है, तब तक एक ही उत्तर होता है कि लाइनों पर काम चल रहा है या पीछे से शटडाउन लिया गया है। 21 मई को आए आंधी तूफान के आज करीब 23 दिन बीत चुके हैं। लेकिन लाइनों पर काम आड़ में अंधाधुंध बिजली कटौती की जा रही है। यह हालत तो तब है जब रेवेन्यू लगभग शत प्रतिशत हो रहा है, ऐसा भी नहीं है कि रेवेन्यू का प्रतिशत घट रहा हो। रेवेन्यू को लेकर पीवीवीएनएल के अफसर भी मान रहे हैं कि रेवेन्यू रिकबरी की स्थिति ठीकठाक है, यदि रेवेन्यू की स्थिति ठीक तो फिर बिजली कटौती किस वजह से की जा रही है इसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
जैनरेटर बना रहा लोगों को बहरा
अघोषित बिजली कटौती और जैनरेटर पर निर्भरता से लोगों पर तिहरी मार पड़ रही है। तमाम जैनरेटर डीजल चालित हैं। कभी हुआ करता था जब पेट्रोल और डीजल के दामों में दोगुने का फर्क हुआ करता था, लेकिन महंगाई ने इस फांसले के बेहद करीब ला दिया है। महंगा डीजल भी देखा जाए सबसे बुरी और बड़ी मुसीबत तो रात के वक्त होती है, जब अचानक बिजली लंबे वक्त के लिए गुल कर दी जाती है और ना चाहते हुए भी जैनरेटर चलाना पड़ जात है। जैनरेटर चलेगा तो अपनी नींद तो खराब होगी ही साथ ही पड़ौसियों की जब नींद खराब होगी तो वो भी कोसेंगे ही। इसके अलावा तीसरा यह कि जैनरेटर चलेगा तो ध्वनी प्रदूषण भी होगा। चिकित्सकों का कहना है कि ध्वनी प्रदूषण माससिक रोगों की जननी है। तमाम ऐसे रोग है खासतौर से मानसिक रोगों की यदि बात करें तो वो ध्वनी प्रदूषण से होते हैं। इसका सबूत मनोरोगी चिकित्सकों के यहां तेजी से बढ़ती मरीजों की भीड़ है। हालांकि जैनरेटर के अलावा भी ध्वनी प्रदूषण के तमाम कारण हैं, लेकिन रात के वक्त नींद में खलल का बड़ा कारण जैनरेटर होता है। जिसको किसी भी तरह से उचित नहीं माना जा सकता। हालांकि अब साइलेंट मोड वाले भी जैनरेटर आ रहे हैं, लेकिन वो इतने महंगे होते हैं कि हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता, फिर ऐसी नौबत ही क्यों आए कि रात को जैनरेटर की जरूरत पडेÞ। मांग के अनुरूप बिजली आपूर्ति की जानी चाहिए और अब तो वैसे ही मौसम की मेहरबानी के चलते पहले से डिमांड पर काफी असर है।
सपा शासन की याद ताजा
अघोषित बिजली कटौती ने सपा शासन की याद को ताजा कर दिया है। सपा सरकार में चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति का खूब दावा किया जाता था लेकिन बामुश्किल 12 से 14 घंटे ही बिजली आपूर्ति हुआ करती थी। तब हालात इतने ज्यादा खराब हुआ करते थे कि बिजली कटौती से नाराज लोग सड़कों पर उतर आते थे। बिजलीघरों व अफसरों को घेराव किया करते थे। यदि बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं किया गया तो लगता है कि सपा शासन काल की तर्ज पर एक बार फिर बिजली की अघोषित कटौती से बेहाल लोगों के मजबूरन सड़कों पर ही उतरना होगा। एक और चीज अब तो गांव देहात में भी मीटर लगा दिए हैं। सपा शासन में यह कह दिया जाता था कि खेतों की सिंचाई के लिए गांवों को अधिक सप्लाई दी जा रही है, लेकिन अब तो ऐसा कुछ भी नहीं है। किसानों को तमाम नलकूपों पर मीटर लगे हैं। फिर किस कारण से अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। इस संबंध में एससी प्रशांत कुमार का कहना है कि लाइनों पर काम चल रहा है। आंधी तूफान के चलते लाइनें काफी डेमेज हो गयी है। शीघ्र ही आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। कई बार स्थानीय कारणों से शट डाउन लिया जाता है।
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