अवैध निर्माण: एनजीटी व कोर्ट की सख्ती के बाद भी नहीं टूट रही अफसरों की नींद, एक ओर मेरठ महायोजना 2031 की धमाकेदार लॉचिंग की तैयारी दूसरी ओर महानगर में तेजी से पांव पसार रही अवैध कालोनियां और अवैध निर्माण। यह स्थिति तो तब है जब सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अवैध निर्माणों को लेकर सख्त है। यूं कहने को अवैध निर्माणों के खिलाफ प्राधिकरण प्रशासन की ओर से लगातार अभियान चलाए जाने के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन तेजी शहर के आउटर इलाकों में कुकरमुक्तों की तरह उग आयीं अवैध कालोनियां इन दावों की पोल खोलने को काफी हैं। ऐसा भी नहीं कि कार्रवाई कतई नहीं हुई है, लेकिन सवाल कार्रवाई की टाइमिंग को लेकर है।
शुरू में चुप्पी क्यों:-
प्राधिकरण प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों पर इस बात का कोई उत्तर नहीं कि जब कोई अवैध कालोनी काटी जाती है उस वक्त ही ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। यदि शुरूआत में ही सख्ती बरती जाए तो शायद भूमाफियाओं के लिए भी नजीर बन सके। आमतौर पर हो यह रहा है कि कोई सख्त मिजाज अफसर यदि मेरठ विकास प्राधिकरण में आ जाएं तब अवैध कालोनियों पर कार्रवाई होती है या फिर तब जब शासन का चाबुक चलता है अथवा मीडिया अवैध कालोनियों काे लेकर लगातार सुर्खियां परोसता है।
लगातार बढ़ रहा है अवैध कालोनियों का कुनवा
महानगर में अवैध कालोनियों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। इस बात की तसदीक प्राधिकरण की ओर से करीब चार माह पूर्व जारी की गयी 366 अवैध कालोनियों की सूची से की जा सकती है। दरअसल हो यह रहा है कि शहर में तेजी से पनप रही अवैध कॉलोनियों को रोकने में मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) के पसीने छूट रहे हैं। लगातार अभियान के बावजूद इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। अब एमडीए ने सर्वे के बाद सभी 366 अवैध कॉलोनियों की सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसकी जानकारी शासन को भी दे दी है। एमडीए के मुख्य द्वार पर लगाई गई स्क्रीन पर प्रसारण शुरू कर दिया गया। एमडीए ने हाल ही में ड्रोन से सर्वे किया था, जिसमें 301 अवैध कॉलोनी सामने आई थीं। एमडीए उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने जोनवार फिर से सर्वे कराया, जिसमें 366 अवैध कॉलोनियां उजागर हुईं। इतना ही नहीं एमडीए के मुख्य प्रवेश द्वार के बराबर में लगाई गई डिस्प्ले पर अवैध कॉलोनियों का ब्योरा लगातार स्क्रीन पर डिस्प्ले किया जाता रहा।
ध्वस्त होने के बाद फिर बन गईं कॉलोनियां
एमडीए की ओर से पिछले छह महीने में ही 123 अवैध कॉलोनियों को जमींदोज कर दिया गया। एमडीए की ओर से दी गई जानकारी में स्पष्ट भी किया गया है कि ध्वस्तीकरण किया जा चुका, लेकिन कई स्थानों पर फिर से कॉलोनी काटी जा रही हैं। एमडीए के अफसरों ने दावा किया था कि 50 करोड़ से अधिक की भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया। इससे एक बात तो साफ है कि भूमाफिया केवल खेतों में ही अवैध कालोनियां नहीं काट रहे हैं बल्कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर अवैध कालोनियां भी काटी जा रही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने गंभीर हैं। जोन डी में जिन प्रभावशाली भूमाफियाओं की कालोनियों को ध्वस्त किया गया था, उनमें से ज्यादातर में एक बार फिर काम शुरू कर दिय गया है। ग्राउंड जीरों पर पहुंचकर इसकी पुष्टि की जा सकती है।
हो चुके ध्वस्तीकरण के आदेश
अवैध रूप से बनायी गयी कालोनियों को लेकर जब फजीहत होनी शुरू हुई और मीडिया की मार्फत कारगुजारियां शासन तक पहुंचने लगीं तो आनन-फानन में एमडीए ने 366 अवैध कॉलोनियों का स्टेटस भी डाल दिया है। इसमें कई बड़े ग्रुप व नामी बिल्डरों की कॉलोनी शामिल हैं। 137 प्रकरण में जहां ध्वस्तीकरण के आदेश पारित कर दिए गए हैं तो 97 मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे ही 57 मामलों में जहां चालान की कार्रवाई की गई तो वहीं कुछ में हाइकोर्ट में मामले विचाराधीन हैं और कुछ में स्टे भी है।
