महिला को हासिल है अबॉर्शन का कानूनी अधिकार, अबॉर्शन किसी भी महिला के लिए बेहद पीडा दायक शब्द है, लेकिन इमरजैंसी हालत से निपटने काे महिलाओं को अबॉर्शन का कानूनी अधिकार हासिल है. आइये देते हैं इसके अलावा अन्य अधिकारों की भी जानकारी.
अबॉर्शन का अधिकार
किसी भी महिला के पास अबॉर्शन का अधिकार होता है यानी वह चाहे तो अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को अबॉर्ट कर सकती है. इसके लिए उसे अपने पति या ससुरालवालों के सहमति की जरूरत नहीं है. The Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 के तहत ये अधिकार दिया गया है कि एक महिला अपनी प्रेग्नेंसी को किसी भी समय खत्म कर सकती है. हालांकि, इसके लिए प्रेग्नेंसी 24 सप्ताह से कम होनी चाहिए. लेकिन स्पेशल केसेज़ में एक महिला अपने प्रेग्नेंसी को 24 हफ्ते के बाद भी अबॉर्ट करा सकती है.
संपत्ति का अधिकार
ज्यादातर महिलाओं या लड़कियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि शादी के बाद भी वो अपने माता-पिता की संपत्ति में हकदार होती हैं. साल 2005 में The Hindu Succession Act, 1956 में संशोधन किया गया. इसके तहत एक बेटी चाहे वह शादीशुदा हो या ना हो, अपने पिता की संपत्ति को पाने का बराबरी का हक रखती है.
दहेज और उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
आपने अक्सर ऐसे मामले सुने होंगे, जिसमें दहेज के चलते महिलाओं को काफी कुछ सहना पड़ता है. आपको बता दें कि हमारे देश में महिलाओं को Dowry Prohibition Act 1961 के तहत ये अधिकार दिया गया है कि अगर उसके पैतृक परिवार या ससुरालवालों के बीच किसी भी तरह के दहेज का लेन-देन होता है, तो वह इसकी शिकायत कर सकती हैं. वहीं, IPC (Indian Penal Code, 1860) की धारा 304B (दहेज हत्या) और 498A (दहेज के लिए प्रताड़ना) के तहत दहेज के लेन-देन और इससे जुड़े उत्पीड़न को गैर-कानूनी और अपराध बताया गया है.
अकेली नहीं महिला की जिम्मेदारी
Women Legal Rights in India : शादी एक ऐसा रिश्ता होता है, जो दो लोगों को ही नहीं बल्कि दो परिवारों को आपस में जोड़कर रखता है. इस बंधन को निभाने में जितनी जिम्मेदारी पत्नी की होती है, उतनी ही पति की भी होती है.