मेरठ के इतिहास से हुए रूबरू

मेरठ के इतिहास से हुए रूबरू
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मेरठ के इतिहास से हुए रूबरू, गंगानगर। पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब द्वारा मवाना रोड स्थित एमआईईटी पब्लिक स्कूल में क्रांति की भूमि मेरठ का गौरवशाली इतिहास विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि इतिहासकार प्रोफेसर नवीन गुप्ता, पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब के निदेशक आयुष पियूष गोयल, वरिष्ठ समाजसेवी विपुल सिंघल, स्कूल निदेशक अजय बंसल एवं मीडिया प्रभारी अजय चौधरी ने किया। क्लब निदेशक आयुष गोयल पीयूष गोयल ने बताया 1857 की क्रांति मेरठ शहर से प्रारंभ हुई थी इसलिए मेरठ कांति धरा के नाम से जाना जाता है। 1857 की क्रांति से ही ब्रिटिश सरकार का विद्रोह प्रारंभ हुआ था। इस कारण 1857 की क्रांति को वीर सावरकर ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा था।1857 के संघर्ष का ही परिणाम था 1947 में ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता मिली थी। मुख्य अतिथि क्रांति तीर्थ अमृत महोत्सव आयोजन समिति मेरठ प्रांत के सह संयोजक इतिहासकार प्रोफेसर नवीन गुप्ता ने “अपनी माटी और अपने शहीदों को जानो” श्रृंखला की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को गुलामी और दासता का नहीं बल्कि अमर शहीदों की गौरवशाली बलिदानी परंपरा का इतिहास पढ़ाया जाए। उन्होंने छात्र छात्राओं को मेरठ के गौरवशाली इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस क्रांति धरा ने प्राचीन काल से ही अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया है, चाहे वह महाभारत का युद्ध हो या फिर 1857 की महाक्रांति, क्योंकि प्राचीन काल में सोलह महाजनपदों में इस कुरू नामक जनपद इसकी राजधानी हस्तिनापुर की ऐतिहासिकता पूरी तरह से प्रमाणित है। जब ब्रिटिश हुकूमत का भारतीय जनमानस पर अन्याय और अत्याचार 19वीं सदी में चरम पर पहुंचा तो इस क्रांति धरा ने एक बार पुनः अंगड़ाई लेकर पूरे देश को औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ सशक्त प्रतिरोध के लिए खड़ा करने का काम किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश की इस नई पीढ़ी को अमर बलिदानियों का मंतव्य और बलिदान को समझे। इस दौरान डायरेक्टर अजय बंसल, शशि राकेश, कोऑर्डिनेटर पुनीता रुस्तगी, तनु बंसल, पूजा अरोड़ा,अजय चौधरी आदि मौजूद रहे।

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