सेंट फ्रांसिस स्कूल-सड़क कर दी हैं संकरी
सरकारी जमीन पर कर लिया है कब्जा, सड़क कर दी हैं संकरी
दिन में दो बार लगने वाले जाम की वजह से हलकान रहता है पूरा इलाका
जनवाणी संवाददाता, मेरठ
मासूमों को स्कूल इसलिए भेजा जाता है ताकि वो अच्छे संस्कार ग्रहण कर सकें, लेकिन कंकरखेड़ा मेन रोड स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल के संचालक जब स्वंय मेनरोड पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर कर रहे हैं तो फिर वहां पढ़ने वाले बच्चे उनके कृत्य से कैसे संस्कार और शिक्षा पा रहे हैं। मासूम बच्चों का मन कोरे कागज की मानिंद होता है, वो जैसा देखता है, वैसा सीखते हैं। माता-पिता बच्चों के भविष्य का निर्माण के लिए जिस स्कूल में उन्हें भेज रहे हैं जब उस स्कूल के संचालक ही सरकारी जमीन पर कब्जा कर आसपास के पूरे क्षेत्र के लिए मुसीबत की वजह बनेंगे तो बच्चे भी फिर वैसा ही कृत्य करेंगे जो स्कूल में जाकर वो देख रहे हैं या सीख रहे हैं। यह ठीक वैसा ही जैसे माता-पिता बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के प्रयास व सपने पर कुठाराघात किया जाना।
कंकरखेड़ा थाना से चंद कदम की दूरी पर मेन रोड स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल की सड़क पर किए गए अवैध कब्जे की वजह से यहां से होकर गुजरे वाले टैÑफिक और आसपास के लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। पूरे शहर से वाया कंकरखेड़ा होते हुए हाइवे की ओर जाने वाली तमाग गाड़िया इस रोड से होकर गुरती हैं। स्कूल के सामने किए गए अवैध कब्जे की वजह से अब तो स्थिति यह हो गयी है कि यहां से गुजरने वाली गाड़ियां पीक आॅवर में हमेशा ही जाम में फंसती हैं। इतना ही नहीं स्कूल संचालक के अवैध कब्जे के चलते इस रोड की क्षमता लगातार घट रही है। गाड़ियों की संख्या के अनुपात में यह रोड अब छोटी पड़ने लगी है। पहले से ही ट्रैफिक का भार झेल रही इस रोड के लिए सेंट फ्रांसिस स्कूल के संचालक बड़ी मुसीबत बन गए हैं। वो ऐसे कि स्कूल के बाहर एक बड़ी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर वहां तारबंदी कर दी गयी है। जब तारबंदी कर दी गयी तो वहां से हटकर ही टैÑफिक के गुजरेगा। जिस जगह यह तार बंदी की गई उसके ठीक सामने लक्ष्य नाम से एक नर्सिंगहोम है। इस नर्सिंगहोम के पास खुद का पार्किंग स्थल नहीं है। यहां भी आने वाले मरीजों, तिमारदारों व डाक्टरों की गाड़ियां रोड पर ही खड़ी होती हैं। एक ओर सेंट फ्रांसिस स्कूल की बिल्डिंग के बाहर मेन रोड पर अवैध कब्जा और सड़क उस पार नर्सिंगहोम की मेन रोड पर पार्किंग आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिन भर खासातौर से पीक आॅवर में जब लोग सुबह के वक्त काम धंधे पर निकलते और शाम के वक्त जब वापस घर लौटते हैं टैÑफिक का प्रेशर होता है तब क्या हाल होता होगा।
लेकिन स्थिति इस से भी बुरी और बदत्तर है। सेंट फ्रांसिस स्कूल लगने के वक्त और स्कूल की छुट्टी के वक्त मुसीबत ज्यादा उठानी पड़ती है। यूं कहने को स्कूल है लेकिन पार्किंग व्यवस्था के नाम पर केवल मेन रोड पर अवैध कब्जा कर वहां पार्किंग के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा है। जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने या लेने के लिए आते हैं उनकी गाड़ियां खड़ी करने के लिए कोई माकूल इंतजाम नहीं है। ऐसे में ये तमाम गाड़ियां मेन रोड पर दूर तक पार्क की जाती हैं। स्कूल लगने के वक्त तो स्थिति इतनी ज्यादा खराब नहीं होती जितनी की छुट्टी के वक्त होती है।
छुट्टी के वक्त से काफी पहले तमाम अभिभावक स्कूल के सामने गाड़ियां लाकर खड़ी कर देते हैं। रोड के दोनों साइड अवैध पार्किंग बन जाती है। सेंट फ्रांसिस के बाहर कब्जा कर जहां तार खींच दिया गया है, वहां पहले से ही अवैध कब्जा है। अवैध कब्जे वाली जगह के सामने बच्चों को लेने व छोड़ने आने वाले अपनी गाड़ियां लगा देते हैं, इससे के बाद यहां से गुजरने वाले टैÑफिक के लिए जगह ही कितनी बचती होगी, लगता है कि इससे कोई सरोकार स्कूल संचालकों को नहीं रह गया है। स्कूल लगने व छूटने के समय भले ही जाम लगे। सड़क हादसा हो, उसमें लोग घायल हो या फिर हादसे में उनकी जान चली जाए, इससे कुछ भी लेना देना नहीं रह गया है।
जबरदस्त नाराजगी
जिनके बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे हैं स्कूल संचालकों के कृत्य से उनमें भी भारी असंतोष है नाराजगी है। नाम ना छापे जाने की शर्त पर अनेक अभिभावकों ने इस संवाददाता के समक्ष सेंट फ्रांसिस स्कूल के संचालक के कृत्य को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनका कहना था कि बच्चों को स्कूल इसलिए भेजा जाता है कि वो बुराई से दूर रहें, अच्छे नागरिक बनें लेकिन जब स्कूल वाले खुद ही सरकारी जमीन पर कब्जा करेंगे तो फिर उनके कैसे यह उम्मीद रखी जा सकती है कि वो बच्चों को बुराइयों से दूर रखने की शिक्षा देंगे। सरकारी जमीन पर कब्जे के उनके कृत्य को जब बच्चे देखेंगे तो इस बात की क्या गारंटी कि वो खुद भी इस प्रकार के कृत्य करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे।
पुलिस बेबस या बेखबर
थाने से चंद कदम की दूरी पर स्थित सेंट फ्रांसिस के सरकारी जगह पर अवैध कब्जा, पार्किंग की समुचित व्यवस्था न होने से दिन में दो बार सड़क पर लगाने वाला जाम कंकरखेड़ा पुलिस को या तो नजर नहीं आता या फिर यह मान लिया जाए कि स्कूल संचालक के आगे पुलिस बेबस है।
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