सावधान! अफसरों ने अनाड़ी हाथों में थमाए स्टेयरिंग,
मेरठ/ नवागत नगरायुक्त महानगर की सफाई व्यवस्था को लेकर अपनी गंभीरता जाहिर करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने रात में शहर की सड़कों की साफ सफाई का कॉन्सेप्ट तक पेश कर दिया है, लेकिन नगरायुक्त से सवाल है कि जब नगर निगम के अफसरों ने ही सफाई मित्रों के हाथ में स्टेयरिंग थमा दिए गए हैं तो फिर झाडू थामना किसे पसंद आएगा और कैसे महानगर की सफाई करायी जा सकती है। यह बात तो हुई निगम अफसरों की। अब एक राय महानगर की जनता को और वो यह कि घर से यदि आप बाहर निकल रहे हैं तो बेहद सावधान बरतिये। खासतौर से उस वक्त जब नगर निगम की किसी गाड़ी के पास से आप गुजर रहे हों, क्योंकि निगम अफसरों ने इन गाड़ियों के स्टेयरिंग कुछ अनाड़ी हाथों में भी थमा दिए हैं। यह राह चलते लोगों के लिए तो खतरा है ही साथ ही इसकी कीमत महानगर के उन इलाकों के लोगों को चुकानी पड़ रही है, जहां यदाकदा ही निगम के सफाई कर्मी आते हैं और यदि आते भी हैं तो सफाई करने नहीं केवल चेहरा दिखाने को। ऐसा इसलिए है क्योंकि बड़ी संख्या में सफाई कर्मियों के हाथों में गाड़ियों के स्टेयरिंग थमा दिए हैं।
इस बात को नगर निगम प्रशासन के आला अफसरों ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के भेजे गए उत्तर में स्वीकार किया है। सिविल लाइन के पूर्वा शेखलाल निवासी अशोक कुमार ने आरटीआई डालकर निगम के दिल्ली रोड स्थित वाहन डिपो को लेकर स्थायी, अस्थायी व वाहन चालकों की सूचना मांगी थी। आरटीआई का जो उत्तर भेजा गया है वो वाकई चौंकाने वाला है। इससे यह भी समझ में आ गया है कि महानगर की सफाई व्यवस्था बदहाल क्यों है। इसके अलावा धर्मवीर नाम के आउटसोर्स कर्मचारी से लिपिक का काम लिया जा रहा है, बताया गया है कि तत्कालीन नगरायुक्त के आदेश पर उनसे लिपिकीय कार्य लिया जा रहा है।
सेलरी दे रहे हैं काम नहीं ले रहे
आरटीआई के तहत निगम प्रशासन की ओर दी गयी जानकारी में बताया गया है कि 105 वाहन चालक दिल्ली रोड वाहन डिपो पर कार्यरत हैं। इनमें से बड़ी संख्या ऐसे वाहन चालकों की है निगम अफसर सरकारी खजाने से उन्हें सेलरी तो दे रहे हैं लेकिन काम नहीं दे पा रहे हैं। दरअसल इनके बारे में कहा जाता है कि ये किसी ना किसी की नाक के बाल हैं। निगम के उत्तर में बताया गया है कि दिल्ली रोड वाहन डिपो पर तैनात भिस्ती, सफाई मित्रों, अनुचरों, मालियों व चौकीदारों को कार्यवाहक चालक बना दिया गया है।
ये हैं लिस्ट में शुमार
जिनको कार्यवाहक चालक बना गया है उनमें अब्दुल वाहव मूल पद भिस्ती जेसीबी चलाते हैं। राजू थर्ड मूल पद स्वच्छता मित्र एसंटी स्मोग गन जिस गाड़ी पर लगी वह चलाते हैं। रविन्द्र स्वच्छता मित्र ये आरसी चालक हैं। कुलवंत मूल पद माली डीपी आॅपरेटर, जितेन्द्र स्वच्छता मित्र छोटी पोर्कलेन, दुष्यंत कुमार फॉगिंग आॅपरेटर ये भी कार्यवाहक चालक हैं। बिजेन्द्र सिंह हैल्पर ट्रैक्टर चालक, नफीस अनुचर टैÑक्टर चालक। जिन अन्य को चालक बताया गया है उनमें नवाब चौकीदार, अलाउद्दीन स्थायी चौकीदार, सुशांत स्वच्छता मित्र, रवि स्थायी अनुचर, सुऐब स्थायी अनुचर, मो. अजीज अनुचर, राजा वाटर स्प्रींकल।
चालक है पर वाहन नहीं
आरटीआई के उत्तर में बताया गया है कि स्थायी कर्मचारी कृष्ण गोपाल, विनय कुमार व मनोज कुमार ये कार्यवाहक चालक तो हैं लेकिन ये कोई वाहन नहीं चला रहे हैं। आरटीआई में दी गई जानकारी को यदि सही मान लिया जाए तो निगम प्रशासन सेलरी तो दे रहा है, लेकिन इनसे काम नहीं ले रहा है। एक और बड़ी बात वो यह है कि इनके पास कोई ड्राइविंग लाइसेंस भी है या नहीं इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी है।
कैसे हो महानगर की सफाई
मेरठ में बतौर नगरायुक्त पारी की शुरूआत करने को आए सौरभ गंगावार के प्रयासों पर कोई शकशुबा नहीं है। आने के बाद वह लगातार एक्शन मोड में है। छोटी सी छोटी घटना पर उनकी मौजदूगी भी दर्ज हो रही है। इससे गंदगी से मुक्ति पानी को छटपाट रहे शहर को कुछ उम्मीद भी जगी है। सौरभ गंगवार के रात में ही महानगर की सफाई कराए जाने के कॉसेप्ट से तो लोग गदगद हैं, लेकिन नगरायुक्त यह करेंगे कैसे क्योंकि निगम के अफसरों ने सफाई मित्रों के हाथों में तो गाड़ियों के स्टेयरिंग थमा दिए हैं। बढ़िया नौकरी चल रही है। जिसने हाथ में स्टेयरिंग थामा हुआ हो वो भला झाडू क्यों थामेगा।
महापौर की गाड़ी के चालक पर डीएल तक नहीं
नगर निगम प्रशासन ने आरटीआई में मांगी जानकारी में बताया है कि आउटसोर्स कर्मचारी महापौर के गाड़ी पर बतौर चालक तैनात है। जो जानकारी भेजी गयी है उसमें दिनेश के ड्राइविंग लाइसेंस वाला कॉलम खाली छोड़ दिया है, जबकि जिनके पास बाकायला डीएल हैं उनकी जानकारी उत्तर में दी गयी है, लेकिन दिनेश के डीएल की कोई जानकारी भेजे गए उत्तर में नहीं दी गयी है। तो फिर यह मान लिया जाए कि महापौर की गाड़ी पर जो चालक है उस पर ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है। यदि यह जानकारी एकदम सही है तो फिर वाकई गंभीर बात है। महापौर प्रथम नागरिक हैं, उनकी सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही कैसे बरती जा सकती है। यदि दिनेश पर डीएल नहीं है जैसा कि निगम प्रशासन ने बताया है तो फिर कोई दूसरा चालक जिस पर डीएल हो, उसको महापौर की गाड़ी पर नियुक्त किया जाना चाहिए। भाई महापौर की सुरक्षा का सवाल है।