बसपा के पूर्व मंत्री के लिए नए साल की शुरूआत झटके के साथ हुई। उनको करीब 31 करोड़ का झटका पहले दिन लगाहै। बसपा सरकार में मंत्री रहे मीट कारोबारी याकूब कुरैशी और उनके परिजनों व कर्मचारियों के नाम खरीदी गई 31 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत पुलिस जब्त कर ली है। याकूब कुरैशी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं। इस मामले में याकूब कुरैशी के अलावा उनकी पत्नी संजीदा बेगम उर्फ समजीदा बेगम, पुत्र इमरान कुरैशी व फिरोज उर्फ भूरा के अलावा उनके कर्मचारी मोहित त्यागी निवासी के-ब्लॉक शास्त्री नगर, फैजाब निवासी घोसीपुर थाना खरखौदा.मुजीब निवासी नरहेड़ा थाना खरखौदा भी आरोपी हैं। इन सभी के खिलाफ कई थानों में विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। ये संपत्ति की गई कुर्क
1. माई सिटी हास्पिटल भवन संख्या-72 मौहल्ला भवानी नगर वार्ड नंबर-73 नौचंदी मेरठ। (भूखंड क्षेत्रफल-1500)
2. इंद्रप्रस्थ एजूकेशनल एंड कलचरल सोसायटी 35 शिवाजी रोड सेक्टर-7 शास्त्रीनगर मेरठ। (भूखंड क्षेत्रफल-3265.35 वर्ग मीटर)
3. मैसर्स अल फहीम मीटैक्स प्राईवेट लिमिटेड ढिलौला मेरठ फैक्ट्री। भूखंड संख्या-32 सेक्टर-10 शास्त्रीनगर योजना संख्या-07 (भूखंड क्षेत्रफल-288 वर्ग मीटर)
4. इमरान कुरेशी के नाम संपत्ति, सराय बहलीम स्थित मकान, भूखंड संख्या-101ए/10 सेक्टर-10 शास्त्रीनगर योजना संख्या-7 (भूखंड क्षेत्रफल-213.60 वर्ग मीटर)
5. हाजी याकूब कुरैशी की पुत्री 13 वर्षीय अलीशा के नाम संपत्ति, भूखंड संख्या-34/10 सेक्टर-10 शास्त्रीनगर योजना संख्या-7 (भूखंड क्षेत्रफल-288 वर्ग मीटर)।
कुर्क की गई गाड़ी
1-वाहन संख्या- यूपी 15सीयू-0005, वाहन स्वामी- अलफहीम मीटैक्स, वाहन-इनोवा क्रिस्टा
2-वाहन संख्या-यूपी-15सीडब्लू-7771, वाहन स्वामी- याकूब कुरैशी, वाहन- स्कार्पियो
का मोस्ट वांटेड इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो एक बार फिर सोशल मीडिया पर एक्टिव है। बदन सिंह बद्दो के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट शेयर की गई है। पोस्ट में इस बार बद्दो ने लिखा है कि जीवा की हत्या में उसका नाम फंसाया गया है। आगे बद्दो ने लिखा कि मेरा नाम अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या में भी फांस देते। बता दें कि यूपी का ये इनामी कुख्यात लगातार सोशल मीडिया पर..पांच लाख रुपये के इनामी मोस्ट वांटेड बदन सिंह बद्दाे ने रविवार को इंस्टाग्राम पर पोस्ट अपलोड करके एक बार फिर यूपी के पूर्व डीजीपी पर निशाना साधा है। बद्दो ने पोस्ट में लिखा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉन फिट्जगेराल्ड कैनेडी उर्फ जैक की हत्या का 60 साल बाद भी खुलासा नहीं हुआ है। अगर यूपी के पूर्व डीजीपी और एसआईटी को ये जांच दी जाती तो वे इसमें मेरी साजिश बता देते। बद्दो ने पोस्ट के जरिए पूर्व डीजीपी पर टिप्पणी की है।टीपीनगर के बेरीपुरा निवासी बदन सिंह बद्दो आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। पूर्वांचल की जेल से 28 मार्च 2019 को वह गाजियाबाद कोर्ट में पेशी पर आया था। पुलिसकर्मियों से साठगांठ कर वह मेरठ में दिल्ली रोड स्थित होटल में शराब पार्टी करने के बाद फरार हो गया था। इसके बाद से उसकी लोकेशन इंस्टाग्राम आदि की पोस्ट के जरिए विदेश में आ रही है। बद्दो की 10 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को पुलिस जब्त कर चुकी है।बद्दो कई बार पूर्व डीजीपी बृजलाल के खिलाफ इंस्टाग्राम पर पोस्ट अपलोड कर चुका है। उसकी लोकेशन हर बार अलग-अलग आती है। पिछली बार बद्दो ने तीन जुलाई को पूर्व डीजीपी के खिलाफ इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी, जब उसकी लोकेशन फ्रांस की आई थी। इसके बाद बद्दो पर शासन की ओर से इनामी राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी।
लखनऊ पुलिस ने कुछ महीने पहले बदन सिंह बद्दो को संजीव जीवा की हत्या में साजिश रचने का आरोपी बनाया है। पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि बदन सिंह बद्दो ने नेपाल में 50 लाख रुपये सुपारी देकर जीवा की हत्या कराई थी। इस आरोप के बाद बद्दो ने 23 सितंबर को अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट अपलोड की थी। रविवार को फिर पोस्ट करके बद्दाे ने यूपी पुलिस को चुनौती दी है।पोस्ट में कमेंट करते हुए लिखा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉन फिट्जगेराल्ड कैनेडी उर्फ जैक की 22 नवंबर 1963 को गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या को ली हार्वे ओसवाल्ड ने अंजाम दिया।
जेल जाने के कुछ घंटे बाद ही ली हार्वे ओसवाल्ड की भी जैक रूबी नाम के आदमी ने हत्या कर दी थी। हत्या के 60 साल बाद भी पता नहीं चला कि कैनेडी की हत्या किसने कराई थी। दुनिया की सारी बड़ी एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक हत्या माना तो कुछ ने कहा कि ये माफिया ने कराई। कुछ लोग कहते हैं कि दुश्मन देशों ने मिलकर ये हत्या कराई।….
IIT-BHU की छात्रा से गैंगरेप की घटना के विरोध में समाजवादी पार्टी की महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने मेरठ कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा। महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष मृदुला यादव ने कहा कि प्रदेश की स्थिति भयावह है। भाजपा शासन में महिलाएं असुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की कुछ दिनों पहले बीएचयू.
वह अग्रिम जमानत का प्रयास कर रहे थे और दिल्ली में छिपे थे। इससे पहले उनको गिरफतार कर लिया। रात में ही पुलिस टीम सपा नेता को सिविल लाइन थाने लेकर पहुंची। सोमवार सुबह कोर्ट में पेश करने की बात कही जा रही है।
पार्षदों की पिटाई के विरोध में शनिवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया गया था। विपक्ष के काफी नेता इसमें शामिल रहे। समाजवादी पार्टी के नेता मुकेश सिद्धार्थ भी रहे, जिन्होंने ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंदर तोमर को जिंदा जलाने की धमकी दी थी। हालाकि उनकी इसका विपक्ष के नेताओं ने भी आपत्ति की और वह अलग थलग पड़ गये।
शनिवार रात ही 9 गंभीर धाराओं में सपा नेता पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस तलाश में जुट गई। शनिवार को पूरे दिन पुलिस टीम उन्ही तलाश में दौड़ती रही। इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि मुकेश सिद्धार्थ दिल्ली में छिपा है और अग्रिम जमानत के प्रयास में लगा है।
पुलिस ने दिल्ली तक की दौड़ लगा दी और आख़िरकार रात में ही मुकेश सिद्धार्थ को हिरासत में ले लिया गया। एसपी रोहित सिंह साजवान का कहना है मुकेश सिद्धार्थ को गिरफ्तार कर लिया गया है।
कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान राज्यमंत्री को जिंदा जलाने और शहर को आग लगाने की धमकी देने वाले मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ सख्त कार्रवाई का पुलिस ने मन बना लिया है। गिरफ्तारी के बाद मुकेश सिद्धार्थ का पूरा अतीत पुलिस ने खंगालना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुकेश का डोजियर तैयार कर लिया है। मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ जिले में संगीन धाराओं में 13 मामले दर्ज हैं। पुलिस अब उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में निरुद्ध करने की तैयारी कर रही है। फिलहाल उसकी संपत्ति, किए गए अपराध व उसे जमानत देने वालों की भी सूची तैयार की जा रही है। शनिवार को कलक्ट्रेट में निगम बोर्ड बैठक के दौरान हुए हंगामे के बाद राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर व एमएलसी धर्मेन्द्र भारद्वाज के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा था। इसी दौरान प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति वित्तीय विकास निगम का उपाध्यक्ष रहे मुकेश सिद्धार्थ ने बेहद आपत्तिजनक वक्तव्य दिया था। उन्होंने कार्रवाई नहीं होने पर राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर को जिंदा जलाने, उनकी गाड़ी, घर तथा शहर को जलाने की धमकी दी थी। उसने डीएम दीपक मीणा व एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के बहरा होने व उनके बच्चों के भी बहरा होने की कामना की थी। मुकेश सिद्धार्थ की इस धमकी के बाद इंस्पेक्टर सिविल लाइंस महेश राठौर ने शनिवार देर रात थाना सिविल लाइंस पर मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दर्ज रिपोर्ट के बाद से ही पुलिस मुकेश सिद्धार्थ की तलाश कर रही थी। वह भूमिगत हो गया था। दूसरी ओर, इस मामले पर शासन के हस्तक्षेप पर मुकेश की तलाश में एसओजी व क्राइम ब्रांच की टीम को लगाया गया था।पुलिस की घेराबंदी होते ही मुकेश ने अग्रिम जमानत लेने या किसी पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर जेल जाने की जुगतबाजी शुरू कर दी थी। रविवार देर रात पुलिस को सर्विलांस के माध्यम से पता चला कि मुकेश दिल्ली में अग्रिम जमानत की जुगतबाजी कर रहा है। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। मुकेश के खिलाफ पुलिस अब रासुका लगाने की तैयारियों में जुट गई है।
