आबादी 25 लाख सफाईकर्मी तीन हजार, नगर निगम क्षेत्र मेरठ की आबादी पच्चीस लाख से ज्यादा। इतनी बड़ी आबादी वाले महानगर की साफ सफाई के लिए यदि सफाई कर्मचारियों की बात की जाए तो कुल तीन हजार हैं। इनमें से भी हर माह दस कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। जब इतना बुरा हाल है तो शहर की समुचित सफाई और बारिश में जल भराव न हो यह सोचना भी बेमाने होगा। नौबत यही तक नहीं है। ये सफाई कर्मचारी भी अब अंदोलन की राह पर हैं। स्थानीय निकाय सफाई मजदूर संघ उत्तर प्रदेश के महामंत्री कैलाश चंदोला ने बताया कि सफाई कर्चारियों की कुछ मांगे हैं, इन मांगों को लेकर निगम प्रशासन की अनदेखी से सफाई कर्मियों में जबरदस्त नाराजगी है। यदि मांगें नहीं मानी गयीं तो आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। कैलाश चंदोला ने खुलासा किया कि ईद पर सफाई कर्मियों के आंदोलन की आशंका के चलते ही 7 जुलाई हो होने वाली नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक को टाला गया है। यह बैठक अब 14 जुलाई को होने की बात कही जा रही है, लेकिन यदि मांगों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया तो फिर आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं, इसकी पूरी जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी। कैलाश चंदोला ने बताया कि मांगों में समान काम समान वेतनमान और सबसे बड़ी मांग निगम की महिला सफाई कर्मियों के लिए हैं जो डयूटी पर जाने के लिए तडके तीन बजे घर से निकलती हैं। उन्हें पांच बजे डयूटी पर पहुंचना होता है। जो महिला घर से तीन बजे डयूटी के लिए निकल रही है वह न तो अपने बच्चों को स्कूल भेज सकती है और न ही परिवार को नाश्ता या खाना दे सकती है। नगर निगम प्रशासन का यह महिला सफाई स्टाफ पर सबसे बड़ा अत्याचार हैं। तमाम महिला सफाई स्टाफ का इस आदेश ने जीवन जहनुम बनाकर रख दिया है। इसको लेकर एक ज्ञापन भी बीते दिनों दिया गया। ज्ञापन देने वालों में अध्यक्ष कमल मनोठिया, रविन्द्र वैद्य सुंदर लाल, राजू, नरेश वैदय, कैलाश चंदोला आदि भी शामिल रहे।