575 अवैध निर्माण-फिर भी मठाधीश काबिज, कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनियरिंग सेक्शन व सेनेट्री सेक्शन के घालमेल के चलते 575 अवैध निर्माण हो जाते हैं और उनकी सूचना यानि रिपोर्टिंग तक सीईओ कैंट बोर्ड तक को नहीं की जाती। हिदायत है कि जब भी कोई अवैध निर्माण पूरे कैंट क्षेत्र में होता है तो उसकी सबसे पहली सूचना सेनेट्री सेक्शन बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन को देता है, इंजीनियरिंग सेक्शन उसकी रिपोर्ट सीईओ के समक्ष पेश करता है, उसके बाद नियमानुसार नोटिस, सील या फिर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है, लेकिन उसके बावजूद पूरे कैंट क्षेत्र में 575 अवैध निर्माण हो जाते हैं और एक की भी रिपोर्टिंग नहीं की जाती है। कैंट क्षेत्र की हरियाली का सरेआम कत्ल अवैध निर्माणों के लिए किया जाता है। पूरा कैँट क्षेत्र कंकरीट के जंगल में तब्दील हाे जाता है, उसके बाद भी कैंट बोर्ड में पत्ता तक नहीं खड़कता। एक भी अवैध निर्माण की रिपोर्टिंग नहीं की जाती है। पीडी मध्य कमान से लेकर रक्षा मंत्रालय के डीजी तक मेरठ कैंट के अवैध निर्माणों की सूचना होती है, लेकिन मेरठ कैंट बोर्ड के सीईओ, इंजीनियरिंग व सेनेट्री सेक्शन इतनी बड़ी संख्या में किए गए अवैध निर्माणों से बे-खबर रहते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैंट बोर्ड में अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार बड़े अफसर सरकार से सेलरी तो ले रहे हें, लेकिन अवैध निर्माणों को रोकने के नाम पर डयूटी कैसी कर रहे हैं, इसका पुख्ता सबूत 575 अवैध निर्माणों की लंबी फेरिस्त है, जिसकी शिकायत पीएमओ व रक्षा मंत्रालय को की जाती है। डीजी डिफैंस के आदेश पर डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव मेरठ आते हैं और जांच करते हैं। जांच में 575 अवैध निर्माणों की पुष्टि पुख्ता सबूत के साथ रक्षा मंत्रालय में शिकायत करने वाले डीएन यादव के समक्ष करते हैं, लेकिन इस सब के बीच सबसे बड़ी हैरानी भरी बात यह है कि कैंट बोर्ड प्रशासन इन आरोपियों के खिलाफ जो अब मठाधीश बन चुके हैं, कई गंभीर आरोपों के बाद भी उनकी कुर्सी हिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।