प्राण गए तो डीएम जिम्मेदार: अविमुक्तेश्वरानंद सूबे की यूपी सरकार के लिए नयी मुसीबत खड़ी हो गयी है। यह मुसीबत द्धारिका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी माने जाने वाले शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की वजह से बताया जा रहा है। जिन्होंने अपना अन्न जल त्याग दिया है। वह आमरण अनशन पर हैं। इसको लेकर भाजपा में भी गहरी चिंता है। वहीं दूसरी ओर साधु संत भी इसको लेकर दो खेमों में नजर आ रहे हैं। संतों का कहना है कि भाजपा सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे। मामला एक संत के जीवन से जुड़ा है। दरअसल अविमुक्तेश्वरानंद, ज्ञानवापी प्रकरण में मिले शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जिद पर अड़े स्वामी अविमुक्तेस्वरानंद का वजन 5 किलो घट गया है. वे बीते चार दिनों से अन्न-जल का त्याग किए हुए हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है, ‘अगर मेरे प्राण गए तो इसके जिम्मेदार जिलाधिकारी और जिले के पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी होंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कही नहीं लिखा है कथित शिवलिंग. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है शिवलिंग को ड्यूल प्रोटेक्शन दें. जिलाधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर पूजन से रोक रखा है. जिलाधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुकदमा करूंगा. अयोध्या से संत को बुलाकर पूजा करवाई जा रही है लेकिन काशी के संत को मठ में कैद कर लिया गया है.’ वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी प्रकरण में मुस्लिम पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत दिया गया प्रार्थना पत्र अदालत ने खारिज कर दिया है. एडवोकेट राजा आनंद ज्योति सिंह ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन और 1000 अज्ञात के खिलाफ धार्मिक भावना को आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. इस बीच बड़ी एक और है, जिसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रहे सिविल जज रवि दिवाकर को धमकी मिली है. इस्लामिक अगाज मूवमेंट ने की ओर से धमकी भरी चिट्ठी भेजी गई है. जज ने अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है.