सेंट्रल मार्केट-अफसरों पर चुप्पी क्यों
मेरठ/सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुपालन के नाम पर सेंट्रल मार्केट का अवैध निर्माण ध्वस्त करने की बात तो शासन प्रशासन के अफसर कर रहे हैं, लेकिनअवैध निर्माणों के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की बात पर पूरे सिस्टम को सांप सूंघ गया है। सेंट्रल मार्केट के अवैध निर्माण को जमीदोज करने के आदेश के साथ ही सुप्रीमकोर्ट का यह भी आदेश है कि इस सारे फसाद की जोड़ जो अफसर हैं, मसलन जिनके कार्यकाल में ये अवैध निर्माण हुए उनके कृत्य को अपराध माना जाए। कानूनी कार्रवाई के अतिरिक्त राज्य सरकार ऐसे अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाए। सेंट्रल मार्केट के अवैध निर्माणों पर सुप्रीमकोर्ट के जिम्मेदार अवासा विकास अफसरों पर कार्रवाई की कोई भी बात करने को तैयार नहीं है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश पालन करने के नाम पर बात केवल सेंट्रल मार्केट के अवैध निर्माण ध्वस्त करने की की जा रही है। सेंट्रल मार्केट ध्वस्त करने की बात करने वाले सिस्टम को चलाने वाले अफसर आवास विकास अफसरों पर कार्रवाई के सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों भूले बैठे हैं।
यह है पूरा मामला
साल 1984 को आवास विकास परिषद की योजना संख्या 7 में 311 मीटर का आवासीय प्लाट संख्या 661/6 आवंटित हुआ था। यह दो रास्तों का प्लाट था। करीब दो साल बाद यानि 1986 में आवासीय प्लाट पर आगे की तरफ दुकानें बना दी गर्इं और साल 2012 में इस प्लाट के पीछे वाले हिस्से में किशोर वाधवा, विनोद अरोरा आदि ने कांप्लैक्स का काम शुरू करा दिया। व्यापारियों का कहना है कि सेट्रल मार्केट पर आफत की शुरूआत यहीं से हुई। अवैध निर्माण के ध्वस्त करने के लिए आवास विकास परिषद से अधिकारी आए। उनके साथ मारपीट कर दी गई। मारपीट करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गयी। साल 2014 में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 661/6 को गिराए जाने के आदेश जारी कर दिए। जिसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट से फरियाद की। 17 दिसंबर को सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट की डबल बैंच के 2014 के आदेशों पर मोहर लगा दी। मामला सुप्रीमकोर्ट ले जाने का बड़ा नुकसान यह हुआ कि 661/6 तो ध्वस्त होगी ही, इसकी वजह से बाकि 499 व्यापारियों जिन्होंने आवासीय प्लाट पर दुकानें बना दी हैं उन्हें भी बुलडोज किए जाने के आदेश किए गए हैं। अपने आदेश में कोर्ट ने अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अफसरों पर भी कार्रवाई की बात कही है।
कोर्ट खुलने का इंतजार
सेंट्रल मार्केट बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सतीश कुमार व सह संयोजक विजय गांधी और अट्टू का कहना है कि 5 जनवरी के कोर्ट के खुलने के बाद ही कोई रास्ता निकलने की उम्मीद जतायी जा रही है। जो आफत आयी है उससे निजात का रास्ता भी सुप्रीमकोर्ट से ही निकलेगा। विजय गांधी का कहना है कि जिन्हें अवैध निर्माण करा दिया है वो कोई एक रात में नहीं बन गए। सालों में ये तमाम निर्माण हुए हैं। तब क्या अफसर सोए हुए थे, इसलिए कार्रवाई हो तो अफसरों पर भी होनी चाहिए।