खेती के प्राकृतिक तरीकों की पैरवी, मेरठ के मोदीपुरम स्थित कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे गुजरात के राज्यपाल महामहिम आचार्य देवव्रत ने खेत व किसानी के परंपरागत व प्राकृतिक तरीकों की न केवल पैरवी की बल्कि उन्होंने किसानों को चेताया कि रसायनिक खेती उचित नहीं। यह भूमि को बंजर बना रही है। उसकी उर्बरकता को नष्ट कर रही है। इसलिए बेतर यही होगा कि परंपरागत तरीकों से खेती की जाए। रसायनिक पदार्थों से परहेज बरता जाए। ये उचित नहीं हैं। घातक हैं। किसानों को इनसे बचना चाहिए। रसानिक पदार्थ प्रयोग कर जो अनाज पैदा किया जाता है वह भी ठीक नहीं। इसलिए किसानों को परंपरागत तरीके ही अपनाने होंगे। मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को प्राकृतिक खेती से कृषि समृद्धि विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत रहे। वहीं, विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय कुमार बालियान और बलदेव सिंह औलख रहे। डॉ. आरके मित्तल कुलपति ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने मेरठ के सरदार पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में किसानों को संबोधित किया। आचार्य देवव्रत ने कहा कि देश की जमीन और किसान को प्राकृतिक खेती ही समृद्ध कर सकती है। अब उत्तर प्रदेश में भी प्राकृतिक खेती की शुरुआत की जाएगी। कहा कि जितना रासायनिक खेती ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है उतनी ही जैविक खेती भी है। इस संकट की घड़ी में कृषि वैज्ञानिकों को प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करना होगा। प्राकृतिक खेती में जहां लागत कम लगती है वहीं किसानों की आय दोगुनी होती है। ‘उर्वरकों के प्रयोग से बंजर हो रही भूमि’ कहा कि उर्वरकों के प्रयोग से हमारी भूमि बंजर होती जा रही है। किसान गाय के मूत्र और गोबर से अपने खेतों में फिर से सूक्ष्म जीवाश्म पैदा कर सकते हैं। उन्होंने अपने खेतों में पैदा की जा रही फसलों का भी उदाहरण दिया।कहा कि प्राकृतिक खेती से जहां जमीन बच रही है, वहीं किसान की आय 4 गुनी हो रही है।