सस्पेंशन पर डीएम व बीएसए से मांगा जवाब

सस्पेंशन पर डीएम व बीएसए से मांगा जवाब
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सस्पेंशन पर डीएम व बीएसए से मांगा जवाब,  मेरठ/ शहर के प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा की प्रधानाध्यापक फौजिया रहमान को सस्पेंड करना बीएसए के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा सचिव लखनऊ, डीएम मेरठ व बीएसए तथा बीईओ से जवाब तलब कर लिया है। गुरूवार को जब कोर्ट के आदेश मेरठ पहुंचे तो शिक्षा विभाग के अफसरों में हड़कंप मच गया। फोन घनघनाने शुरू हो गए। मामले के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद इसके स्थानी स्तर पर भी तूल पकड़े जाने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीएसए कार्यालय के सूत्रों की यदि बात करें तो करीब दर्जन भर और ऐसे टीचर हैं जिन्होंने अपने ऊपर हुई कार्रवाई के विरूद्ध हाईकोर्ट में दस्तख दी है।
यह है पूरा मामला


प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा के छह कमरों में से चार कमरों में ताला बंद किए जाने व बच्चों के निपुण न होने एवं स्कूल की शिक्षा व्यवस्था खराब होने व मिड डे मील का वितरण न होने के आरोप में प्रधानाध्यापक फौजिया रहमान को बीएसए के द्वारा किए गए निलंबन आदेश व अन्य स्कूलों में संबंध किए जाने के आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के समक्ष बहस में बताया कि याची पिछले कई सालों से प्रधानाचार्य के रूप में प्राथमिक विद्यालय पदमपुरा नगर क्षेत्र मेरठ में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है । समय-समय पर निरीक्षण पंजिका रजिस्टर में भी संतोषजनक व अच्छा होने होने की पुष्टि अधिकारियों के द्वारा किया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र ने अपने निरीक्षण में बच्चों की उपस्थिति पूरी न होने व शिक्षा का स्तर खराब होना, शिक्षक डायरी न भरा जाना, छात्रों के नामांकन में भी लापरवाही, शिक्षण कार्य में विद्यालय का स्तर सही न होना व बच्चों के निपुण न होने का आरोप लगाते हुए याची के विरुद्ध निलंबन आदेश पारित कर अन्य विद्यालय कासमपुर में  20 फरवरी 24 को संबंध कर दिया गया, जबकि याची अभी अपने मूल विद्यालय पदमपुरा में अपना दायित्व का निरवहन कर रही है और शासनादेश के अनुसार याची को मूल विद्यालय से अन्यत्र कहीं सम्बद्ध नहीं किया जा सकता है। याची ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्वयं के पैसे से स्कूल के दरवाजे, दीवारों ,नल पानी, फर्नीचर आदि की व्यवस्था कराई है। इसके बावजूद गलत आरोप लगाकर याची को निलंबन किया गया। याची ने पूर्व में अपने अधिकारियों को भी अवगत कराया था कि मिड डे मील की क्वालिटी खराब होने के कारण कुछ बच्चे खाना नही खाते। लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नही हुई। 1 से कक्षा 5 तक के बच्चों को मात्र 2 कमरो में बैठा कर पढ़ाने की जिमेदारी दी गई जबकि 4 कमरे 2017 से जर्जर होने के कारण बीएसए ने कमरों में ताला बंद करा दिया। इस कारण एक बच्चे के माता पिता ने अपना नाम भी विद्यालय से कटवा लिया। बीएसए को आॅनलाइन शिकायत किए जाने पर बीएसए ने स्वयं यह माना है कि स्कूल में कुल 6 कमरों में चार कमरे जर्जर हैं, जिसमें शासन के निर्देश पर ताला बंद किया गया है। मात्र दो कमरों में 2017 से एक से कक्षा 5 तक के बच्चों का पढ़ाई का कार्य जारी है और स्कूल की ऐसी अव्यवस्था का आरोप याची पर लगाकर निलंबन व अन्य विद्यालय से सम्बद्ध कर दिया। न्यायालय ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी, बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारी एवं सचिव बेसिक शिक्षा,लखनऊ उत्तरप्रदेश सरकार से 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। और कहा है कि शासनादेश के अनुसार याची को अपने मूल विद्यालय पदमपुरा से अन्यत्र ट्रांसफर करना कानून की नजर में गलत है और याची के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही को जल्द नियमानुसार पूरा करने व याची को जांच में सहयोग करने का आदेश देते हुए 4 सप्ताह में जबाब तलब किया है ।

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