खारिज अपीलों पर कार्रवाई कब, मेरठ छावनी क्षेत्र में कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनिरयरिंग सेक्शन की कारगुजारियों के चलते किए गए अवैध निर्माणों की अपीलें खारिज होने के बावजूद उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की गयी। छावनी क्षेत्र में अवैध निर्माणों के करीब एक हजार ऐसे मामले हैं जिनमें नोटिस के बाद अवैध निर्माण करने वाले पक्ष ने कैंट बोर्ड के नोटिस के खिलाफ मध्य कमान लखनऊ स्थित प्रधान निदेशक व जीओसी इन चीफ के यहां अपील की थी। एक अरसे पहले ये तमाम अपीलें खारिज कर दी गयीं। नियमानुसार होता यह है कि जब मध्य कमान लखनऊ में बैठे उच्च पदस्थ अधिकारी के स्तर से अपील खारिज कर दी जाती है तो उसके बाद कैंट बोर्ड प्रशासन संबंधित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने ने की कार्रवाई करता है। यह कार्रवाई इंजीनियरिंग सेक्शन के निर्देश में होती है, लेकिन लगता है कि कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनियरिंग सेक्शन के एई पीयूष गौतम जीओसी मध्य कमान और प्रधान निदेशक रक्षा संपदा के स्तर से जो अपीलें खारिज हो चुकी हैं, उनका संज्ञान लेकर ध्वस्तीकरण या जो भी दूसरी माकूल कार्रवाई कैंट एक्ट के तहत की जा सकती हैं उनको करना जरूरी नहीं समझते। या फिर यह मान लिया जाए कि कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनियरिंग सेक्शन के बड़े साहब का कदम शायद जीओसी मध्य कमान और प्रधान निदेशक से ऊपर हो गया है, वर्ना ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता कि लगभग एक हजार अपीलें जो खारिज कर दी गयी हैं उन मामलों में बजाए सीधी कार्रवाई करने के कुंडली मारे बैठे हैं। दरअसल आमतौर पर यह माना जाता है कि छावनी क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर जितने भी अवैध कब्जे हो रहे हैं या फिर अवैध निर्माण होते हैं, वो सब कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की छत्रछाया में मोटा लेनदेने होने के बाद ही होते हैं। जानकारों का कहना है कि जिन मामलों में लेनदेन हो चुका है, उनके खिलाफ भला कैसे कार्रवाई की जा सकती है। भले ही मध्य कमान से अपील खारिज ही क्यों न हो गयी हो। @Back Home