ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा..

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ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा..,

हॉस्पिटल जा रहे हैं जरा ठहरिये.. ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
आग हादसों को लेकर मेडिकल, जिला अस्पताल और डफरिन तक हैं अनसेफ
कहीं अग्निशमन उपकरण नहीं तो कहीं रखरखाव के अभाव में पूरी तरह पडेÞ हैं खराब
जनवाणी संवाददाता, मेरठ
मेडिकल, जिला अस्पताल व डफरिन समेत महानगर के तमाम हॉस्पिटल जिनमें कुछ हाईप्रोफाइल आग हादसों को परले दर्ज की हद तक लापरवाह बने हुए हैं। कुछ हॉस्पिटलों में या तो आग बुझाने के यंत्र ही नहीं है या फिर कुछ में अग्निशमन यंत्र तो हैं लेकिन यदि आग लग जाए तो वो आग पर काबू पाने में कोई मदद नहीं करेंगे। क्योंकि मैनटिनेंस व माकूल रखवाव ना होने के चलते ये बेकार पडेÞ हैं। किसी काम के नहीं रहे हैं। झांसी में दस नवजात की मौत की घटना नहीं है, उम्मीद की जा रही थी कि झांसी के हादसे के बाद नींद टूटेगी, लेकिन सीडीओ की निरीक्षण से साबित हो गया है कि किसी की ना तो नींद टूटी है और न ही आग हॉदसों को लेकर किसी प्रकार की जागरूकता नजर आती है। एलएलआरएम मेडिकल, पीएल शर्मा डिस्ट्रीक हॉस्पिटल और उससे सटा डफरिन हॉस्पिटल सभी में सरकारी हॉस्पिटल का सिस्टम संभालने वाले गंभीर लापरवाही या कहें वहां भर्ती मरीजों के जीवन से खिलवाड़ पर उतरे हुए हैं।
एलएलआरएम मेडिकल की स्थित इस मामले में बद से बदत्तर है। करीब पांच साल पहले आग जैसे हादसों से निपटने के लिए अपना सिस्टम तैयार कराने के नाम पर अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाना था। उसकी खुदाई तो करायी गयी, लेकिन उसमें पानी कभी नहीं भरा गया। मेडिकल के सुपर स्पेशियलटी ब्लॉक जिसको लाल बिल्डिंग भी कहा जाता है। उसमें फायर फाइटर सिस्टम तो बनाया गया है, लेकिन अस्पताल चलाने वाले मेडिनेंस करना भूले बैठे हैं। यहां जीरो मेंटीनेंस है। कमोवेश डफरिन का भी ऐसा ही हाल है। वहां फायर फाइटिंग सिस्टम रखरखाव के आभाव में पूरी तरह से डेमेज हो चुका है। यदि आग सरीखा हादसा हो जाए तो यहां मौजूद सिस्टम के बूते उस पर काबू नहीं पाया जा सकेगा। यही स्थिति प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल की भी है।
यह है स्थिति
शहर में पांच सौ से ज्यादा हॉस्पिटल हैं। इनमें से करीब 350 आईएमए में रजिस्टर्ड हैं। अग्निशमन में 306 की लिखा पढ़ी है। इनमें से भी महज 243 ने फायर एनओसी ली है। 63 हॉस्पिटल संचालकों ने फायर एनओसी की जरूरत नहीं समझी। हालांकि चीफ फायर आॅफिसर कार्यालय से लगातार नोटिस जारी किए जाते हैं, यह बात अलग है कि 63 उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

एलएलआरएम मेडिकल के प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बताया कि यह काम पूर्व में यूपी सिड को सौंपा गया था। बीच में वह कंपनी किसी कारण से चली गयी। उसके बाद यूपीपीसएल को कार्य सौंपा गया। उसने एस्टीमेंट बनाकर दिया। उसको शासन ने अधिक बताया। दोबारा कंपनी एस्टीमेंट बनाकर दिया है, बीते करीब पौने दो साल से उस पर सरकार की अनुशांसा का इंतजार है।
आईएमए अध्यक्ष डा. सुमित उपाध्याय ने बताया कि झांसी की घटना के बाद सुरक्षा उपायों पर चर्चा के लिए सोमवार को सीएमओ के साथ मिटिंग की गयी है। सभी नर्सिंगहोम संचालकों से अग्नि शमन यंत्र अपडेट रखने को पत्र भेजा गया है। आईएमए बिल्डिंग पूरी तरह से फायर सेफ्टी का पालन करती है।
सीएफओ संतोष राय ने बताया कि फायर सेफ्टी को लेकर गंभीरता से काम किया जा रहा है। 63 नर्सिंगहोम संचालकों को नोटिस भेजा गया है। आईएमए के पदाधिकारियों से भी चर्चा की गयी है।

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