डा. वाजेपयी का रास महासचिव को पत्र, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने राज्यसभा महासचिव को लिखे पत्र में न्याय मंत्रालय द्वारा देश भर के जनपदों में 44 सौ ई-फाइलिंग सेंटर व कुछ न्यायालयों में वर्चुअल कोर्ट की स्थापना के निर्णय को लागू करने के संबंध में कार्रवाई का आग्रह किया है। डा. वाजपेयी द्वारा विगत 1 अगस्त को महासचिव राज्यसभा को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि न्याय मंत्रालय भारत सरकार ने देश के सभी जनपदों में सस्ता व सुलभ न्याय व वादकारी का हित सर्वोच्च के सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए जनपदों में ई-फाइलिंग सेंटर स्थापित करने का निर्णय किया तथा वर्ष 2023-24 के बजट में 71 सौ करोड़ रुपए की धनराशि की व्यवस्था की है। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की ई समिति द्वारा भी स्वीकृत है। इन ई-फाइलिंग सेंटरों से जनपद में ही वादकारी अपना वाद दायर कर सकते हैं, जमानत प्राप्त कर सकते हैं साथ ही अंतिम सुनवाई का भी निर्णय प्राप्त कर सकते हैं। भारत सरकार के न्याय मंत्री ने एक पत्र 9 मार्च 2023 को सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखकर उनकी सहमति मांगी थी। कर्नाटक, त्रिपुरा, छत्तीगढ़, मध्य प्रदेश व सिक्किम राज्यों की सहमति प्राप्त हो गयी है। शेष प्रतिक्षित है। राज्यसभा महासचिव को प्रेषित पत्र में सांसद डा. वाजपेयी ने कहा है कि यदि शेष मुख्य न्यायाधीशों की सहमति नहीं मिलती या इसमें विलंब होता है तो सरकार को कोई अन्य पद्धति अपनानी चाहिए। डा. वाजपेयी ने जानकारी दी कि उड़ीसा में तो वर्चुअल कोर्ट की स्थापना भी हो गयी है। दिल्ली, तेलंगाना, झारखंड. व उड़ीसा में ई-फाइलिंग सेंटर चल रहे हैं। सरकार को ऐसी व्यवस्था सामान्य जनता को न्याय दरवाजे पर मिले, इस हेतु सभी मुख्य न्यायाधीशों को समयवद्ध अनुस्मारक भेजकर अथवा उनके साथ या हाईकोर्ट के रजिस्ट्रारों के साथ बैठक करके इस समस्या का यथाशीघ्र समाधान निकालना चाहिए तथा देश के सभी जिलों में यथाशीघ्र ई-फाइलिंग सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए।
राज्यसभा सांसद डा. वाजपेयी के इस प्रयास को समाज के अंतिम छोर पर खड़े शख्स को सस्ता, सुलभ व शीघ्र न्याय की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। राज्यसभा सांसद डा. वाजपेयी की यदि बात की जाए तो इस प्रकार के कार्यों के लिए यूपी भाजपा में उनकी एक विशेष पहचान है। उनकी एक पहचान यह भी है कि वह समस्या के समाधान के प्रयास के साथ ही समस्या की जड़ को ही खत्म करने का प्रयास करते हैं। ऐसे तमाम उदाहरण मौजूद हैं। खासतौर से मेरठ की जनता में तो उनकी इसी प्रकार की छवि बन गयी है।