22B व 210B: फजीहतों का मुजाहरा, मेरठ छावनी स्थित बंगला 22B व 210B मेरठ कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के अफसरों की कारगुजारियों के चलते कैंट अफसर ही नहीं बल्कि रक्षा मंत्रालय की फजीहतों का भी मुजाहरा यानि प्रदर्शन है।
इंजीनियरिंग सेक्शन के अफसरों ने यदि ड्यूटी को सही अंजाम दिया होता तो न तो हाईकोर्ट के आदेश पर फाइलों में सील 22B में अवैध निर्माण होता न ही उसको ट्रेड लाइसेंस जारी करने जैसा बड़ा गुनाह अंजाम दिया जाता। जिसके चलते डायरेक्टर मध्य कमान को लखनऊ से मेरठ तक की दौड़ लगानी पड़ी और मेरठ कैंट के तमाम अफसरों की इंजीनियरिंग सेक्शन के एई व जेई की कारगुजारी के चलते शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। लेकिन इन सबके बावजूद हैरानी तो इस बात की है कि 22B के ट्रेड लाइसेंस कांड के बाद कमांडर के 22B को सील लगाने के आदेशों को लेकर भी फिलहाल गंभीरता नजर नहीं आ रही है। जानकारों का कहना है कि इसमें हैरानी जैसा कुछ नहीं, कैंट प्रशासन अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए 22B के मालिक को अदालत की मार्फत बचाव के रास्ते तलाशने का भरपूर मौका दे रहा है। वर्ना क्या वजह है कि पूर्व की तर्ज पर आर्मी की मदद से 22B को लेकर किए गए गुनाहों को धोने के लिए वहां सील लगा दी जाती। जानकारों की मानें तो यदि सील लगाई तो फिर लेनदेन की कलई खुल जाने का भी बड़ा खतरा है। इसलिए 22B पर सील लगाने के फिलहाल आसार नहीं। इसके इतर 210B: की बात की जाए तो इस बंगलों में ध्वस्तीकरण के बीच में अटकी कार्रवाई के विरूद्ध पीआईएल की बात किसी से छिपी नहीं है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं कि पीआईएल दायर कर दी गयी है या दायर की जानी है। लेकिन यह कन्फर्म है कि 210B: के ध्वस्तीकरण के आदेश के इतर आधे अधूरे ध्वस्तीकरण के खिलाफ पीआईएल कोर्ट में लगनी है। इसकी अटकलों के बीच कैंट बोर्ड का मुनादी के बाद यूटर्न लेना ऊंगलियां तो उठेंगी ही। बोर्ड प्रवक्ता से संपर्क का प्रयास किया, उन्होंने फोन नहीं उठाया।