अवैध है फेरर फिर भी नहीं मेडा का टेरर, मेरठ/ एनएच-58 पर अवैध कालोनियों व खासकर निर्माणों के खिलाफ मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) के प्रवर्तन दल का अमला आए दिन पहुंच कर कार्रवाई कर रहा है। तमाम अवैध कालोनियां भी ध्वस्त की जा रही हैं, लेकिन प्राधिकरण के जोन-बी-4 में अवैध रूप से ग्रीन बैल्ट से भी इतर कृषि भूमि में खेतों के बीच बनाए जा रहे होटल फेरर जिसको तकनीकि विशेषज्ञ पहले ही मौत के कुंए सरीखा यानि मौत का सामान बता चुके हैं, उसके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तो दूर की बात मेडा के अफसर नाम तक लेने का हिम्मत नहीं जुटा पर रहे हैं, यदि ऐसा नहीं है तो फिर यह मान लिया जाए कि मेडा के टाउन प्लानर इस अवैध मुजस्मे को लेकर उपाध्यक्ष व सचिव सरीखे मेडा के अधिकारियों को गलत फीडबैक दे रहे हैं। जिसके चलते फेरर को मेडा के प्रवर्तन दल को टेरर नहीं। खुलेआम यहां अवैध निर्माण जारी है। क्योंकि इस अवैध निर्माण का मेडा के टाउन प्लानर विजय कुमार इस संवाददाता को मानचित्र स्वीकृत बता चुके हैं।
टाउन प्लानर विजय कुमार से जोन-बी-4 में अवैध रूप से बनवाए जा रहे फेरर को लेकर सवाल किया तो उन्होंने इस होटल का प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत होने की जानकारी दी थी। उसके बाद सूचना के अधिकार के तहत जब इस अवैध निर्माण को लेकर प्राधिकरण से जानकारी मांगी गयी तो प्राधिकरण के प्रभारी मानचित्र/जनसूचना अधिकारी ने 3 अगस्त 2024 को आरटीआई के उत्तर में बताया कि आॅन लाइन बिल्डिंग प्लॉन एप्लीकेशन नंबर-एमडीए/डीपी/2022-23/1509 से संबंधित कोई भी मानचित्र मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है।
आरटीआई में दी गयी जानकारी यदि सही है तो एनएच-58 पर अवैध निर्माणों के खिलाफ मेडा की ओर से ध्वस्तीकरण अभियान चलाने वाले प्रवर्तन दल को यह अवैध मुजस्मा जो कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है, उसका ध्वस्तीकरण क्यों नहीं किया जा रहा है। या फिर यह मान लिया जाए कि पहले इस अवैध होटल की वजह से किसी की जान जाएगी। उसके बाद प्रशासन जांच बैठाएगा और जांच में इस अवैध निर्माण के लिए किसी अधिकारी की जिम्मेदारी मसलन गर्दन नापी जाएगी उसके बाद कहीं जाकर इस अवैध होटल को जमींदोज किया जाएगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। क्योंकि आमतौर पर इस प्रकार के अवैध निर्माणों को संरक्षण देने वाले अफसर केवल ऐसे अवैध होटल बनवाने के रास्ते ही नहीं बताते बल्कि ऐसे अवैध होटल मेडा की ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई से कैसे महफूज रहेंंगे, लगे हाथों उसका भी रास्ता बता देते हैं। और वो रास्ता होता है कोर्ट से यथास्थिति सरीखे स्थगन आदेश का।