एम्बुलेंस में मरीज नहीं सांप-बिच्छू

एम्बुलेंस में मरीज नहीं सांप-बिच्छू
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एम्बुलेंस में मरीज नहीं सांप-बिच्छू, -बदलहाल सीएचसी एम्बुलेंस का कब्रिस्तान-  जनपद मेरठ  की जानी के पांचली खुर्द स्थित बदहाल सीएचसी(सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ) स्वास्थ्य विभाग के कंडम हो गए एक करोड़ से ज्यादा कीमत के आंके जा रही एम्बुलेंस के कब्रिस्तावन में तब्दील हो गयी है। यह सीएचसी केवल एम्बुलेंस का ही कब्रिस्तान नहीं बनी है। इसके कैंपस में स्टाफ के रहने के लिए तीन मंजिला बिल्डिंग में फ्लैट बनाए गए हैं। रखरखाव व सालों से रंगाई पुताई न होने के कारण  इन फ्लैटों की हालत भी बद से बदत्तर हो गयी है। जगह-जगह से दीवारों का सीमेंट उखड़ गया है। कई जगह से तो दीवारों से ईंट निकल कर गिर गयी हैं। हालत देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि सीएचसी कैंपस में स्टाफ के लिए बनाए गए ये फ्लैट खुद बीमार हैं। आसपास जो गंदगी पसरी हुई है, उसको देखकर यही कहा जा सकता है कि यहां जो भी रहेगा वह भी बीमार हो जाएगा। गांव वालों ने बताया कि इस सीएचसी का निर्माण मायावती की सरकार के दौरान हुआ था। जब तक मायावती की सरकार रही सब कुछ यहां ठीक रहा, सरकार के बदलते ही सीएचसी कैंपस के बुरे दिन शुरू हो गए।

एम्बुलेंस का कब्रिस्तान

सीएसची कैंपस में जहां स्टाफ के रहने के लिए फ्लैट बना गए हैं। कैंपस में ही उन फ्लैटों के पीछे वाले हिस्से में झाड़ियां उग आयी हैं। झाड़ियों के इस जंगल में स्वास्थ्य विभाग की जो एम्बुलेंस खराब हो जाती हैं। उनका डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है। लेकिन लेकिन वर्तमान जो हाल एम्बुलेंस का बना है उससे तो यही कहा जा सकता है कि यहां बीमार एम्बुलेंस का कब्रिस्तान बना दिया गया है। खराब बताकर जो एम्बुलेंस यहां खड़ी की गयी थी उनमें से ज्यादातर का सामान गायब बताया गया है। इनका सामान कौन निकाल कर ले गया इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है।

बिच्छु व सांपों के घर

झाड़ियों के बीच खड‍़ी इन एम्बुलेंस की पड़ताल के लिए इनमें भीतर जाना भी खतरे से खाली नहीं। आसपास के लोगों ने बताया कि कई उन्होंने इनमें से सांप व जहरीले बिच्छु निकलते देखे हैं। कई अन्य जहरीले जीव जंतुओं ने भी इसमें अपने घर बना लिए हैं। जो एम्बुलेंस कभी मरीजों को लाने जाने के काम आया करती थीं, वो जहरीले जीव जंतुओं का घर बनकर रह गयी हैं। न कोई इन्हें देखने वाला है और  नही कोई इनकी सुध लेने वाला है।

बदहाल है कैंपस

सीएचसी का पूरा कैंपस बदहाल है। पुताई रंगाई सालों से न होने की वजह से छतों पर जाले लग गए हैं। चमगादड़ों ने कमरों में घर बना लिए हैं। कमरों के आसपास पांच से छह फुट तक झाड़ियां उग आयी हैं। मरीजों के बैठने के लिए पत्थर की सीटें अपनी बदहाली के लिए सिस्टम को कोसते हुए नजर आ रही हैं। फ्टैटों में जाने वाला जीना भी बुरी तरह से क्षतिगस्त है। कमराें के पिछले हिस्से में सालों से सफाई व झाड़ियो कटाई न होने की वजह से वहां भी जंगल बन गया है। वहां जाना खतरे से खाली नहीं। लोगों ने बताया कि यहां जहरीले सांप घूमते रहते हैं। हालत उस वक्त ज्यादा खराब हो जाती है जब तेज हवाएं चलती हैं। यहां तेज हवाओं के कारण मिट्टी उड़कर फ्लैटों में रहने वाले परिवारों तक पहुंचती है।

कई कमरों में ताला

आसपास के लोगों ने बताया कि जब से सीएचसी बनी है तब से यहां कई ऐसे कमरे हैं जो आज तक खुले ही नहीं है। उनके गेट हमेशा बंद रहते हैं। कुछ पर ताला पड़ा हुआ है। भीतर सीलन की वजह से उनकी दीवारों से भी पपड़ी टूट-टूटकर नीचें गिर रही है। इन कमरों की छतों की हालत भी बद से बदत्तर हो गयी है। छते गिराऊ अवस्था में जा पहुंची हैं। यदि इनकी शीघ्र ही सुध नहीं ली गयी तो यह खंडहर में तब्दील हो जांएगी।

यूज करने लाॅयक नहीं टॉयलेट

सीएचसी परिसर में जो टायलेट बने हैं वो इस लायक नहीं है कि उन्हें कोई चूज करे। टॉयटेट काे यूज करने की जरूरत नहीं, यदि आप सफाई पसंद हैं तो वहां पसरी गंदगी भर देखने से बीमार हो जाएगे। टॉयलेट की दीवारों पर मारी गयी पान की पीक बता रही हैं कि इनकाे यूज करने वालों में कतई भी सहूर नहीं है। भले ही वो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हों, डाक्टर हो या फिर यहां आने वाले मरीज और उनको लाने वाले तिमारदार। टॉयलेट की हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके दरवाजे तक उखाड़ लिए गए हैं। फर्श टूटा हुआ है। गंदगी देखकर इन्हें यूज करने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं।

सब कुछ चंगा जी

सीएचसी का जो अस्पताल है वहां सब कुछ ठीक है। मरीज प्रतिदिन देखे जाते हैं। ओपीडी भी नियमित रूप से लगती है। मरीजों को लौटाया नहीं जाता। स्टाफ ठीक काम कर रहा है। डा. महेश चंद्रा सीएचसी प्रभारी

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