जून 2025 तक रैपिड सुविधा, देश की पहली रैपिड रेल का कार्य तेजी से गति पकड़ता जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा दी गई समय अवधि से पहले ही जनता को रैपिड रेल का उपहार दिया जा सकता है। मेरठ के 82 किलोमीटर के कॉरिडोर में 17 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड सेक्शन में से 65 किलोमीटर लंबे सेक्शन में नींव का काम पूरा कर लिया है और लगभग 50 किलोमीटर से अधिक लंबे सेक्शन में पियर्स बनाए जा चुके हैं। वहीं संपूर्ण कॉरिडोर के लिए एलिवेटेड सेक्शन में 1800 से अधिक पियर्स बनाए जा चुके हैं और साथ ही अब तक 30 किलोमीटर आरआरटीएस वायडक्ट का निर्माण भी हो चुका है। महामारी के बीच भी चलता रहा काम% सरकार का वादा है कि जून 2025 तक देश की पहली रैपिड रेल जनता को दे दी जाएगी। इसके लिए एनसीआरटीसी को प्रायोरिटी सेक्शन के लिए सरकार ने जून 2023 का और पूरे कॉरिडोर के लिए जून 2025 का समय दिया था। वहीं जब पूरा विश्व कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार झेल रहा था तो अपने कुशल नियोजन और उन्नत तकनीक के प्रयोग से देश की पहली रीजनल रेल का काम उस वक़्त भी निरंतर और निर्बाध रूप से चलता रहा। यही कारण है कि इस परियोजना का समय से पहले पूरा होना संभावित है। अधिकारियों का दावा है कि प्रायोरिटी सेक्शन का संचालन मार्च 2023 तक और मेरठ मेट्रो समेत पूरे कॉरिडोर का संचालन 2025 के आरंभ में संभावित है। 14 हजार से अधिक कर्मचारी कर रहे काम% 30,274 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला ये प्रॉजेक्ट पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा। 82 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के निर्माण के लिए 14 हज़ार से अधिक कर्मचारी और 1100 इंजीनियर मिलकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, जिससे अब तक 25 लॉन्चिंग गेन्ट्री स्थापित की जा चुकी है। किसी भी शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए देश में इस स्तर का निर्माण कार्य पहली बार देखने को मिल रहा है। दुहाई डिपो सहित प्राथमिक सेक्शन में ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है। जहां आरआरटीएस ट्रेनों के लिए स्टेबलिंग यार्ड का निर्माण किया जा रहा है। पैकेज एक और पैकेज 2 कॉरिडोर के विभिन्न खंडों पर मोबाइल फ्लैश वेल्डिंग प्लांट स्थापित किए गए हैं।