वायरल हो रहा-जरुर पढें और फैसला लें

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वायरल हो रहा-जरुर पढें और फैसला लें,

👉 सत्ता में आने के बाद जो दल,(भाजपा )गिरगिट की तरह रंग बदलता हैं, और जीतते ही जिस दल के प्रतिनिधि, हमारी भी वोट से विधान सभा और लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होते हैं और निर्वाचित होने पर आंख दिखाने लगते हैं और जिस सरकार उ प्र के नगर विकास मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा, आपके सफाई कर्मी जैसे रोज़गार तक को ठेकेदारी के जंजाल से निकलने ना दें रहें हों, सुबह ५ बजे आपकी हमारी मां बहन बेटी को कैमरे के सामने कार्य कराने को मजबूर करतें हों , पल पल केवल सफाई कार्य पर ही कड़ी नज़र रखतें हों , सफाई कर्मियों का मानदेय बढ़ाने और ठेकेदारी खत्म की बात होते ही आग बबूला हो जातें हों, रोजगार की बात होते ही तोहमत लगाने लगते हों, कि सफाई कर्मी तो काम ही नहीं करते, जबकि सफाई कर्मी, ६५,७० हजार पगार वाले काम को,१२,०१५/- बारह हजार पंद्रह रुपए में कर रहे हैं, तो भी तोहमत देने से बाज़ नहीं आते हों , तो क्या ऐसे दल के उस प्रत्याशी को वोट देना चाहिए, जिसे सफाई कर्मियों की दिक्कतों का द भी न पता हो तो ऐसे प्रत्याशी को वोट देना, अपने लिए अपने समाज और परिवार के लिए कुआं और खत्ती खोदने जैसा है, इसलिए अपना ज़मीर जगाएं और भाजपा को मात देने वाले प्रत्याशी को जिताएं , चूंकि जिसे आप जीत दिलाने के लिए वोट करेंगे, कम से कम वो भाजपा के बराबर का दमनकारी तो नहीं होगा, इसलिए सबसे बडे दमनकारी को रोकने के लिए अगर छोटे को वोट देना पड़े तो दीजिए, लेकिन बड़े गुनहगार भाजपा को बिल्कुल वोट मत दो, ये उस संविधान के भी खिलाफ है , जिस संविधान की बदौलत हम जिंदा हैं, आप जानते हैं कि आरक्षित नौकरियों को इन्होंने ही आऊटसोर्सिंग/ठेकेदारी में झोंक कर, आरक्षण को भी खत्म कर दिया है,आप जिस अरमान से अपने बच्चों को पढा रहे हैं,उसकी शिक्षा और रोजगार का तो रास्ता इन ज़ालिमो ने खत्म कर दिया है, इसलिए अपने बच्चों के मुस्तकबिल के लिए अरुण गोविल मेरठ से भगाएं, इन्हें राम मत समझो, ये सबरी से भेदभाव करने वाला राम है इसलिए इसको वोट न करें।
👉 लोकसभा सांसद प्रत्याशी श्री अरुण गोविल जी ने और भाजपा महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज ने दलित के घर भोजन नहीं किया, लेकिन जैसे ही कैमरा सामने आया तो दोनों अस्पृश्यता वादी नेता (अरुण गोविल+ ऋतुराज ) ने जीभ को इस तरह मुंह में घुमाना और उंगली चाटना शुरू कर दिया जैसे वाकई भोजन किया है,
लेकिन अपवाद भी दिखा है कमल दत्त शर्मा जी और अमित अग्रवाल जी ही भोजन ग्रहण करते दिखाई दें रहें हैं, और दोनों (कमल दत्त शर्मा, अमित अग्रवाल) में से कोई भी मेरठ हापुड़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नहीं है, तो फिर वोट छुआ-छूत वादी अरुण गोविल को क्यों?
सफाई कर्मी वाल्मीकि समाज को विचार कर, अरुण गोविल को भगाना होगा,
👉 अरुण गोविल को हराने का इसलिए भी फैसला करें, क्यों कि अरुण गोविल जी ने दलित के घर भोजन नहीं किया बल्कि दलित प्रेम का ढोंग किया है,आप समझ सकते हैं कि जो शख्स दलित की दिक्कतों और दर्द का (द )भी न जानता हो तो वह आपका दर्द कैसे दूर कर सकता है, जब डा लक्ष्मीकांत वाजपेई जी, राजेन्द्र अग्रवाल जी, दूर नहीं कर सकें तो अरुण गोविल कैसे दूर कर सकते हैं, आपने (वाल्मीकियों ने) डा लक्ष्मीकांत वाजपेई की जान तक बचाई, उन्हें अनेकों बार विधायक बनाया, जिसका शुभ परिणाम यह हुआ था कि डा लक्ष्मीकांत भाईसाहब, भाजपा के उ प्र अध्यक्ष बने और आज़ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा राज्य सभा सांसद हैं फिर भी डा लक्ष्मीकांत वाजपेई भाईसाहब के एजेंडे में वाल्मीकि दूर दूर तक नहीं है, जिसका प्रमाण यह है कि डा लक्ष्मीकांत भाईसाहब, नगर निगम मेरठ के २२१५ सफाई कर्मियों की समस्या लेकर कभी भी उ प्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज तक नहीं ले गए, वाजपेई जी के एजेंडे में सुनार और उच्च/सामान्य वर्ग हैं जिन्हें वे देश की वित मंत्री जी तक भी लेकर गए और सुनारों की समस्या को उन्होंने माननीय वित्त मंत्री जी के समक्ष प्रमुखता से रखा,
सांसद राजेन्द्र अग्रवाल  ने अनेकों बार सफाई कर्मियों की समस्याओं के संदर्भ में नगर आयुक्त नगर निगम मेरठ को बुलाने के लिए अपने रिश्तेदार और अहंकारी निजी सचिव हर्ष गोयल को बुलाने को कहा था, हर्ष गोयल  ने नगर आयुक्त नगर निगम मेरठ को बुलाने की जरूरत नहीं समझी, जिसका हश्र यह हुआ है कि आज़ नगर निगम मेरठ के २४१५ सफाई कर्मी, पशुवत जीवन जी रहे हैं, सफाई कर्मियों ने और सफाई कर्मी प्रतिनिधियों ने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बताया कि २९ अप्रैल २०१५ के सफाई कर्मी विरोधी शासनादेश को निरस्त करा दीजिए, अनेकों पत्र लिखें लेकिन सांसद  राजेन्द्र अग्रवाल  और सांसद डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई जी ने गौर नहीं किया, इसलिए 🙏🏼हाथ जोड़कर विनती है कि भाजपा को बिल्कुल वोट न दें।
👉 भाजपा संगठन में किसी मेरठ के भाजपा कार्यकर्ता को सम्मान नहीं दिया गया, केवल मोर्चा में समायोजित किया जाता है, उ प्र सरकार में वाल्मीकि समाज का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, अनुप वाल्मीकि  को इतना भी अधिकार नहीं है कि उ प्र मे वह सफाई कर्मी के रोजगार को ठेकेदारी से मुक्त करा दें और सभी कच्चे सफाई कर्मियों को पक्का करा सकें, यह सब जातिवाद नहीं तो और क्या है।

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