मुनि श्री अनुसरण सागर जी के प्रवचन, श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस मेरठ में मुनि श्री अनुसरण सागर जी महाराज के प्रवचन हुए। सभी ने इसका धर्म लाभ उठाया। मुनिश्री के आगमन से सकल जैन समाज बहुत खुश है। सभी लोग मुनिश्री के प्रवचन सुनने को आतुर हैं लालायित हैं। मुनिश्री जी महाराज का कहना है कि सौभाग्य और पुण्यउदय से मिला है मानव जीवन। प्रातः 7:00 बजे अनुसरण सागर जी महाराज द्वारा मंदिर जी में अभिषेक एवं शांति द्वारा कराई गई। जिसके पश्चात परम पूज्य आचार्य अभिनंदन सागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री अनुसरण सागर जी महाराज ने असौड़ा हाउस में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन बड़ा मूल्यवान होता है। इसे समझना और सहेजकर रखना हमारा परम कर्तव्य है। शास्त्र कहते हैं-जब अनेक जन्मों के पुण्य उदय होते हैं तब कहीं जाकर मनुष्य योनि प्राप्त होती है। यह जीवन दुर्लभ है। ईश्वर ने हमें अन्य सभी जीवों से श्रेष्ठ बनाया है। बुद्धि और विवेक दिया है। इसका हमें सदुपयोग करते हुए मानव जीवन के मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। संसार के समस्त प्राणियों को जीवन के विकास के लिए परुत्सार्थ करना पड़ता है जबकि पृथ्वी जल अग्नि वायु और वनस्पति को कभी स्वयं को नहीं चलाना पड़ता फिर भी अदृश्य गतिमान रहकर प्रभावित करते हुए अपने स्वभाव के अनुरूप परिणाम प्रदान करते हैं मनुष्य तथा अन्य सभी प्राणियों के स्वभाव मैं इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता इसी कारण कर्म एवं काल के अनुसार अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थिति को उन्हें झेलना पड़ता है संसार में अनंत प्राणी हैं लेकिन मानव जीवन निश्चित तौर पर सौभाग्य और पुण्यउदय से मिलता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अर्थ समझो, ऐसा समझो की यह व्यर्थ न चला जाए। यह मानव जीवन अनेक पुण्यकर्मों का फल है। इसलिए इसको अच्छे कामों व सत मार्ग में लगाएं। सहयोग में सुभाष रमेश कपिल अमित अनामिका दीपा अजय उमेश शौर्य रचित आदि उपस्थित रहे। प्रचार संयोजक राकेश कुमार जैन रहे।