सिनेमा के बजाए अवैध कांप्लैक्स

सिनेमा के बजाए अवैध कांप्लैक्स
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सिनेमा के बजाए अवैध कांप्लैक्स, -एक्सपायर मैप पर अवैध कांप्लैक्स- कैंट बोर्ड से सिनेमा को दोबारा से बनाए जाने के नाम पर जो नक्शा पास कराया गया, वहां सिनेमा ना बनाकर भूमाफिया अवैध कांप्लैक्स बना रहे हैं। चंद कदम की दूरी पर स्थित कैंट बोर्ड कार्यालय जहां अध्यक्ष राजीव कुमार, सीईओ ज्योति कुमार, नामित सदस्य डा. सतीश शर्मा के अलावा कैंट प्रशासन के सेनेट्री व इंजीनियरिंग सेक्शन का पूरा अमला बैठता है, वो इससे बेखबर क्यों है। तमाम गरीब के बाथरूम व टायलेट को मिट्टी में मिला देने वाली कैंट बोर्ड की जेसीबी  संपत्ति संख्या 167 करियप्पा स्ट्रीट में किए जा रहे अवैध निर्माण पर क्यों खामोश है, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। ऐसा क्या कारण है या फिर यह मान लिया जाए कि सब मैनेज हो गया है, उसके बाद ही काम शुरू किया गया या फिर एक बार फिर वहीं पुरानी कहानी दोहरायी जाएगी जिसको लेकर कैंट प्रशासन के तमाम सेक्शन हेड बदनाम है कि पहले अवैध निर्माण पूरा करा दो, उसके बाद सील की कार्रवाई, सील की कार्रवाई कुछ इस अंदाज में की जाए कि अवैध निर्माण करने वाले भूमाफिया कोर्ट की मार्फत राहत हासिल कर सकें। जैसा कि मेरठ के  आबूलेन स्थित बंगला नंबर 182 जय प्लाजा, बीआई लाइन स्थित बंगला 45 ( इस बंगले में तो अवैध निर्माण को सील तक नहीं किया गया ) बाउंड्री रोड स्थित बंगला नंबर बाइस बी, सदर स्थित एमआरएफ वाली बिल्डिंग जिसकी सील की कार्रवाई के दौरान अवैध निर्माण करने वालों ने बोर्ड के भ्रष्टाचार की यह कहते हुए कलई खोल दी कि पैसे लेकर पहले अवैध निर्माण कराया और अब सील करने के लिए आ धमके हैं। यह बात पब्लिक डोमेन में भी है। जय प्लाजा में पहले अवैध निर्माण पर चुप्पी और फिर सील सरीखी कार्रवाई की नोटंकी सरीखी कारगुजारियों की एक लंबी फेरिस्त है। वहीं दूसरी ओर यदि 167 करियप्पा स्ट्रीट के नक्शे के पास होने की प्रक्रिया की बात की जाए तो वह भी सवालों के घेरे में है। नियम कायदों की अनदेखी कर नक्शा पास कर दिया गया।

अवैध निर्माण वो भी एक्सपायर नक्शे न

167 करियप्पा स्ट्रीट में केवल कांप्लैक्स का अवैध निर्माण ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि अवैध निर्माण एक्सपायर नक्शे पर किया जा रहा है। एक बार नहीं बल्कि दो बार एक्सपायर हो चुका है। अंतिम बार एक्सपायर 17 जुलाई 2023 को हुआ। इसके अलावा सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जो नक्शा पास कराया गया उसमें पैलेस सिनेमा का निर्माण यानि रिकंस्ट्रक्शन, जो फ्रंट की दुकानें हैं उनको घटा बढ़ाकर दस फीसदी तक मरम्मत की अनुमति मात्र नक्शे में दी गयी है। कैंट बोर्ड प्रशासन के उच्च पदस्थ अफसर यदि वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलकर चंद कदम की दूरी पर स्थित पैलेस सिनेमा तक यदि चहल कदमी करते हुए भी निरीक्षण को पहुंच जाएगे तो तो उन्हे समझ में आ जाएगा कि उनकी नाक के नीचे एक्सपायर नक्शे पर कितना बड़ा अवैध कांप्लैक्स बनाया जा रहा है। या फिर यह मान लिया जाए कि जो खेल जय प्लाजा, होटल 22 बी, एमआरएफ टायर वालों तथा अन्य मामलों में खेला गया है यानि पहले बनवा दाे फिर सील लगा दो वैसा ही खेल पैलेस सिनेमा वाली संपत्ति के मामले में खेले जाने की पटकथा लिख दी गयी है तो बात अलग है। सुनने में आया है कि फिलहाल चालिस से ज्यादा दुकानें ग्राउंड फ्लोर पर बनायी जा रही हैं। फर्स्ट फ्लोर पर भी कुछ दुकानें बनायी जा रही हैं। वैसे तैयारी यहां लगभग 132 दुकानों का बड़ा कांप्लैक्स बनाने की सुनने में आ रही है। मसलन बोम्बे माल भले ही ध्वस्त हो गया हो, लेकिन उसकी तर्ज पर ही उसके सामने यह नया माल बनाने के मंसूबे पाले गए हैं।

निशात में दुकानों की सेल

आबूलेन स्थित निशात सिनेमा के परिसर में अवैध निर्माण से जिन भूमाफियाओ के तार जुड़े हैं उन्होंने बकायदा कार्यालय खोलकर दुकानों की सेल शुरू कर दी है। सुनने में आय है कि करीब 65 हजार रुपए स्क्वायर फुट की दर से दुकानों की सेल की जा रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस अवैध कांप्लैक्स के बाहर जो पुराने दुकानें हैं उनका क्या होगा।

शिकायत के असर का इंतजार

इस अवैध कांप्लैक्स को लेकर राष्ट्रपति भवन, पीएमओ व डीजी डिफेंस में शिकायत भेजी गयी है। हालांकि अभी शिकायत के असर का इंतजार किया जा रहा है। या फिर यह मान लिया जाए कि जिस प्रकार से अवैध निर्माण सरीखे कुछ दूसरे मामले में डिफेंस अफसरों ने सीबीआई को रेफर कर दिए गए है, उसी तर्ज पर पैलेस सिनेमा कोर्ट के आदेशाें को तोड़मरोड़ कर किया जा रहा अवैध निर्माण का मामला भी सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

निगम में मर्ज से पूर्व खुर्दबुर्द

वहीं दूसरी ओर माना जा रहा है कि कैंट बोर्ड के कुछ अफसर नगर निगम में मर्ज होने की प्रक्रिया के पूरे होने तक जितने भी भारत सरकार के बंगले हैं उन पर भूमाफियाओं का कब्जा कराने पर तुले हुए हैं।

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