पुलिस खेल रही जांच-जांच,
मेरठ/परीक्षितगढ़ थाना के गांव अमरसिंह पुर के जंगलों मे 16/17 जून को प्रियांक पुत्र संजीव वर्मा की हत्या मामले में परीक्षितगढ़ और लोहिया नगर थाना पुलिस में जांच घूम चुकी है, अब तक तीन जांच हो चुकी हैं। चार थानेदारों के हाथों से हत्या कांड़ फाइल होकर गुजर चुकी है अब एक और जांच के नाम पर एसआईटी बना दी गयी है। सिस्टम कैसे काम कर रह है इसकी एक वानगी भर देखिए। जवान बेटे के खुले घूम रहे हत्यारों की गिरफ्तारी को पिता सीएम व डीजी से मिल चुका है। इनके अलावा एडीजी, तत्कालीन आईजी व एसएसपी से गुहार लगा चुका है, लेकिन पुलिस अभी तक जांच-जांच खेल रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि फॉरेसिंक जांच और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी हत्या की बात साबित कर रही है, लेकिन पीड़ित परिवार को अभी हत्यारों की गिरफ्तारी का इंतजार है।
यह हुआ था।
परीक्षितगढ़ के अमरसिंहपुर निवासी प्रियांशु वर्मा का 16/17 की रात को गोली लगा शव गांव के जंगलों में बरामद हुआ था। जहां शव मिला था, वहां गाड़ियों के टायरों के निशान पाए गए। इस मामले में सुशील शर्मा, योगेन्द्र शर्मा, नाई परवेज व अपर्ण शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा काम किया गया था। लेकिन परिजनों का आरोप है कि हत्या की इस वारदात को परीक्षितगढ़ पुलिस ने पॉलटिकल प्रेशर के चलते आत्महत्या बताना शुरू कर दिया। इतना ही नही आत्महत्या के पर्चे भी काट दिए। परिजनों की आपत्ति पर जांच थाना लोहिया नगर ट्रांसफर हो गई। वहां तत्कालीन इंस्पेक्टर ने जांच की। उन्होंने हत्या की वारदात मानते हुए हत्या की धाराओं में पर्चे काटने शुरू कर दिए। इस बीच तत्कालीन इंस्पेक्टर का तवादला हो गया। उसके बाद दूसरे जांच अधिकारी अनिल कुमार ने मौका मुआयना किया तो हत्या की धाराओं में पर्चे काटने शुरू कर दिए, लेकिन अनिल कुमार का भी तवादला हो गया। उनके बाद विष्णु गौतम लोहिया नगर थाना पहुंचे। उन्हें ये केस हत्या का नहीं लगा। उन्होंने आत्महत्या के पर्चे काटने शुरू कर दिए। यह बात जब मृतक के पिता संजीव वर्मा को पता चली तो उन्होंने गुरूवार को एसएसपी से मुलाकात की। अब एक और जांच का आदेश देते हुए एसआईटी गठित कर उसको जांच सौंप दी है। मृतक के पिता का कहना है कि फॉरेसिंक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट चीख चींख कर हत्या की बात कह रही है।