आज भी हरे हैं हिंसा के जख्म, सीएए और एनआरसी के विरोध में 20 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा के जख्म आज भी ताजा हैं। इस हिंसा में छह की मौत हुई थी, हालांकि सिस्टम ने पांच की मौत स्वीकार की थी। इनमें मेरठ के रहने वाले मोहसिन, आसिफ, जहीर, आलिम और दिल्ली के आसिफ के रूप में की गई थी। सीएए को लेकर एक बार फिर से हलचल है। साल 2019 में जिन्होंने अपनों को खो दिया सीएए का नाम आते ही उनके घाव फिर से हरे हो जाते हैं। उस हिंसा की सबसे बड़ी और अहम बात यह थी कि हिंसा पर उतारू भीड़ के पीछे जो भी था, उसका चेहरे से आज तक सरकारी ऐजेन्सियां नकाब नहीं उतर सकी हैं। वो कौन था जिसने हिंसा को भड़काया और उस हिंसा में मेरठ के रहने वाले मोहसिन, आसिफ, जहीर, आलिम और दिल्ली के आसिफ की मौत सीधे गोली मारे जाने से हो गयी।
सब कुछ पूर्व नियोजित था
20 दिसंबर की हिंसा को वो मनहूस दिन आज भी जहन में ताजा है। उस दिन सीएए के विरोध में शहर में हुआ दंगा हुआ था। बवाल पूरी तरह पूर्व नियोजित नजर आता था। इसके लिए पूरी तैयारी के साथ बवाली सड़कों पर उतरे थे। तब कुछ सुरक्षा ऐजेन्सियों ने बताया था कि हिंसा कराने के लिए संभवत: भाड़े के लोग बुलाए गए थे। बाहरी लोग भी इस बवाल के पीछे थे, जो आगजनी, पथराव और फायरिंग आदि के लिए पूरी तैयारी के साथ आए थे।
मिल गया था इनपुट
तब हुए बवाल का इनपुट पुलिस-प्रशासन के पास भी था। लेकिन बवाली पुलिस फोर्स पर हावी नजर आए। पहले से इनपुट मिल जाने के बाद भी तब के अफसर काबू नहीं कर पाए थे। अचानक ही जुमे की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने की तैयारी दो दिन से चल रही थी। पुलिस-प्रशासन ने भी इसे लेकर एक वर्ग विशेष के जिम्मेदार लोगों से संपर्क साधते हुए विरोध प्रदर्शन न करने के लिए बैठकें की थीं। लेकिन इन सबके बीच लगातार इनपुट मिल रहा था कि एक बड़ा वर्ग जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन करेगा। हापुड़ रोड और हापुड़ चौराहा से भूमिया पुल के बीच तथा कोतवाली क्षेत्र में घंटाघर आदि क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन होगा।
देखते ही देखते फैल गयी थी हिंसा की आग
वो दिन बीस दिसंबर का था जब देखते ही देखते हिंसा ने शहर के एक खास हिस्से को चपेट में ले लिया। आगजनी और फायरिंग शुरू हो गयी। हापुड़ रोड पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई। दोपहर में दो बजे के बाद अचानक सड़कों पर फैलना शुरू कर दिया था। । भीड़ ने नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ना शुरू किया। इस दौरान इनके पास पत्थर और लाठी डंडे तो मौजूद थे ही, हाथों में पेट्रोल से भरी बोतलें और तमंचे, पिस्टल आदि हथियार भी थे। उपद्रवियों ने सीधे फायरिंग के बीच आगजनी और पथराव शुरू कर दिया। अचानक हुए इस हमले से पुलिस बल एक बार तो उल्टे पांव दौड़ पड़ा और जैसे तैसे जहां मौका मिला, खुद को सुरक्षित किया।
बाहरी लोग भी थे मौजूद