स्मार्ट मीटर की चाल से उपभोक्ता बेहाल
स्मार्ट मीटर बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा ‘झटका’ दे रहे हैं। एक किलोवाट के उपभोक्ताओं का लोड जंप करके 60-65 किलोवाट तक पहुंच रहा है। अब तक 2600 से ज्यादा ऐसी शिकायतें मिली हैं।
गड़बड़ियों से आम जनता के बीच गया गलत संदेश
ईईएसएल व पावर कॉर्पोरेशन के बीच हुए पत्राचार में स्मार्ट मीटर में आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसकी वजह से पिछले दिनों पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के आवास का घेराव किया गया। गड़बड़ियों से स्मार्ट मीटर के बारे में जनता के बीच गलत संदेश गया है। इससे कॉर्पोरेशन की छवि धूमिल हुई है। ईईएसएल जवाब दे अन्यथा स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक भी लगाई जा सकती है।
उपभोक्ता परिषद की कराई जांच में भी मिली गड़बड़ी
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने राजधानी लखनऊ के तीन उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर का नंबर देकर बिल निकलवाया तो 55 से 65 किलोवाट तक भार निकला। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य एके श्रीवास्तव व मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक वाणिज्य को साक्ष्यों के साथ स्मार्ट मीटर की गड़बड़ियों से अवगत कराया। कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने कहा, जल्द ही कंपनी को नोटिस भेजकर जरूरी कार्यवाही की जाएगी।
उच्चस्तरीय जांच की मांग, घटिया मीटर लगाने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट करें
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि लोड पैरामीटर जंप करने से यह साफ हो गया है कि स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी है। इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जब भार जंप कर रहा है तो यूनिट भी जंप कर रही हो।
ऐसे में इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और घटिया मीटर आपूर्ति करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाए।
मेरठ।प्रदेश में बिजली मीटरों की गति को लेकर उपभोक्ता परेशान हैं। हालत यह है कि पश्चिमांचल में सात हजार मीटर तेज गति से चलते मिले हैं तो पांच हजार मीटर खुद ही बैक गति से चलने वाले पाए गए हैं। इसी तरह 8238 मीटर नो डिस्प्ले हो गए हैं। खास बात यह है कि ये सभी मीटर गारंटी अवधि में हैं। पश्चिमांचल की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पावर कॉरपोरेशन में हलचल मची है।प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, लेकिन इन मीटरों की गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठ रहा है। उपभोक्ता इन मीटरों से आ रहे बिजली बिल से परेशान हैं। पिछले दिनों पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में मीटर निर्माता कंपनियां, परीक्षण खंड व स्टोर खंड के अफसरों के साथ हुई बैठक हुई। इसमें निगम की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि 7167 मीटर जंप कर तेज गति से चलते पाए गए हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है। इसी तरह 4911 मीटर बैक यानी पीछे भाग रहे हैं। इनमें एक दिन मीटर 500 यूनिट दिखाता है तो अगले दिन घटकर तीन सौ पर आ जाता है। ऐसे में राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसी तरह 8238 मीटर नो डिस्प्ले हो गए हैं।
किस कंपनी के कितने मीटर मिले खराब
