शहर को कोई उम्मीद नजर नहीं आती,
मेरठ / हाईकोर्ट में केस, आईजी नचिकेता झा की फटकार और शहर के लोगों की रोजमर्राह की मुसीबत से बेफिक्र ट्रैफिक पुलिस ने फिलहाल अवैध ई-रिक्शाओं के खिलाफ धूमधड़ाके के साथा शुरू किए गए अभियान की हवा निकाल कर रख दी है। ऐलान किया गया था कि शहर के जाम की वजह सड़कों पर दौड़ रहे अवैध ई रिक्शाओं की धरपकड़ शुरू की जाएगी। यह अभियान बीते बुधवार 9 नवंबर से शुरू किया जाना था। 9 नवंबर आयी और चली भी गयी। आज 11 नवंबर हो गयी, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के अवैध ई-रिक्शाओं की धरपकड़ के अभियान की कोई लोकेशन नहीं मिल रही है। ट्रैफिक पुलिस का यह अभियान केवल अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ रही ई रिक्शाओं के खिलाफ तक नहीं समिति रहने वाला था बल्कि महानगर में जितने भी आटो अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ रहे हैं उनके खिलाफ भी अभियान का प्लान तय गया, लेकिन फिलहाल अवैध ई रिक्शा व आटो के खिलाफ अभियान फाइलों में कैद होकर रह गया लगता है।
60 हजार में से महज
अनुमान है कि मेरठ में करीब साठ हजार ई रिक्शाएं चल रही हैं। इनमें से करीब चालिस हजार से ज्यादा ई रिक्शाएं ऐसी हैं जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। वैसे जहां तक अवैध ई रिक्शा की परिभाषा की बात है तो टैÑफिक पुलिस ने उन सभी ई-रिक्शाओं जिन पर स्टीकर नहीं लगा है अवैध की श्रेणी में रख है। यदि टैÑफिक पुलिस जानकारी की बात करें तो महज 3426 ई रिक्शाएं ऐसी हैं जिन पर स्टीकर लगाए गए हैं तथा जिनकों यह रूट आवंटन किया गया है मसलन कौन सी ई रिक्शा किस जोन में चलेगी। दरसअल महानगर को जाम की मुसीबत से निकालने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने महानगर के चार जोन में बांट दिया है। उम्मीद की जा रही थी कि केवल आवंटित जोन में ही ई रिक्शाओं को सख्ती से संचालन कराया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अवैध ई रिक्शाओं के खिलाफ तमाम दावे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। दिन की शुरूआत के साथ ही जाम की मुसीबत से दो-चार होने वाले शहर के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। अभियान की कोई सूरत फिलहाल नजर नहीं आ रही है।
हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद भी यह हाल
यह हाल तो तब है जब हाईकोर्ट में मेरठ की अवैध ई रिक्शाओं को लेकर रिट दायर की गयी है। इसको लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। यह सुनवाई भी चीफ जस्टिस की कोर्ट में चल रही है। कोर्ट ने मेरठी अफसरों से अवैध ई रिक्शाओं की वजह से लगाने वाले जाम की मुसीबत से शहर को लोगों के निजात दिलाने के लिए रिपोर्ट तलब की है। लेकिन निजात दिलाना तो दूर की बात रही अभी तो यह अभियान ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है।
मुसीबत ही मुसीबत
शहर में ई-रिक्शा से लोगों को आने-जाने में सुविधा कम मुसीबत ज्यादा हो रही है। ले ई-रिक्शा का चलना शुरू हुआ। इसे सिर्फ मेन रोड में ही चलाने की अनुमति मिली। अब जहां देखो ई-रिक्शा ही दिखाई दे रहा है यह महानगर में ट्रैफिक जाम और एक्सीडेंट का कारण भी बन रहा है। बढ़ती ई-रिक्शों की संख्या अव्यवस्था फैला रही है। अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध ई-रिक्शों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।
ना उग्र की सीमा ना लाइसेंस का बंधन
महानगर की सड़कों को रौंद रहे ई रिक्शा के हेंडल जिनके हाथों में नजर आते हैं उनमें अक्सर वो होते हैं जिनके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। जैंडर की बात करना तो बेमान होगा। अक्सर भीड़ वाले इलाकों में किशारों के हाथो में ई-रिक्शा के हैंडल नजर आते हैं या फिर ऐसे उम्रदराज भी ई-रिक्शा दौड़ाते देखे जा सकते हैं जो जिंदगी के सत्तर से ज्यादा बसंत देख चुके हैं। उम्र के इतर कभी भी ई रिक्शाओं के लाइसेंसों की चैकिंग होते नहीं देखी जाती।
वर्जन
अवैध ई रिक्शाओं के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले मनोज चौधरी ने बताया कि वह रिजॉइंटर दायर करेंगे। संभवत 15 नवंबर को अगली सुनवाई होगी
एसपी ट्रैफिक राघवेन्द्र कुमार मिश्रा का कहना है कि अवैध ई रिक्शाओं के खिलाफ काफी काम किया जा चुका है। स्टीकर चस्पा किए गए हैं। बगैर स्टीकर वाली गाड़ियों अवैध हैं।