सौ करोड़ की सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा

सौ करोड़ की सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा
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सौ करोड़ की सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा,

सिंचाई विभाग के चक सलावा राजवाहा पर रातों रात कब्जा कर बना डाला चालिस फुट का पुल
मेरठ/ एनएच-58 के करीब सौ करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा हो गया और विभाग के अफसर इसके जिम्मेदारों पर बजाए सीधी कार्रवाई के उन्हें बचाने के तरीके सुझा रहे हैं। हाइवे पर संस्कृति रिसोर्ट के समीप सिंचाई विभाग की डाबका, मुरलीपुर, लखवाया व पठानपुरा आदि गांवों की जल निकासी के लिए सलावा नहर का करीब बीस मीटर चौड़ा नाला है। इस नाले के दोनों ओर सिंचाई विभाग की काफी जमीन है। इस सरकारी जमीन के बडेÞ हिस्से पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए गए हैं। अवैध कब्जों के चलते बीस मीटर चौड़ा यह नाला धीरे-धीरे नाली में तब्दील होता जा रहा है। फिलहाल हालात इतने नाजुक हैं कि यदि सिंचाई विभाग के अफसरों की नींद नहीं टूटी यह तो नाला सिकुड़ते-सिकुड़ते पूर तरह से लुप्त हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो चार गांवों डाबका, मुरलीपुर लखवाया व पठानपुर की जल निकासी नहीं हो सकेगी। बगैर बारिश के इन गांवों के रास्तों में तालाब बन जाएंगे। गांव के कब्रिस्तान व शमशान तक पानी में डूब जाएंगे।
सिंचाई विभाग के डाबका पठानपुरा नाले के दोनों ओर जो सरकारी जमीन है उस पर फाजलपुर निवासी बताए जा रहे कुछ लोगों ने जिन्होंने यहां कालोनी काटी है, उन पर भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा ने सिंचाई विभाग की इस जमीन समेत राजस्व के कई चकरोड़ कब्जा लिए जाने के आरोप लगाए हैं। इसको लेकर हजारी की प्याऊ के समीप बुलायी गयी प्रेस वार्ता में उन्होंने सिंचाई व राजस्व विभाग की सौ करोड़ से ज्यादा कीमत की बतायी जा रही इस जमीन पर कब्जा करने वालों की पूरी पठकथा प्रेस कान्फे्र स में रखी।
ऐसे किया गया सरकारी जमीन पर कब्जा
डाबका पठानपुर नाला के पास की मुरलीपुर गुलाब व शोभापुर के रकबे में किसानों से चार लाख गज जमीन खरीदी गई है जो सरकारी नाले के दोनों ओर है। आरोप है कि इसके बाद सिंचाई विभाग नाले पर 60 फुट लंबी पक्की पुलिया बना डाली गयी। नाले के दोनों ओर की 12-12 फुट चौड़ी पटरी पर कब्जा कर कालोनी की जमीन में मिला लिया गया। 60 फुट लंबी पुलिया के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इसके बाद विगत 19 अगस्त को चालिस फुट लंबी एक ओर पक्की पुलिस का निर्माण वहां करा दिया गया। इस पुलिस का निर्माण रातों रात कराया गया। हैरानी तो इस बात की है कि कई शिकायतें इसको लेकर की गई, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
राजस्व की जमीन भी बेच डाली
प्रेस कान्फ्रेस में खुलासा किया गया कि किसानों से जो चार लाख गज जमीन कालोनी के लिए खरीदी गई उसमें राजस्व की चक रोड भी थीं। कालोनी काटने वालों ने राजस्व की जमीन भी किसानों से खरीदी जमीन में मिला दी। डाबका पठानपुर व राजस्व की जमीन की यदि सर्किल रेट पर कीमत निकाली गयी तो यह 100 करोड़ से ज्यादा बैठेगी।
वर्जन
नाले पर कुछ स्थान पर अस्थायी कब्जे कर लिए गए हैं। जब नहर की सफाई करायी जाती है तब इन्हें हटवा दिया जाता है। वैसे इन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी एक्शियन की है। –इं. रमेश चंद अधीक्षण अभियंता सिंचाई विभाग

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