पश्चिमांचल में मॉडर्न ट्रांसफार्मर प्राइवेट लिमिटेड के करीब 14696 मीटर गारंटी अवधि में खराब पाए गए हैं। इसमें 6039 मीटर जंप यानी तेज चलने वाले और 3980 मीटर स्वत बैक होने वाले, 3213 नो डिस्पले आरटीसी खराब व अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। इसी तरह कैपिटल पावर के 3017 मीटर खराब मिले, जिसमें 602 मीटर तेज गति वाले, 304 खुद ही बैक होने वाले और 451 नो डिस्पले वाले मिले हैं। जीनस पावर के थ्री फेस व सिंगल फेस के कुल लगभग 3913 मीटर गारंटी समय में ही खराब पाए गए हैं। इसमें 146 मीटर तेज गति, 165 खुद बैक होने वाले और 1721 नो डिस्पले वाले, एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पावर कंपनी के 4902 मीटर खराब पाए गए, जिसमें 254 मीटर तेज गति वाले, करीब 237 मीटर खुद से बैक होने वाले और 1570 नो डिस्पले वाले हैं। एवन मीटर प्राइवेट लिमिटेड लगभग 3048 मीटरों में 124 तेज गति वाले, 214 बैक होने वाले और 836 नो डिस्पले वाले मिले हैं।
घटिया मीटर खरीद का खामियाजा भुगत रहे उपभोक्ता – वर्मा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि घटिया मीटर के जरिए उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूली हो रही है। कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक मीटर घटिया हैं। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की रिपोर्ट इसका प्रमाण दे रही है। घटिया मीटरों की खरीद का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है। उन्होंने मांग की कि जिन कंपनियों के मीटर में गड़बड़ी मिली है, उन्हें तत्काल ब्लैक लिस्टेड किया जाए।
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डिग्री नहीं मगर जुगाड़-लाइलाज रोगों के माहिर
-गली-गली गांव-गांव फैले हैं झोलाछाप, हालत बिगड़ते ही कर देते रेफर
गली-मोहल्लों गांव और शहर की पाश कालोनियों में बुखार उल्टी-दस्त मलेरिया दाद-खाज और खुजली के अलावा सांस के गंभीर मरीजों का इलाज झोलाछाप कर रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टर भोले-भाले लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कुछ स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से झोलाछापों ने हॉस्पिटल तक खोल रखे हैं। जिले में अनुमानित पांच हजार से अधिक झोलाछाप डॉक्टर हैं।
संक्रामक रोग तेजी से फैल रहे हैं। ऐसे में गली-मोहल्लों, गांव और शहर की पाश कालोनियों में बुखार, उल्टी-दस्त, मलेरिया, दाद-खाज और खुजली के अलावा सांस के गंभीर मरीजों का इलाज झोलाछाप कर रहे हैं जिले में अनुमानित पांच हजार से अधिक झोलाछाप भोले-भाले लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती होने वाले अधिकांश गंभीर मरीजों की हालत खराब होने का कारण झोलाछाप से इलाज कराया जाना है।
स्वस्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कुछ स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से झोलाछापों ने हॉस्पिटल तक खोल रखे हैं। 10 दिन में इलाज के दौरान लापरवाही बरतने से दो गर्भवती महिलाओं की मौत के आरोप में ऐसे तीन हॉस्पिटल सील किए जा चुके हैं।
इनमें सिटी हॉस्पिटल, पीजीएम और लाइफ केयर मेडिकल सेंटर शामिल हैं। चार साल में 108 झोलाछाप के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई लेकिन सभी लाइलाज बीमारियों का खुलेआम इलाज कर रहे हैं। भोले भाले लोग इनकी बातों में आकर इलाज कराने के नाम पर अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। अधिकांश एफआइआर नंदग्राम, विजयनगर, लोनी, खोड़ा, साहिबाबाद, लिंक रोड और मसूरी थाने की हैं।
नोटिस के बारे में जानें
झोलाछाप को दिए जाने वाले नोटिस के अनुसार हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने और शासनादेशों के विपरीत अयोग्य, अनधिकृत, अपंजीकृत और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में पंजीकरण कराए बिना एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा के माध्यम से बीमार लोगों का इलाज किया जाना गैरकानूनी है।
नोटिस जारी होने के बाद झोलाछाप को क्लीनक बंद करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर सुसंगत धाराओं में एफआइआर दर्ज कराने का प्रविधान है। इसके लिए सीएमओ स्तर से क्षेत्रवार नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं।
छोटी दुकान में भी रहता है दो बेड का इंतजाम
