कैंट का निगम मर्ज हुआ शुरू, यूपी मेंं अभी इंतजार है, लेकिन उत्तराखंड राज्य में कैंट के कुछ इलाकों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल मसलन मर्ज करने का काम शुरू करा दिया गया है। इसको लेकर कृत कार्रवाई से अवगत कराने को डीएम अल्मोडा ने एक पत्र सचिव शहरी विकास अनुभाग उत्तराखंड शासन देहरादून को पूर्व में प्रेषित किया है। इसी प्रकार की कार्रवाई महाराष्ट्र राज्य में भी नागरिक प्रशासन स्तर से शुरू हो गयी है। इसको लेकर एक पत्र उप सचिव महाराष्ट्र शासन सुशीला पवार ने राज्य के नागरिक प्रशासन आयुक्तों को भेजा है। उत्तराखंड़ राज्य में अल्मोडा जनपद के रानीखेत के एसडीएम ने जो रिपोर्ट डीएम अलमोडा को भेजी है उससे डीएम अलमोडा ने उप सचिव शहरी विकास अनुभाग उत्तराखंड को अवगत करा दिया है। महाराष्ट्र व उत्तराखंड़ में इस आश्य की कार्रवाई के बाद माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश समेत देश की तमाम राज्यों में स्थित कैंट बोर्ड के कुछ हिस्से संबंधित स्थानीय निकाय क्षेत्र में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। हालांकि जहां तक कैंट बोर्ड की राजनीति में कैरियर बनाने वालों की बात है तो उनमें से ज्यादातर कैंट के इलाकों को नागरिक प्रशासन के आधीन किए जाने से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि इससे जहां कैंट क्षेत्र का पुराना एतिहासिक स्वरूप समाप्त हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर जो इलाके स्थानीय निकायों में मर्ज किए जाएंगे उनमें विकास के कामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। इसके अलावा इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वो कर्मचारी होंगे जो कैंट बोर्ड में वर्तमान में संविदा पर काम कर रहे हैं। इनके एक बार फिर से बेरोजगार होने का संकट आसन्न है। क्योंकि जब कैंट बोर्ड के नागरिक क्षेत्र ही स्थानीय निकायों में मर्ज हो जाएंगे तो फिर वहां काम करने वाले कर्मचारियों की जरूरत कैंट बोर्ड प्रशासन को नहीं रह जाएगी। देश भर की यदि 62 छावनियों की बात की जाए तो लाखों की संख्या में दैनिक वेतन भोगी या संविदा पर कर्मचारी काम करते हैं। उनका भविष्य क्या होगा, इसको लेकर कोई भी चर्चा अभी नहीं की जा रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।