हर मां को औलाद अच्छी नहीं मिलती

Share

हर मां को औलाद अच्छी नहीं मिलती, मौका भी था और दस्तूर भी था फिर क्यों ना महफिज जवां होती। मौका था मुल्क की आजादी की सालगिराह के जश्न का और दस्तूर था ऐसे मौकों पर नामचीन शायर और कवियों को सुनने का।  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह में अमर उजाला के मां तुझे प्रणाम के तहत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे का। इस अवसर पर भारत माता की जय और वंदे मातरम के जयकारों से हॉल गूंज उठा।मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गजेंद्र सोलंकी ने मंच संचालन करते हुए कहा कि यह राष्ट्रवंदना का कार्यक्रम है। ‘फकत दिल ही नहीं हाथ मिलाकर चलना है, हमें लेकर तुम्हारा हाथ चलना है, लेकर के कहां चलोगे, तुम्हारे साथ चलना है’ से आगाज करते हुए उन्होंने ‘आओ हम नमन करें आजादी के दीवानों को’ सुनाकर झकझोरा। ‘भारत मां के गौरव का सम्मान तिरंगा है, युगों युगों तक भारत माता की शान रहे’ पर खूब तालियां बजीं। उन्होंने राष्ट्रपिता, सुभाष चंद बोस, लाला लाजपत राय, लक्ष्मीबाई और शहीद ए आजम भगत सिंह के बलिदान को शब्दों में पिरोकर सभी को ओज के रस से सराबोर कर दिया।
बाराबंकी से आए गजेंद्र प्रियांशु ने कश्मीर पर पाकिस्तान पर कटाक्ष किया। उन्होंने सुनाया ‘चले आओ चले आओ, आजाद अब घाटी, मेरे महबूब ने भेजी मुझे कश्मीर से पाती’ से झकझोरा। उन्होंने ‘पांव बेचकर सफर खरीदे, सफर बेचकर राहें, रात-रात भर तुमको गाया, जब खुद को बेच चुका तो सबकी पड़ी निगाहें, सुबह छपे अखबार में’ से खूब गुदगुदाया। नारी सौंदर्य पर उन्होंने उपमाएं देते हुए कई पंक्तियों को सुरों में ढाला। ‘चुनरी ध्वजा सी लहरा रही है अंबर में, नयनों में तीर या कटार लेकर आई हो’ पर हॉल तालियों से गूंज उठा। ‘इतने निर्मोही बालम हो गए गीत से प्रेम की नई इबारत सुनाई।’

डॉक्टर रुचि चतुर्वेदी ने शहीद की पत्नी की वेदना को शब्द दिए। उन्होंने ‘लाल महावर लगे मेरे पैरों की चिंता मत करना, सीमा पर डटे रहना, तुम गांव की चिंता मत करना। ठिठुरन हो या कड़ी धूप हो, छांव की चिंता मत करना, लगे युद्ध में चोट अगर तो घाव की चिंता मत करना, धन्य धन्य हो जाऊंगी छूकर तेरे घायल पांव को, राह निहारूं जब से मैं तेरी बैठी पीपल की छांव में’ सुनाकर हर किसी की आंख नम कर दीं। उन्होंने ‘लहर लहर लहराता है, जय जन मन गण गाता है, भारत माता की चुनरिया श्वेत, हरा और केसरिया’ से राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। सुमनेश सुमन ने ‘तिरंगे का निशां थोड़ा मुझे भी तो मयस्सर हो, मेरे होठों पे जिंदाबाद हिंदोस्तान रह जाए’ सुनाया। डॉ नवाज देवबंदी ने युवाओं की नब्ज टटोलते हुए शेर के जरिए युवाओं का दिल धड़काया। उन्होंने ‘जब मैंने उसे खास निगाह ए राज से देखा, आइना फिर उसने नए अंदाज से देखा, महफिल में जिसे गौर से सब देख रहे थे, देखा न मैंने उसे तो उसने मुझे देखा।’ ‘रेशमी बाल छू लिए थे तेरे, उंगलियों हो गईं हैं मखमल।’ बेवजह बेकसूर टूट गया एक दिल था हुजूर टूट गया, उसने रुख से नकाब क्या पलटी रोशनी का गुरूर टूट गया।’ ‘बेख्याली में भी ख्याल उनका, मेरा क्या है ये है कमाल उनका, ये जो सब मेरा हाल पूछते हैं, पूछना चाहते हैं हाल उसका’ आदि शेर सुनाए।