गुलधर रोड संजयनगर में चल रहे बंगाली क्लीनिक में दो बेड का इंतजाम है। पड़ताल में पता चला कि संचालक आरके विश्वास बुखार, पेट दर्द, त्वचा रोग, सांस और हृदय रोगों का भी इलाज करते हैं। पता करने पर सीएमओ कार्यालय में क्लीनिक का पंजीकरण नहीं है।
बम्हैटा में सुबह-शाम रहती है मरीजों की भरमार
बम्हैटा में चल रहे बंगाली क्लीनिक और राजीव कालोनी में झोलाछाप की दुकान पर सुबह-शाम मरीजों की भीड़ लगी रहती है। परामर्श के साथ खुद ही दवा देते रहते हैं। अपंजीकृत क्लीनिक के साथ बिना लाइसेंस के दवाएं भी बेच रहे हैं। कई बार मरीज की हालत बिगड़ने पर उसे सरकारी अस्पताल तक भेजने का काम करते हैं।
बुखार के इलाज के साथ सर्जरी का भी इंतजाम है
विजयनगर में संचालित डेविड क्लीनिक के संचालक फिजिशियन के साथ सर्जन भी हैं। बुखार के इलाज के साथ सर्जरी भी करते हैं। बोर्ड पर लिखा है कि महिला चिकित्सक की भी सुविधा है। संचालक ने बीएएमएस की डिग्री दिल्ली से ली है। सीएमओ कार्यालय से इस क्लीनिक का कोई पंजीकरण नहीं है।
संचालक ने बोला, सीएमओ कार्यालय में मिल आया हूं
रईसपुर गांव में बंगाली क्लीनिक चला रहे नरेश ने पूछने पर बताया कि वह बीएएमएस हैं। पंजीकरण के बारे में पूछने पर उनका कहना था कि सीएमओ कार्यालय में मिल आया हूं। किससे मिलकर आए यह बताने से इंकार कर दिया।
वहीं, इस पूरे मामले में गाजियाबाद के सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर का कहना है कि लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे झोलाछाप के खिलाफ टीम बनाकर विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान अपंजीकृत क्लीनिक एवं हॉस्पिटल संचालकों को भी कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा। अब तक जारी किए गए नोटिसों की भी जांच कराई जाएगी।
इस बारे में आरटीआई कार्यकर्ता, सचिन सोनी ने बताया कि बीमारियों के नाम तक नहीं पता और क्लीनिक खोलकर अनेक झोलाछाप लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसकी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की जाएगी।
गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में भांडेर अथवा जिला अस्पताल दतिया भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।
भांडेर अनुभाग के ग्रामीण क्षेत्र पंडोखर, सालोन बी, सोहन, बड़ैरा, देवरा, भिटारी सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। पंडोखर गांव के रामसिंह जाटव के अनुसार गांव में सरकारी इलाज की सुविधा नहीं है। भांडेर और इंदरगढ़ जाना पड़ता है। बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।
बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर
झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। भांडेर अनुभाग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है।
स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई
झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है। जिला मुख्यालय पर कलापुरम, विहारी जी मंदिर, गांधी रोड पर स्थित प्राइवेट क्लीनिकों पर तीन लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की। करीब पंद्रह दिन पूर्व भांडेर शहर में दो दुकानें एसडीएम आरके वंशकार द्वारा सील की गई थीं। ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।
केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज
बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है।
सरकारी अस्पतालों पर लगा रहता है ताला
भांडेर क्षेत्र के तालगांव, भलक, चांदनी, घन श्यामपुर, विंडवा, बड़कछारी, गुदाह, मैथाना, पहूज, टोरी, रामनेर आदि गांव के आसपास उप स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं। शासन ने उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बनवाकर उन पर रंगरोगन करा दिया लेकिन स्टॉफ की माकूल व्यवस्था नहीं की। जिससे यह यह उप स्वास्थ्य केंद्र बंद रहते हैं। यही हालत सोहन में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भी है। यह अस्पताल दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है। मजबूरन डॉक्टरों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है।
टीम बनाकर होगी कार्रवाई
जल्द ही एक टीम बनाई जाएगी। यह टीम पूरे जिले में जहां झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं वहां कार्रवाई करेगी। डाॅ. आरएस गुप्ता, सीएमएचओ, दतिया