विहिप ने निकाली मां वदन यात्रा

विहिप ने निकाली मां वदन यात्रा
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विहिप ने निकाली मां वदन यात्रा , भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही परम्परागत शस्त्र, शास्त्र और शक्ति पूजन किया जाता रहा है। मां भगवती की आराधना के नौ दिन में शास्त्रों का पठन, मां भगवती के पूजन के साथ ही उनके हाथों में विराजमान विविध शस्त्रों का पूजन हर सनातनी हिंदू विधि-विधान से करते हैं इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए मां दुर्गा के नवरात्रि के उपलक्ष्य में दुर्गा वाहिनी विश्व हिंदू परिषद के बैनर तले मां वंदना यात्रा का आयोजन किया। जिसका शुभ आरंभ दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय सह संयोजिका पिंकी पवार, विभाग संयोजक रंजना वर्मा, मुख्य अतिथि डॉक्टर अर्चना मित्तल व कार्यक्रम अध्यक्ष प्रधानाध्यापक के के इंटर कॉलेज डॉ रशिम अग्रवाल ने द्वीप प्रज्वलित कर किया विश्व हिंदू परिषद मेरठ महानगर की यह यात्रा महाआरती के उपरांत नगर भ्रमण पर निकली। यात्रा को विश्व हिंदू परिषद दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय सह संयोजिका पिंकी पंवार जी ने भगवा पताका दिखाकर रवाना किया। इस मां वंदना यात्रा में सैंकड़ों की संख्या में हिंदू समाज एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों की माताएं, बहनें एकत्रित हुई। अनेकों स्थानों पर यात्रा का स्वागत हिंदू समाज ने पुष्प वर्षा कर किया एवं यात्रा में सहभागिता की। यात्रा बालेराम बृजभूषण विद्यालय से चलकर,सेंट्रल मार्किट के प्रमुख बाजार व नई सड़क से होते हुए वापस विद्यालय पहुँची, यात्रा मार्ग पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा व्यवस्था एवं ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रखी थी।


इससे पूर्व मुख्य वक्ता पिंकी पंवार जी ने अपने उद्बोधन में मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी रानी अहिल्याबाई होळकर जी व रानी दुर्गावती के चरित्र का वर्णन किया और कहा न्याय में न शक्ति रही थी, न विश्वास। ऐसे काल की उन विकट परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने हिंदू मंदिरों के लिए जो कुछ किया वह चिरस्मरणीय है, उनके इन्ही आदर्शो को समाज के समक्ष रखने हेतू यह वंदना यात्रा निकली जा रही है। रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए जिस प्रकार युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 1564 ई में बलिदान दे दिया उन्होंने बड़े साहस और कुशल नेतृत्व से मुगल साम्राज्य की ताकत का सामना किया। उन्होंने अपने समय की कई अन्य महिलाओं की तरह, दुश्मन के हाथों में पड़ने के बजाय मौत को गले लगाना स्वीकार किया। उनका नाम प्रचंड रूप वाली हिंदू देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया गया था। दुर्गावती स्वयं दुर्गा का मानव अवतार साबित हुईं। आज उसी प्रकार विश्व हिंदू परिषद दुर्गा वाहिनी इस यात्रा में समस्त हिन्दू समाज की माताओं बहनों को साथ लेकर जातिवाद,भेदभाव एवं ऊँचनीच जैसी राक्षसी विचारधारा का अंत करेगी। आत्म रक्षा के साथ-साथ सनातन धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए बेटियों को शास्त्रों का अध्ययन व शस्त्रों का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए। यह अवसर न केवल मातृशक्ति एवं दुर्गावाहिनी के सम्मान का है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक माध्यम है,समाज में नारी शक्ति के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक प्रयास है। आज समस्त हिन्दू समाज एक नई चेतना को अपने भीतर समाहित कर रहा है पूरे विश्व का हिंदू समाज आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है। जिस भूमि में हमने जन्म लिया है उसे माता मानकर उसकी रक्षा हेतू हमें वचनबद्ध होना पड़ेगा। सामाजिक समरसता के कार्य को अपने जीवन ध्येय मानकर हम सब को कार्य करना होगा।
समस्त हिंदू समाज के प्रयासों से एक नया गौरवशाली, शक्तिशाली,समृद्ध भारत पुनः विश्व का अगुआ बनेगा। संचालन महानगर संयोजिका अंजली बंसल व सह संयोजिका पायल कुच्छल ने किया, मुख्य रूप से विभाग संयोजिका रंजना वर्मा, शिप्रा जी,पूजा गोस्वामी,मोनिका,उपस्थित रहे। यह जानकारी महानगर प्रचार प्रमुख आकाश प्रजापति ने दी।

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