गबन की जांच के बजाए अफसर खेल रहे फाइल रैफर-रैफर

जांच के बजाए अफसर रैफर कर रहे गबन की फाइनल
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गबन की जांच के बजाए अफसर खेल रहे फाइल रैफर-रैफर,

-आरटीआई में सौलाना ग्राम पंचायत में खरीद के नाम पर  सचिव के खेल का खुुलासा

-जांच रिपोट के बजाए डीएम के आदेश पीडी, बीडीओ, एसडीएम की टेबल ही हैं घूम रहे

मेरठ की सोलाना ग्राम पंचायत में कथित रूप से अंजाम दिए गए हजारों के राजस्व गबन की जांच कर रिपोर्ट सबमिट करने के बजाए पिछले दो साल से इससे जुड़े अफसर केवल फाइल रैफर कर रहे हैं। जबकि यह मामला आईजीआरएस पोर्टल के बाजरिये सीएम कार्यालय के संज्ञान में भी ला दिया गया है। उसके बाद भी गबन के इस मामले को लेकर मेरठ प्रशासन के अफसर कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साक्ष्यों के साथ की गयी शिकायत की जांच कर कसूरवारों की सजा मुकर्र करने के बजाए अभी फाइल ही रैफर करने का खेल चल रहा है।

यह है पूरा मामला

परतापुर क्षेत्र के गांव सौलाना की ग्राम पंचायत में साेलाना निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरटीआई के जरिये ग्राम पंचायत में बैट्री इनवर्टर व गांव में करायी गयी फॉगिंग में कुल व्यय का ब्योरा मांगा। ग्राम पंचायत के सचिव ने जो ब्यौरा आरटीआई के जवाब में दिया था तथा वेबसाइट पर जो कैश की डिटेल मौजूद थी उसमें भारी भरकम रकम का अंतर पाया गया। बकौल मामले को डीएम के संज्ञान में लाने वाले मुस्तफा ने बताया कि 2021 ग्राम पंचायत के तत्कालीन सचिव अरूण से जो रिकार्ड खरीद का मांगा गया था वह साल 2022  में आरटीआई के तहत दिया गया। इसमें बताया गया कि बैट्री इनर्ग्टर की खरीद 32,500 में की गयी, जबकि सरकारी वेवसाइट पर जो ब्योरा था उसमें बैट्री इन्वर्टर की कीमत 63,300 के लगभग दर्शायी गयी थी। आरटीआई में फागिंग का व्यय 54, 257 के करीब दर्शाया गया जबकि वेबसाइट पर इस मद में 1.29 लाख से ज्यादा के बाउचर का पेमेंट लिया गया दर्शाया गया।  तमाम साक्ष्यों के साथ 28 मार्च 2022 को डीएम कार्यालय में शिकायत दे दी गयी।

जांच के नाम पर खेल का खुलासा

-इस मामले की शिकायत और डीएम के जांच के आदेश के बाद इस मामले में जांच के नाम पर अफसरों ने जो खेल शुरू किया वो बादस्तूर अभी जारी है। आरटीआई एक्टिविस्ट बताते हैं कि 28 मार्च 2022 को  डीएम कार्यालय में दिए गए शिकायती पत्र पर  21 अप्रैल 2023 को परियोजना निदेशक सुनील कुमार, तकनीकि सहायक वीरेन्द्र कुमार व सहायक अभियंता ड्रेनेज  प्रथम को तीन दिन के भीतर जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए। लेकिन आख्या का इंतजार करते रहे, आख्या नहीं भेजी गयी।

-1 जुलाई 2023 को तहसील दिवस के मौके पर आरटीआई एक्टिविस्ट एक बार फिर डीएम के सामने पेश हुए और मामले की याद दिलाते हुए एक और शिकायती पत्र प्रस्तुत कर दिया। तहसील दिवस पर दिया गया शिकायती पत्र सीएम के आईजीआरएस पोर्टल पर भी अपलोड हो गया। 1 जुलाई 2023 को जो शिकायती पत्र दिया गया था वह पुन पीडी को जांच के लिए अग्रसरित कर दिया गया, लेकिन इस बार भी जांच आख्या नहीं भेजी गयी। 14 जुलाई 2023 को सीएम पोर्टल ने फीड बैक मांगा तो पीडी के स्तर से कहा पंद्रह दिन मे आख्या भेजने की बात कही गयी, लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि इसके बाद भी आख्या नहीं भेजी गयी।

-4 अगस्त 2023 को डीएम तहसील दिवस पर पहुंचे थे तो आरटीआई एक्टिवस्ट दोबारा अपनी बात को लेकर सामने पेश हो गए और एक बार फिर मामले का संज्ञान दिलाते हुए प्रार्थना पत्र प्रेषित कर दिया।  एक सप्ताह में जांच के आदेश कर अग्रसरित कर दिया गया,  पीडी ने सीएम के आईजीआरएस पोर्टल पर एक सप्ताह में आख्या डीएम को भेजने की बात कही, बकौल मुस्तफा लेकिन इसके बाद भी पीडी ने जांच आख्या नहीं भेजी।

-16 सितंबर को आरटीआई एक्टिविस्ट एक बार फिर तहसील दिवस पर डीएम के सामने पेश आ गए और उनकी शिकायत पर आख्या न आने का पूरा माजरा बता दिया। इस बार जांच के आदेश बीडीओ के लिए किए गए, लेकिन बीडीओ ने फाइल पर मामले की जांच पीडी कर रहे हैं टीका अंकित कर फाइल वापस भेज दी। इस बीच सीएम पोर्टल से फीड बैक मांगा गया तो आरटीआई एक्टिविस्ट ने मामले को रैफर-रैफर किए जाने के खेल बात बता दी।

-6 अक्तूबर को आरटीआई एक्टिविस्ट को पता चला कि उनकी शिकायत की जांच अब एसडीएम सदर को भेज दी गयी है। आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि जब उसने पडताल की तो पता चला कि एसडीएम कार्यालय ने फाइल पर टीका अंकित किया की पीडी मामले की जांच कर रहे हैं। मुस्तफा का कहना है कि उसको नहीं पता कि जो ग्राम पंचायत में राजस्व के जिस घोटाले की शिकायत उसने की है, उसकी फाइल फिलहाल किस अफसर की टेबल व किस हाल में है।
सीएम पोर्टल लगातार मांगा रहा फीड बैक

कथित राजस्व घोटाले की शिकायत को लेकर एक ओर सीएम का आईजीआरएस पोर्टल लगातार फीड बैक मांग रहा है, वहीं दूसरी ओर जांच के नाम इस मामले से जुड़े अफसर जो खेल कर रहे हैं वो सबके सामने हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब डीएम के आदेश के बावजूद जांच के नाम पर रैफर-रैफर खेला जा रहा है तो फिर सामान्य जन द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की शिकायतों का क्या हश्र होता होगा, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

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