सदर जैन समाज को हिसाब रखेंगे या इस्तीफा,
मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती में अनंत चौदस से पहले निकाली जाने वाली शोभायात्रा से पहले जो कुछ हुआ वो सब सदर के जैन समाज के जहन में है। शोभायात्रा से पहले कथित रूप् से उपजे विवाद को शांत करने के नाम पर जो कुछ किया गया और पुराने मामले के पटाक्षेप के नाम पर दो दिन के भीतर सब कुछ समाज के सामने लाने का वादा पंचों की ओर से किया गया था, समाज उसी को लेकर पूछ रहा है कि और कितना इंतजार कराओगे। मंदिर किसी की बपौती नहीं संपूर्ण सदर जैन समाज का है यह सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर। समाज के लोगों का दो टू कहना है कि कोई भी मंदिरजी को बपौती समझने की गलती ना करे, क्योंकि मंदिर में जो कुछ पूर्व के कुछ पदाधिकारियों ने अब तक किया है सदर जैन समाज अब वो सब नहीं चलने देगा। समाज के तमाम लोगों ने पूरजोर तरीके से सवाल किया है कि शोभायात्रा की पूर्व संध्या पर जिन पंचों ने मृदुल जैन से जिस हिसाब को लेकर समाज के सामने रखने की बात कही थी, वो हिसाब कब सामने रखा जाएगा। समाज के कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि शोभायात्रा से पहले जो कुछ मंदिरजी की कमेटी के नाम हुआ और जिन्हें पंच बनाया गया था उन्होंने जो वादा समाज के समक्ष किया था, उसके बाद कुछ भी कहने सुनने की गुंजाइश नहीं रह जानी चाहिए थी। बेहतर तो यही होता कि समस्त जैन समाज को एकत्र कर या फिर किसी भी सार्वजनिक स्थान वैसे मंदिरजी से बेहतर तो कोई दूसरा स्थान संभव नहीं, यदि वहां पर जो कुछ पंचों ने हिसाब किताब बताने का वादा किया था, उसको किसी पर्चे पर लिखकर भी बता सकते थे।
एक किलो सोना-एक करोड़ नकद
उस वक्त यह बात सामने आयी थी कि मृदुल जैन ने एक किलो सोना व एक करोड़ नकद मंदिर का देने का वादा किया था। समाज का पंचों से यही सवाल है कि यदि एक करोड़ व एक किलो सोना मंदिरजी का मिल गया है तो उससे समाज का अवगत करा दिया जाए। यहां जोर देकर कहना होगा कि जिस सोने की बात की जा रही है वह केवल एक करोड़ तक सीमित नहीं है। जैन समाज का बड़ा चेहरा व समाजसेवी ऋषभ एकाडेमी के सचिव का साफ कहना है कि सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर का करीब सौ किलो सोने का हिसाब चाहिए। इसको लेकर एक पत्र डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां दिया गया है। लेकिन यहां बात फिलहाल पंचों की कर ली जाती है जिनकी ओर से कहा गया था कि एक किलो सोना और एक करोड़ की रकम देने का वादा किया गया है। यह मिलते ही सदर जैन समाज के समक्ष हिसाब प्रस्तुत दिया जाएगा।
पंचाें पर विश्वास ना करें तो क्या करें
सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर को लेकर समाज के जिन लोगों में चिंता है उनका सवाल है कि समाज शोभयात्रा की पूर्व संध्या पर पंचों जिनमें प्रेम मामा, पवन विधानाचार्य, जितेन्द्र पंप वाले, अनिल बूरा व अनिल चांदी उर्फ बंटी सरीखे समाज के वरिष्ठ लोग शामिल हैं उन्होंने दो दिन मेंं समाज के सामने सब कुछ रखे जाने की बात कही थी। क्या समाज को इनका विश्वास नहीं करना चाहिए था। विश्वास किया तभी तो श्रीजी की भव्य सवारी निकाली गई। यें पंच ना होते थे भी सवारी तो भव्य ही निकाली जानी थी क्योंकि समाज किसी का मोहताज नहीं। शोभायात्रा की परंपरा तो दशकों से है इसको कोई रोक नहीं सकता। लेकिन सवाल दूसरा है उस हिसाब का क्या हुआ जिसको लेकर आत्मदाह की बात कहीं जा रही थीं। वॉटसअप ग्रुपाें पर महासंग्राम छेड़े जा रहे थे और पंचाें ने शोभायात्रा के दो दिन बात जिसको समाज के सामने लाना का वादा किया था। या फिर समाज यह मान ले कि पंच भी नहीं चाहते कि सच्चाई समाज के सामने आए या फिर यह मान लिया जाए कि जिस एक किलो सोना व एक करोड़ मंदिर जी के देने की बात कही गई थी वह भी वादा पूरा नहीं किया गया। समाज का साफ कहना है कि चीजें स्पष्ट होनी चाहिए। क्योंकि समाज से बड़ा कोई नहीं ना समाज से बढ़कर कोई है। यदि वादा पूरा नहीं कर सकते तो समाज के सामने पंच बनने का दम क्यों भरा था। तब हाथ क्यों नहीं खड़े कर दिए गए । समाज से जो वादा किया है वो तो पूरा करना होगा यदि वादा पूरा नहीं कर सकते तो फिर कह दीजिए हम पंच नहीं। सारा निर्णय समाज पर सौंपते हैं। समाज को जो ठीक लगे करे। वैसे समाज की बात करें तो समाज चाहता है कि पहले रिसीवर नियुक्त हो और फिर मंदिर जी की कमेटी के चुनाव कराए जाए इसके अलावा कोई दूसरा तरीका नहीं जिससे गबड़ियां ठीक की जा सकें। अब देखना यह है कि पंच हिसाब देते हैं या फिर इस्तीफा…
कमेटी की बात चुनाव की क्यों नहीं
यहां एक बात का उल्लेख किया जाना बेहद जरूरी है वो यह कि जब शाेभायात्र की पूर्व संध्या से पहले पंच सामने आए तो तब यह भी कहा गया था कि हिसाब समाज के सामने रखने के बाद 11 लोगों की कमेटी बना दी जाएगी। सवाल उठ रहा है कि शोभायात्रा निकाली जानी थी, पंच बना दिए। पंचों ने कहा कि एक करोड़ व एक किलो सोना मिल जाएगा। उसके बाद कहा गया कि 11 लोगों की कमेटी बना दी जाएगी जो मंदिर का काम देखेंगी। समाज का इस बात पर सख्त एतराज है। समाज पूछ रहा है कि भाई कालातीत पड़ी कमेटी के होने ना होने से क्या फर्क पड़ता। यदि 11 लोगों की कमेटी ही बनायी है तो चुनाव कराकर बनाएं। ताकि सभी चीजें ठीक हो। किसी को उंगली उठाने का मौका ही ना मिले। इसके लिए प्रशासन से द्वारा डिप्टी रजिस्ट्रार से व्यवस्थाएं करायी जा सकती हैं। सदस्यों की सूची डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां प्रस्तुत की जाए। और सबसे पहला काम तो यह कि मंदिर में प्रशासन से कहकर चुनाव संपन्न होने तक रिसीवर की नियुक्ति करायी जाए। रिसीवर की देखरेख में चुनाव कराए जाए ताकि समाज का भी विश्वास उस पर बना रहे। पंचों का 11 लोगों की कमेटी बनाने की बात करना तो सीधे-सीधे डिप्टी रजिस्ट्रार के द्वारा कराए जा सकने वाले चुनावों से भागना भर है। यदि ऐसा वाकई है तो इसके तो यही निहितार्थ निकाले जाएंगे की हमाम में सभी नंगे हैं।