सुरों की सजी थी मस्ती भरी महफिल,
MEERUT/स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय के मंच कला विभाग के द्वारा ग्वालियर घराने की विविध गायन शैलियां (ख़्याल, टप ख्याल, चतुरंग अष्टपदों तराना, टप्पा) तीन दिवसीय (05 से 07 dec 2024) के व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसके बीज वक्ता ग्वालियर घराने के सुप्रसिद्धगायक वे उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत जी उपस्थित रहे। कार्यशाला के दूसरे दिन दिनांक 6/12/2024 को इन्होने विद्यादार्थियों व को राग यमन में ग्वालियर घराने के परम्परागत् विलंबित ख्याल एकतालमें एक रचना को सिखाया। रचना के बोल इस प्रकार से है जिया मानत नाही, कैसे समझाऊ समझत नाही कैसे कहू तुमरे दरस बिन। अंतरा तुम बिन मोरी कों खबर ले, पिया अब तो आजा घरवा। उक्त बंदिश में प्रो जयंत खोत् जी ने विद्यार्थियों को एक ताल में गठित बंदिश को परंपरागत्
तरीके से सिखाया जिसमे उन्होंने बंदिश के अलाप, बोल बाँट, लयकारी, बहलावा, तान भी विद्यार्थियों को सिखाया सभी विद्यार्थियों ने भी अंत्यंत आनंद पूर्वक बंदिश को ग्रहण किया। इसके पश्चात प्रो खोत् जी ने विद्यार्थियों को टप ख्याल के बारे में बताया। जिसमे उन्होंने ग्वालियर घराने के परंपरागत कुछ टपख्याल् भी सिखाया जिसके बोल कुछ इस प्रकार से है ताल तिलवाड़ा राग यमन स्थायी तुम तो साहेब जमाने औलिया मिले हैदरकरार अंतरा हूंबाजे तिहारे है दरत ध्यान हज़रत तुरक मान उक्त टप ख़्याल में प्रोफेसर खोट जी ने टप्पा अंग की फ़िरत बोलबात विभिन्न लेकरियां और कुछ तानों को भी विद्यार्थियों को सिखाया। इसके अतिरिक्तकुछ टप ख़्याल ओर राग यमन में कुछ द्रुत ख़्याल की बंदिशों को भी विद्यार्थियों के साथ साझा किया यथा टप ख़्याल तुम तो हो अपरंपार पालनहार गवां के……… दुत ख़्याल तीनताल करीम करतल गरीब नवाज… द्रुत एकताल जाने दो मोहे बनवारी…।
इसके अतिरिक्त प्रोफेसर खोट जी ने अपने गुरु द्वारा सीखीगई संगीत शिक्षा को विद्यार्थियों के साथ साझा किया जिससे विद्यार्थियों को किस प्रकार से अपनी सांगीतिक शिक्षा को अग्रसर करें लाभ मिला। इसके अलावा कुछ विद्वान कलाकारों की भी सांगीतिक चर्चाएं विद्यार्थियों से साझा की। मध्यांतर के पश्चात् प्रोफेसर खोट जी ने विद्यार्थियों को उपर्युक्त सिखाए हुए ख्याल एवं टप ख़्याल को पुनः दोहराया जिससे कि विद्यार्थियों को अच्छी तरह से कंठस्थ हो सके और याद रहे।