लैटर-महामहिम राष्ट्रपति

आबूलेन बंगला नंबर-172 सीईओ साहब! रोक सको तो रोक लो
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लैटर-महामहिम राष्ट्रपति,

सेवा में

परम आदरणीय श्रीमती द्रोपदी मुर्मु जी राष्ट्रपति

राष्ट्रपित भवन-नई दिल्ली

 

विषय: देश की एतिहासित व प्राचीन मेरठ छावनी में सेना की अरबों रुपए कीमत की संपत्ति पर भूमाफियाओं के कब्जे व अवैध निर्माण की जांच के आग्रह के संबंध में

 

महोदया,

 

मेरठ छावनी देश की प्राचीन एवं बड़ी छावनियों में शुमार की जाती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10 मई सन 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ मेरठ छावनी से हुआ था। देश की स्वतंत्रता से पूर्व व स्वतंत्रता के उपरांत मेरठ छावनी स्थित सैन्य यूनिटों के अदम्य साहस की सैकड़ों कहानियां मौजूद हैं। लेकिन देख का विषय है कि मेरठ छावनी में सेना की अरबों रुपए कीमत के ओल्ड ग्रांट के बंगले तथा ऐसे बंगले जिनकी लीज की अवधि पूरी हो चुकी है। उन बंगलों को बजाए रिज्यूम करने के मेरठ छावनी स्थित रक्षा संपदा अधिकारी तथा छावनी परिषद के अधिशासी अधिकारी के स्तर से जो कार्रवाई की जानी चाहिए वह न करके इन बंगलों पर भूमाफियाओं के अवैध कब्जों को लेकर  मेरठ छावनी के रक्षा संपदा अधिकारी व अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद मेरठ  व उनके आधीन कार्य करने वाले कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की भूमिका की जांच कराया जाना मेरठ छावनी स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है। इस बात की जांच कराया जाना बेहद जरूरी है कि ओल्ड ग्रांट के जिन बंगलों पर अवैध रूप से भूमाफिया काविज हो गए हैं। वहां अवैध कामर्शियल कांप्लैक्स बना लिए गए हैं। जिन बंगलों की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है, वहां  रक्षा संपदा अधिकारी व अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद कार्यालय द्वारा सेना के हित में कब्जे की कार्रवाई क्यों नहीं की गयी है। मेरठ छावनी की सुरक्षा के मददे नजर ऐसे बंगलों की सूची मेरठ छावनी के रक्षा संपदा अधिकारी व अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद से मांग कर उसकी जांच कराई जा सकती है, साथ ही यह भी कि मेरठ छावनी में ऐसे कितने बंगले मौजूद हैं, जिनको रिज्मूम किया जाना चाहिए जो रिज्यूम की श्रेणी में आते हैं या जिन बंगलों के कानूनी मालिकों ने रक्षा मंत्रालय व राष्ट्रपति भवन को बाकायदा पत्र लिखकर स्वेच्छा से सैन्य हित को देखते हुए सरेंडर कर दिया है। मेरठ छावनी बीआई लाइन स्थित बंगला नंबर 45 इसी श्रेणी में आता है। लेकिन इस बंगले को बजाए रिज्यूम करने के वहां रक्षा संपदा अधिकारी व छावनी परिषद मेरठ के अधिशासी अधिकारी कार्यालय की लापरवाही के चलते एक भूमाफिया अनिल जैन ने अवैध निर्माण कर लिया है। इसको सैन्य सुरक्षा के मददेनजर गंभीर माना जाना चाहिए। इसी प्रकार मेरठ के आबूलेन स्थित बंगला नंबर 182 में एक अन्य भूमाफिया जय प्रकाश अग्रवाल  लगातार अवैध निर्माण करते आ रहे हैं। भूमाफिया जय प्रकाश अग्रवाल ने आबूलेन स्थित बंगला-182 में जय प्लाजा के नाम से अवैध कांप्लैक्स बना लिया है। इस बंगले में हरे पेड़ तक काट डाले हैं। वर्तमान भी वहां अवैध निर्माण जारी है। लेकिन मेरठ छावनी के अधिशासी अधिकारी के स्तर से अवैध निर्माण के खिलाफ बजाए ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई के बजाए केवल लीपापोती भर की जा रही है। जिससे भूमाफिया के हौसले बुलंद हैं। मेरठ छावनी ऐसे तमाम प्ररकणों से भरी पड़ी है। इनमें बाउंड्री रोड स्थति बंगला 22बी। इसमें हाईकोर्ट की रोक व मनाही तथा सील लगी होने के बावजूद अवैध निर्माण कर अवैध होटल बनवा दिया गया। इसमें अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद मेरठ कार्यालय की भूमिका की जांच कराया जाना जरूरी है। इसी प्रकार के सरकुलर रोड  स्थित ओल्ड ग्रांट के एक अन्य बंगले में व्हाइट हाउस के नाम से अवैध होटल बन गया। इस मामले में भी अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद कार्यालय की जांच जरूरी है। वेस्ट एंड रोड पर बंगला नंबर 210-ए में भूमाफिया जय प्रकाश अग्रवाल ने सब डिविजन आफ साइट तथा चेंज ऑफ परपज जैसे कैंट एक्ट में गंभीर अपराध की श्रेणी में आने वाले कृत्य कर वहां फ्लैट बनाकर बेच दिए हैं। धन शाकुंतलम के नाम से सब डिविजन ऑफ साइट करते हुए एक और अवैध निर्माण कर कोठी बना ली है। नियमानुसार इनका ध्वस्त किया जाना सैन्य सुरक्षा की दृष्टी से भी जरूरी है।

परम आदरणीय राष्ट्रपति जी से आग्रह है कि मेरठ छावनी की सैन्य सुरक्षा के मद्दे नजर उक्त तमाम मामलों की रक्षा मंत्रालय के स्तर व देखरेख में जांच कराया जाना अति आवश्यक है।

 

भवदीय

शेखर शर्मा

पुत्र केके शर्मा

निवासी-जीएफ-19-अंसल कोर्टयार्ड कंकरखेड़ा बाईपास

मेरठ उत्तर प्रदेश

संपर्क सूत्र- मोबाइल नंबर-9997539259

 


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