गरीब चुका रहे कीमत

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गरीब चुका रहे कीमत, मेरठ विकास प्राधिकरण की कारगुजारी की कीमत मेरठ के 12 सौ आवास विहिन पात्र गरीब चुकाने को मजबूर हैं। करीब दो साल पहले पात्रता की सभी जांचों में पूरी तरह से खरे उतरे 12 सौ आवासविहिन को इस लिए मकान नहीं मिल सका क्योंकि सरकार की ओर से योजना के क्रियान्वयन का काम एमडीए को सौंपा गया था। एमडीए की इस कारगुजारी को ठीक करने का बीड़ा अब जनता की आवाज बन चुके राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने उठाया है। देश के उच्च सदन में डा. वाजपेयी उन गरीबों की आवाज बने हैं जो आज भी अपने मकान का इंतजार कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि   मेरठ में प्रधानमंत्री आवास योजना के 12 सौ पात्रों को यदि सब कुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही उनके अपने घर का सपना पूरा होने जा रहा है। उनकी व्यथा को समझते हुए राज्यसभा सदस्य व प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने गुरूवार को इस संबंध में सरकार का ध्यान सदन के माध्यम से दिलाया है। सदन के माध्यम से सरकार को बताया कि मेरठ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र लाभार्थियों की संख्या 12 सौ है और पूर्व की विभिन्न योजनाओं में अधूरे पड़े आवास की संख्या 2193 है। वर्तमान में सभी पात्र 12 लाभार्थियों को आवास मिलने के उपरांत भी 993 आवास अन्य पात्रों को नए पंजीकरण खोलकर दिए जा सकते हैं। बीएसयूपी योजना में साल 2008-09 गरीबों को 744 मकान बनाने हेतु डाबका/ दायमपुर में निशुल्क जमीन दी गयी थी। इस योजना की लागत लगभग 19 करोड़ 14 लाख 96 हजार थी। योजना की अवधि तीन साल थी, लेकिन आज भी 497 मकान अधूरे हैं। यह दुख का विषय है। इसी प्रकार काशीराम योजना में साल 2008-013 में मेरठ विकास प्राधिकरण को 32 करोड़ राशि मिली थी। प्राधिकरण को परतापुर, बराल व काशी में 952 मकान बनकार आवासहीनों को देने थे, जो आज भी अधूरे पड़े हैं। बीएसयूपी योजना में अधूरे पड़े मकानों को पूरा करने के लिए छह करोड़ व काशीराम योजना में अधूरे पड़े मकानों को पूरा करने के लिए चालिस करोड़ की आवश्यकता है। विडंबना यह है कि आवासहीनों के प्रार्थना पत्रों की जांच को भी दो साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन 12 सौ आवासहीन आज भी अपनी छत का इंतजार कर रहे हैं। काशीराम योजना बंद हो चुकी है, उसके लिए धनराशि नहीं मिल सकती। उस मद में 32 करोड़ लग चुके हैं जो व्यर्थ गए हैं। इसी प्रकार समाजवादी आवास योजना भी बंद हो चुकी है, उस मद में भी लगी धनराशि बर्बाद हो चुकी है। इन अधूरे पड़े 2193 अधूरे भवनों को प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल करने को 46 करोड़ तथा आधारभूत ढांचे को विकसित करने को 15 करोड़ अवमुक्त किए जाएं ताकि 12 सौ पात्रों को मकान मिल सके। शेष 993 पंजीकरण खोलकर आवंटित किए जाएं। इससे गरीबों को मकान देने की परिकल्पना सकार हाे सकेगी।


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