सीएमओ की नाक के नीचे ये क्या हो रहा है

सीएमओ की नाक के नीचे ये क्या हो रहा है
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सीएमओ की नाक के नीचे ये क्या हो रहा है,

मेरठ/सीओओ आफिस में टेंडर में खेल का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता अंकित चौधरी के नेतृत्व एक प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया। ज्ञापन में अंकित चौधरी ने कहा है कि पूर्व में भी अपंजीकृत एनजीओ को नियम विरुद्ध वैक्सीनेशन कराने की परमिशन देना और अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा जिसमें उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर महेश चंद्रा मुख्य रूप से शामिल हैं। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी होते हुए इनको अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर के महत्वपूर्ण चार्ज दिए गए हैं। इन्होने अपने पसंदीदा वेंडर को टेंडर दिलाने के लिए अन्य फर्मो द्वारा डाली गई निविदा को भी बिना कारण बताए डिसक्वालीफाई कर दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अंतर्गत विभागीय कार्य हेतु आॅनलाइन पोर्टल के द्वारा टैक्सी परमिट वाहन टेंडर के माध्यम से चलाए जाते हैं। 10 वर्षों से बजरंग ट्रैवल्स द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अंतर्गत टैक्सी वाहन चलाए जा रहे थे। वर्तमान में अन्य ट्रैवल्स द्वारा टैक्सी वाहन की सुविधा दी जा रही है। आरोप है कि लेकिन बजरंग ट्रेवल्स द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों से मिलीभगत कर तकनीकी बिड में अन्य फर्मों को नियम विरुद्ध तरीके से डिसक्वालीफाई करवा कर अपनी फर्म की तकनीकी स्वीकृत कराकर टेंडर लेने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में जो ट्रेवल्स एजेंसी टैक्सी परमिट वाहन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में उपलब्ध करा रही है उसे फर्म को भी तकनीकी तौर से बिना कारण बताएं डिसक्वालीफाई कर दिया गया
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में टेंडर जेम पोर्टल के द्वारा किए जाते हैं टेंडर पूर्ण करने की अवधि 45 दिनों से 90 दिनों तक रहती है यदि 90 दिन के अंदर टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की जाती है तो टेंडर को निरस्त कर दोबारा टेंडर निकाला जाता है, लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा इस नियम की अनदेखी कर टैक्सी परमिट वाहनों का टेंडर 6 महीने बाद खोला जा रहा है और जिस फर्म को डिसक्वालीफाई किया जाता है उसका कारण और 2 दिन का समय संबंधित फर्म को दिया जाता है बिना कारण और दो दिन का समय दिए बिना किसी भी फर्म को डिसक्वालीफाई नहीं किया जा सकता है लेकिन इनके द्वारा अपनी पसंदीदा फर्म को तकनीकी तौर से क्वालीफाई किया गया है और अन्य फर्म को बिना कारण बताएं डिसक्वालीफाई कर दिया गया। ज्ञापन देने वालों में सौरभ पंडित, नित्यम राजपूत, रोहताश शर्मा, सौरव खत्री, अंकुर भड़ाना, अभिषेक जैन, अभिलाष तोमर आदि भी शामिल रहे।

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