प्रमुख अवैध कॉलोनियां
अंसल टाउन, मोदीपुरम- मदनपाल व समरपाल द्वारा 60 हजार वर्ग गज में बसाई कालोनी को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
गोल्ड कॉस्ट कॉलोनी रोहटा रोड- भूपेंद्र बाजवा व जितेंद्र बाजवा द्वारा 2200 वर्ग गज में बनाई गई, ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
द्वारिकापुरी के सामने सिटी गार्डन के पास नूर नगर रोड पर कुंवर दिलशाद अली की सात हजार वर्ग मीटर में बनाई कॉलोनी के 22 मई 2019 व 8 दिसंबर 21 को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
हरमन सिटी बागपत रोड- मुकेश सिंघल, शेर सिंह, राकेश सैनी द्वारा 10 बीघा व अन्य 9 बीघा में बन रही कॉलोनी को 20.7.19 व 31.8.19 को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
ईशापुरम फेस-2 सिखेड़ा रोड- अभिषेक चौहान द्वारा सात हजार वर्ग गज में कॉलोनी बनाने के मामले में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।
अमोलिक एन्क्लेव फेस-2 ग्राम जेवरी-नीरज मित्तल, व अखिलेश गोयल द्वारा 32 हजार वर्ग गज में बनाई जा रही कॉलोनी, 15 दिसंबर 2020 को ध्वस्तीकरण किया।
सनराइज कॉलोनी बागपत रोड-ऋषिपाल यादव द्वारा चार हजार वर्ग मीटर में बनाई जा रही कॉलोनी के लिए 2 सितंबर 22 को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
खाटूधाम कॉलोनी रोहटा रोड-जरनैल सिंह द्वारा 28 हजार वर्ग गज में बसाई जा रही कॉलोनी पर सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।
जामिया रेजीडेंसी बिजली बंबा बाईपास- दस हजार वर्ग मीटर में राहुल चौधरी तथा मौ. शादाब, हाजी सलीम व आलम द्वारा 2000 वर्ग मीटर में बनाई जा रही कॉलोनी के लिए 9 जून 2022 को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
एकता नगर रोशनपुर डोरली-कुलवीर सिंह द्वारा 4 हजार वर्ग गज में बसाई जा रही कॉलोनी को ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
उदयकुंज उदय सिटी पल्लवपुरम फेस-2, वासुपुन्य डव्लपर्स द्वारा 20 हजार वर्ग मीटर में बसाई जा रही कॉलोनी को 6 मई 2022 को ध्वस्त कर दिया गया व एक अन्य मामले में सुनवाई प्रक्रिया चल रही है।
शिवधाम कॉलोनी भूड़बराल- अरविंद सिंघल व अमित सिंघल द्वारा 6000 वर्ग गज में बनाई जा रही कॉलोनी को 14 अप्रैल 2021 में ध्वस्तीकरण आदेश पारित।
ड्रोन ने खोल दी एमडीए के दावों की पोल- 12,349 अवैध निर्माण चिन्हित
बीते वर्ष प्रदेश के विकास प्राधिकरणों की कालोनियों में अवैध निर्माणों को लेकर यूपी सरकार के आवास एवं शहर नियोजन विभाग ने एक सर्वे कराया था। जिसमें मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) अवैध निर्माण के मामले में पूरे प्रदेश में छठे पायदान पर था। मेरठ की इस स्थिति को देखते हुए शासन ने सख्त निर्देश जारी किए। जिसके बाद मेडा ने अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। चार माह के दौरान शहर में 12 हजार से अधिक अवैध निर्माणों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर ली गई। मगर ये सूची एमडीए के किसी अधिकारी की मदद से नहीं बल्कि ड्रोन कैमरे की मदद से तैयार की गई है।बीते वर्ष प्रदेश के विकास प्राधिकरणों की कालोनियों में अवैध निर्माणों को लेकर यूपी सरकार के आवास एवं शहर नियोजन विभाग ने एक सर्वे कराया था। जिसमें मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) अवैध निर्माण के मामले में पूरे प्रदेश में छठे पायदान पर था। मेरठ की इस स्थिति को देखते हुए शासन ने सख्त निर्देश जारी किए। जिसके बाद मेडा ने अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। चार माह के दौरान शहर में 12 हजार से अधिक अवैध निर्माणों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर ली गई। मगर ये सूची एमडीए के किसी अधिकारी की मदद से नहीं बल्कि ड्रोन कैमरे की मदद से तैयार की गई है।