थाड़ो री बिहारी यमुना तट पे मत..

थाड़ो री बिहारी यमुना तट पे मत..
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थाड़ो री बिहारी यमुना तट पे मत.., श्री हरि कीर्तन मन्दिर घण्टाघर मेरठ के द्वारा जगदीश मण्डप में चल रही भव्य रासलीला के छठें दिवस पर पं0 श्री कैलाशचन्द शर्मा के द्वारा बाल लीला पनघट वैद्य का बहुत रसमयी वर्णन किया गया। ‘‘आज थाड़ो री बिहारी यमुना तट पे मत जाइयो री अकेली कोई पनघट पे। मुकुट लकुट वृकुटी की मटक मन गयो है अटक कोई पीले पट पे।।’’ छठ पर्व सूर्य पूजा के लिये राधा रानी जल भरने पनघट पर गई बृज की गोपियों के साथ मंगल कामनाओं के लिये, बस वहीं श्यामसुन्दर से भेंट हो गई, वहां सखियों में शर्त लग जाती है सखी जिद करती है मैं इसी घाट से जल भरूँगी लेकिन श्यामसुन्दर मना करते हैं। नाना प्रकार के प्रयासों के बावजूद भी सखी किसी तरह से जल को भरके ले जाती और पनघट से श्यामसुन्दर की बाँसुरी के द्वारा वह प्रेम रोग से पीड़ित हो जाती है। तत्पश्चात् श्यामसुन्दर स्वयं वैद्य का स्वरूप बनाकर सखी को ठीक करने के लिये आते हैं। यह हास्य-विनोद से परिपूर्ण भगवान की बाल लीला है। इस अवसर पर गिरधारी लाल आहूजा, पवन आहूजा, पवन अरोड़ा, नीरज नारंग, धर्मेन्द्र अरोड़ा, लोकेश खुराना, धर्मवीर नारंग, प्रदीप आहूजा आदि उपस्थित रहे। सभी भक्तों ने श्रीधाम वृंदावन अधिष्ठात्री देवी श्रीराधा रानी और श्रीकृष्ण बांके बिहारी जी की लीलाओं का आनंद लेते हुए धर्म लाभ कमाया।

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