बदलते दौर में रिश्तों को भी शेरों से नुमाया किया। उन्होंने बेटे बेटियों पर कहा कि ‘एक आंखों के पास है और एक आंखों से दूर, बेटा हीरा होता है और बेटी कोहिनूर।’ ‘मां बेटे के रिश्ते पर कहा कि हर शहर में हर बस्ती आबाद नहीं दिखती, दीवारें तो मिलती हैं पर बुनियाद नहीं मिलती, मां तो हर औलाद को मिलती है अच्छी, पर हर मां को औलाद अच्छी नहीं मिलती।’
डॉक्टर नवाज देवबंदी ने ‘हिन्दू मुस्लिम चाहे जो लिखा हो माथे पर लेकिन आपके सीने पर हिंदुस्तान होना चाहिए’ पढ़ा तो लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे।
राष्ट्रकवि डॉक्टर हरिओम पंवार ने सियासत पर खूब तंज कसे। बोले कि एक सरकार ने चंद्रशेखर आजाद को आतंकवादी कहा और सरकारें चुप रहीं लेकिन कवि चुप नहीं रहता। उन्होंने ‘चुपके-चुपके रोया होगा संगम का पानी, क्या यही सुनने की खातिर फांसी पर झूल गए बलिदानी।’ ‘जो सीने पर गोली खाने से आगे बढ़ जाते थे, भारत माता की जय कहकर फांसी पर चढ़ जाते थे’ से स्वतंत्रता संग्राम के हवन कुंड में क्रांतिकारियों की दी गई श्रद्धांजलि की आहुति को नमन किया। उग्रवाद पर उन्होंने तंज कसा। ‘पैरों में अंगारे बंधे सीने में तूफान भरे, मैं धरती का संग्राम नहीं तो क्या गाऊं’ से झकझोरा और पाकिस्तान को खूब अपनी कविताओं से ललकारा।
खूब लहराए तिरंगे
कवि सम्मेलन और मुशायरे में ‘भारत माता की जय’ के जयकारों से हॉल गूंज उठा। इस दौरान हर पंक्ति में तिरंगे लहराए। राष्ट्रभक्ति के वेग ने सभी को अपने आवेश में ले लिया।कार्यक्रम में  महापौर हरिकांत अहलूवालिया, बागपत सांसद डॉक्टर राजकुमार सांगवान, राज्यमंत्री दिनेश खटीक, पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, कैंट विधायक अमित अग्रवाल, बिजेंद्र अग्रवाल, सुनील भराला, विवि की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, रजिस्ट्रार धीरज वर्मा, चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वीरपाल सिंह, एसएसपी डा. विपिन ताडा, मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आरसी गुप्ता, डॉक्टर राजीव अग्रवाल, डॉक्टर वीरोत्तम तोमर, डॉक्टर सुनील गुप्ता, डॉक्टर विक्रांत जावला, आरटीओ राजकुमार सिंह, एसडीएम सदर कमल किशोर देशभूषण, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अवनीश काजला, दीपक शर्मा, बसपा जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह, शाहजहां सैफी, मोहित आनंद, अली शेर, कुंवरपाल, देवेंद्र, प्रमोद, उमेश सिद्धार्थ, सलमान ख्वाजा, कांति प्रसाद, भाकियू जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी, विजय सिरोही, निर्मला सिरोही, हसीन अहमद सैफी, नरेंद्र राष्ट्रवादी, नीरज जटौली, आलोक सिसौदिया, ट्रांसपोर्टर गौरव शर्मा, विनोद काजीपुर, कैलाश चंदोला, विनोद काजीपुर, डॉक्टर रविन्द्र राणा, डॉक्टर विष्णु गुप्ता, कोच अतहर अली, पार्षद उत्तम सैनी, संजय सैनी, कंकरखेड़ा व्यापार संघ अध्यक्ष नीरज मित्तल, शौकेंद्र भारद्वाज, रवि बटजेवरा, विनय विरालिया, डॉक्टर शिल्पी सेन, गफ्फार, भरत सिंह सैनी, वीरसिंह सैनी पूर्व पार्षद, इंद्रपाल सैनी, सुनीत सैनी, हरीश ठेकेदार, सचिन सिरोही, शुभम सैनी, योगेश सैनी, दीपक कुमार, विशाल सैनी, मोहना राणा, विमल सैनी, दीपक सैनी, लक्ष्मण सैनी, राघेंद्र सैनी, सुदेश राणा, सामाजिक कार्यकर्ता चैतन्यदेव स्वामी, डॉ. आंबेडकर सेवा समिति अध्यक्ष रविंद्र आदि मौजूद रहे।

 


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *