पूछा तो समाज को क्या जवाब देंगे पंच

पंचों ने क्यों किया अनिल बंटी से किनारा
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पूछा तो समाज को क्या जवाब देंगे पंच,   मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती में अनंत चौदस से पहले निकाली जाने वाली शोभायात्रा निकालने के नाम पर खुद को पूरा समाज कहने बताने वालों ने पंच भी बना लिए और जो पंच बनाए गए उन्होंने मंदिर की 11 लोगों की कमेटी बनाने का भी बात कह दी, लेकिन इस मंदिर के प्रति अगाध आस्था रखने वाले समाज का यह नहीं पता चल पा रहा है कि किस अधिकार से पंच बनाए गए और पंच किस अधिकार से 11 लोगों की कमेटी बनाने की बात कह रहे हैं। क्योंकि समाज का मानन है कि इस प्रकार की संस्थाओं में जो कमेटी होती है उसका बाकायदा प्रशासन डिप्टी रजिस्ट्रार की मार्फत चुनाव कराता है। उससे पहले सदस्यों की सूची का प्रकाशन, नामांकन की तारीख का एलान, नाम वापसी का एलान और फिर अंत में मतदान और चुनाव का परिणाम। किसी भी संस्था में कमेटी का सही तरीका तो यही है, हां यह बात अलग है कि संस्था को निजी बपौती समझने लग जाए तो, जो मौजूद हों उन्हें ही समाज मान लें कोई भले ही कुछ भी कहें लेकिन इसको प्रशासन कभी मान्यता नहीं देगा। वैसे देखा जाए तो प्रशासन तो जिन्हें पंच बताया जा रहा है यदि कोई शिकायत कर दे कि कालातीत पड़ी मंदिरजी की कमेटी में पंच बना दिए गए हैं तो प्रशासन का हाथ सीधे गिरेबान तक जाएगा और अफसर पूछ लेंगे कि किस अधिकार से बने हैं और किस अधिकार से किसने बनाया है। लेकिन यहां  अभी पंच बनाने और पंचाें की ओर से 11 लोगों की कमेटी बनाने की बात करना विषय  नहीं है।

क करोड़ और एक किलो चांदी पर बात कब

यहां समाज पंचों से ही पूछ रहा है कि जो बात उन्होंने श्रीजी की शोभायात्रा निकलने की पूर्व संध्या पर कहीं थी, जिसके वीडिया और तमाम बयान समाज के डोमेन में मौजूद हैं उसका क्या रहा। जब मंदिर में खड़े होकर कोई बात कही है तो उसका पूरा करने की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। कोई बात मंदिर में खड़े होकर की जाती है तो उसका एक वजन होता है और समाज भी उस पर यकीन करता है। दो दिन के भीतर एक करोड़ और एक किलो सोना देने की बात कही गयी है। उस वक्त का वीडिया इसका प्रमाण है। उस वीडियाे में जिन्हें पंच बताया गया वो सभी नजर आ रहे हैं। इन पंचों की बात पर भरोसा कर ही कविवर सौरभ जैन सुमन ने अपने कदम पीछे हटा लिए थे वर्ना उन्होंने तो समाज के लिए मंदिर को बचाने के लिए प्राण न्यौछावर करने का प्रण ले लिया था। समाज बस इतना जानना चाहता है कि मृदुल जैन से एक करोड़ नकद और एक किलाे सोना उसका हिसाब लेने और समाज के सामने वो हिसाब रखने की मंदिर जी में खड़े होकर बात करने वाले पंचों के दो दिन कब पूरे होंगे। वैसे बीस दिन हो चुके हैं। या तो यह बात दें कि उनका एक दिन कितने दिनों का होता है या फिर जो बात मंदिर जी में खड़े होकर की जो वादा समाज से किया उसको पूरा करें, या फिर हाथ खड़े कर दें समाज सब्र कर लेगा। और ऐसा यदि होगा तो यह बेहर दुखद होगा क्योकि समाज के साथ खुद को मंदिर का कर्ताधर्ता बताने वाले पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं। मंदिर समाज का है और समाज की मंदिर में दान देता है और यदि दान का हिसाब किताब समाज मांग रहा है तो फिर इसमें किसी को परेशानी क्या है। समाज बस इतना ही तो चाहता है कि जिस हिसाब को देने की बात पंचों में मंदिर जी में खड़े होकर की है वो समाज के सामने रख दिया जाए।

समाज में भारी बेचैनी है जो दे सकती है नुकसान

सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के घटनाक्रमों को लेकर समाज में भारी बेचैनी है। यदि किसी ने भी एक पत्र पूरे घटनाक्रम को लेकर कमिश्नर के यहां दे दिया तो वो उन परिस्थितयों का सामना न तो पंच कर पाएंगे और ना ही वो जिनसे हिसाब लिए जाने की बात कही जा रही है। यदि कमिश्नर या फिर प्रशासन को पत्र गया तो पूछ लिया जाएगा कि जब कमेटी कालातीत है तो किस अधिकार से कितने पंच बना दिए और जो पंच बने हैं उनका कानूनी अधिकार क्या है। क्योंकि जब कोई कमेटी कालातीत हो जाती है तो कानूनन वहां प्रशासन का रिसीवर नियुक्त होता है। वही सारा हिसाब किताब संभालता है। भले ही वो एक किलो सोने का हो या फिर सौ किलो सोना का या फिर एक हजार किलो सोने का जैसा की समाज के बुर्जुग बताते है कि यह मंदिर तीन साै साल पुराना है। यहां यह भी साफ कर दें कि जब प्रशासन की कोई जांच ऐजेंसी पूछताछ करती है तो फिर वसूली ब्याज के साथ करती है।

पीसी में जो कहा गया था उसका क्या

जिस दिन श्रीजी की सवारी निकली थी उसी दिन सुबह के वक्त एक प्रेस वार्ता में कविवर सौरभ जैन सुमन, प्रेम चंद जैन माना व अनिल बंटी ने दावा किया था कि हिसाब उनके पास आ गया है। यदि हिसाब आ गया है तो समाज के सामने रख दीजिए। इसमें इफ बट की तो गुंजाइयश होनी ही नहीं चाहिए।

@Back Hoe


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