अफसरों की करनी टीचरों को पड़ी रही भरनी,
मेरठ-कोर्ट और शासन के स्पष्ट आदेशों के बाद भी माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने प्रदेश के दो हजार तदर्थ शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं कराया। शासन ने संबंधित अफसरों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है। जयाच संतोषजनक नहीं मिलने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है। वर्ष 2000 के पूर्व के दो हजार तदर्थ शिक्षकों को पिछले सवा साल से वेतन और भत्ते का भुगतान नहीं हो रहा है। यह स्थिति तब है जब इन शिक्षकों के वेतन-भत्ते के भुगतान के लिए कोर्ट के बाद शासन ने भी स्पष्ट आदेश किया हैं। विभागीय अधिकारियों ने तकनीकी कारण बताकर इन तदर्थ शिक्षकों के मामले लटका रखे हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी की माने तो यह अधिकारियों का दुस्साहस है कि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय केआदेश के अनुपालन में जारी राजाज्ञा के बावजूद भी अभी तक पिछले सवा साल से रुके वेतन का भुगतान शुरू नहीं हो सका है। दूसरी तरफ शिक्षा अधिकारियों के इस उपेक्षा पूर्ण रवैयेपर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने अत्यंत गहरी नाराजगी जाहिर की है और शासन का इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।
टीचरों को भरना पड़ रहा खामियाजा
संगठन के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बयान जारी कर कहा है कि संगठन लगातार इस मामले की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करता चला आ रहा है। सारे आदेश के बाद भी शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के बलते पिछले सितंबर 2023 से अधिकारियों की मनमानी के कारण वर्ष 2000 तक कार्यरत दो हजार से अधिक तदर्थ शिक्षक भुखमरी के कगार पर है। हर स्तर पर आदेश भी जारी है लेकिन शिक्षक अधिकारियों की गलतियों एवं हठधरमिता का खामियाजा भुगतने पर विवश है। शिक्षक नेताओं ने बताया कि कोर्ट और विभागीय आदेश के तहत इन सभी तदर्थ शिक्षकों को बिना किसी व्यवधान के एरियर सहित नियमित वेतन भुगतान करने के स्पष्ट आदेश जारी होने पर भी वेतन का भुगतान नहीं होने से शिक्षकों नाराजगी है।