पचास हजार ई-रिक्शा स्टीकर महज 3426 पर
पुलिस ने कसी कमर, आज से नहीं चलने दी जाएंगी सड़कों पर
मेरठ
महानगर में करीब पचास हजार ई रिक्शाएं हैं जो जाम की वजह बनी हुई हैं। पचास हजार में में से महज 3426 ई रिक्शाएं ऐसी हैं जिनको ट्रैफिक पुलिस वैध मानती हैं। मसलन पचास दिनी अभियान में जिन पर स्टीकर लगाए जा सके हैं। दरअसल महानगर में ई रिक्शाओं की वजह से हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नियम कायदों को रौंदते हुए सड़कों पर बेतहाशा दौड़ रहीं ई रिक्शाओं की सुध ली गयीं। रूट निर्धारण का प्लान बनाया गया। तमाम लोग जमा हुए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। बुधवार को एक बार फिर से आॅपरेशन ई रिक्शा शुरू होने जा रहा है, जिसमें अवैध ई रिक्शाओं की धरपकड़ की जानकारी दी गयी है। इनकी वजह से पूरे शहर का ट्रेफिक डि-रेल हो गया है। पीएल शर्मा रोड, लालकुर्ती पैठ एरिया, सदर बाजार के अलावा शहर घंटाघर का खैरनगर, बैली बाजार, कोटला, कबाड़ी बाजार, लाला का बाजार, शहर सरार्फा बाजार और सबसे बुरा हाल जलीकोठी व अहमद रोड का बना हुआ है। उक्त इलाकों में कई बार तो हालात इतने ज्यादा खराब होता हैं कि पैदल निकला भी दुश्वार हो जाता है।
सुविधा नहीं, मुसीबत ही मुसीबत
शहर में ई-रिक्शा से लोगों को आने-जाने में सुविधा कम मुसीबत ज्यादा हो रही है। ले ई-रिक्शा का चलना शुरू हुआ। इसे सिर्फ मेन रोड में ही चलाने की अनुमति मिली। अब जहां देखो ई-रिक्शा ही दिखाई दे रहा है यह महानगर में ट्रैफिक जाम और एक्सीडेंट का कारण भी बन रहा है। ठोस रूल्स एंड रेगुलेशन नहीं होने के कारण धड़ल्ले से कोई भी ई-रिक्शा खरीदकर या फाइनेंस कराकर रोड पर उतर जा रहा है। ई-रिक्शा वाले अनाप-शनाप किराया लेकर पब्लिक की जेब काट रहे हैं। बढ़ती ई-रिक्शों की संख्या अव्यवस्था फैला रही है। अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध ई-रिक्शों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।
बिजली चोरी व रेवेन्यू लॉस
दूसरी बात यह कि ई रिक्शा की चार्जिंग अस्सी फीसदी घरेलू कनेक्शन से की जा रही है, जो अवैध है। दरअसल जितने ई रिक्शा दौड़ रहे हैं उस अनुपात में पीवीवीएनएल के कामर्शियल चार्जिंग स्टेशन नहीं है। यदि घरेलू कनेक्शन से ई रिक्श की बैट्री चार्ज की जा रही है तो वह भी राजस्व की हानि है।
ना उग्र की सीमा ना लाइसेंस का बंधन
महानगर की सड़कों को रौंद रहे ई रिक्शा के हेंडल जिनके हाथों में नजर आते हैं उनमें अक्सर वो होते हैं जिनके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। जैंडर की बात करना तो बेमान होगा। अक्सर भीड़ वाले इलाकों में किशारों के हाथो में ई-रिक्शा के हैंडल नजर आते हैं या फिर ऐसे उम्रदराज भी ई-रिक्शा दौड़ाते देखे जा सकते हैं जो जिंदगी के सत्तर से ज्यादा बसंत देख चुके हैं। उम्र के इतर कभी भी ई रिक्शाओं के लाइसेंसों की चैकिंग होते नहीं देखी जाती।
वहीं दूसरी ओर एसपी ट्रैफिक राघवेन्द्र कुमार मिश्रा का कहना है कि बुधवार से ई रिक्शाओं के खिलाफ अभियान शुरू किया जा रहा है। सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।