Cant DEO को डबल झटका

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Cant DEO को डबल झटका,

33 साल बाद अवैध निर्माण कार्रवाई के नोटिस पर कोर्ट गंभीर
कैंट के पुराने बंगलों में चल रही कारोबारी गतिविधियों को लेकर दिए गए नोटिस
मेरठ/ डीईओ (रक्षा संपदा अधिकारी) आॅफिस को कोर्ट और मिनिस्ट्री से 33 साल पुराने एक निर्माण पर कोर्ट और व मिनिस्ट्री से झटका लगा है। वहीं दूसरी ओर 33 साल पुराने निर्माण को लेकर मिनिस्ट्री के निर्देशों के बावजूद जल्दबाजी दिखाने के भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि इस मामले में एक बार निर्देश दिए जाने के बावजूद कार्रवाई को लेकर चेतावनी के अंदाजा में भेजे गए पत्र के बाद मिनिस्ट्री की ओर से बैरियर की तर्ज पर दिए गए आदेश को डीईओ के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह मामला यही नहीं खत्म हुआ। जिस निर्माण को तोड़ने पर अमादा थे, उस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के बाद पुराने स्टे को यथावत कर दिया। इतना ही नहीं पूर्व में दिए गए आदेश को भी निरस्त कर दिया गया जिसके आधार पर डीईओ कार्रवाई पर उतारू थे। साथ ही इस मामले को लेकर कोर्ट में जाने वालों को भी कड़ी फटकार लगायी गयी। मामला कैंट स्थित ऋषभ एकडेमी में 90 के दशक में ऋषभ कराए गए निर्माणों से जुड़ा है। जिसको लेकर अवैध निर्माण के नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस जारी कर डीईओ आफिस आगे की कार्रवाई को 33 साल तक बिसराए रहा। येन-केन-प्रकरेण एकाएक अवैध निर्माणों के सापेक्ष दिए गए नोटिसों पर कार्रवाई की याद आ गयी। इतना ही नहीं इसके लिए मियाद भी तय कर दी गयी। दरअसल हुआ यह कि डीईओ आफिस के नोटिस के बाद संभावित कार्रवाई के खिलाफ जो स्टे कोर्ट से हासिल किया था वह वैकेट हो गया था। एक तरफा सुनवाई के चलते ऐसा हुआ। हालांकि अब इस मामले में राहत ही नहीं ऋषभ को डबल राहत मिली है और ऋषभ को मिली यह राहत ऋषभ को डीईओ आॅफिस की मार्फत गिरवाने पर अमादा रणजीत जैन आदि के लिए आगे के दिन मुश्किल भरे माने जा रहे हैं। इस संबंध में ऋषभ के सचिव डा. संजय जैन ने बताया कि वर्तमान में ऋभष एकाडेमी से कोई संबध न होने के बाद भी रणजीत जैन व शरद जैन ने इस मामले में खुद को एक पार्टी के रूप में कोर्ट में पेश किया। सुनवाई के द्वारा उनकी दलीलें खारिज करते हुए पूर्व में दिया गया स्टे यथावत कर दिया है।
नोटिस दिया कार्रवाई कब
कैंट स्थित डीईओ के एक दर्जन से ज्यादा बंगलों में कारोबारी गतिविधियों को लेकर दिए गए नोटिसों के बाद कार्रवाई में देरी पर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि जो नोटिस दिए गए उनको लेकर क्या कार्रवाई की गयी। सूत्रों की मानें तो कई ऐसे भी बंगले हैं जिनमें जो लोग व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं उन पर मालिकाना हक तक नहीं है। इतना ही नहीं इन तमाम बंगलों में चेज आॅफ परपज, सब डिविजन आॅफ साइट और बडेÞ स्तर पर अवैध निर्माण तक हैं, फिर ऐसी क्या वजह रही जो नोटिस दिए जाने के बाद कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि चर्चा है कि ऋषभ पर कार्रवाई कर बाकियों को संदेश की तैयारी थी, लेकिन ऐसा हो ना सका। इस संबंध में डीईओ आफिस से जब संपर्क किया तो वहां बात नहीं हो सकी।
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