आवारा पशुओं के उपाय बताए, गौशाला के अलावा और भी उपाय हैं आवारा पशुओं के : डा० अमित प्रदेश में बढ़ रही आवारा गोवंश की समस्या का समाधान केवल गौशाला ही नहीं बल्कि पशुओं में बाँझपन निवारण भी है। यह कहना है सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौधोगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डा० अमित वर्मा का । उन्होंने बताया कि पिछले कई शिविरों में पाया गया है कि क्षेत्र के पशुओं में प्रजनन क्षमता में गिरावट आ रही है जिसका मुख्य कारण खनिज तत्वों की कमी और परीजीवी संक्रमण है। पशुपालन को लाभकारी बनाने के लिए वर्ष में प्रति पशु एक बच्चा के लक्ष्य को प्राप्त करना बहुत जरूरी है। शनिवार को कृषि विवि द्वारा इफको तथा इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड द्वारा वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से शामली के ग्राम लांक में आधुनिक जांच सुविधाओं जैसे कि अल्ट्रासाउंड मशीन द्वारा पशुओं में बाँझपन निवारण हेतु पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कृषि विवि के कुलपति डा० आर० के० मित्तल के मार्गदर्शन में किया गया । अधिष्ठाता डा० राजवीर सिंह ने बताया कि वर्षा ऋतु में पशुओं का वाह्य परीजिवियों जैसे कि किलनी, मख्यियों इत्यादि से बचाव करना चाहिए क्योकि यह पशुओं को परेशान करने के साथ साथ कई गंभीर बीमारियों के वाहक भी होते है। शिविर में 230 से अधिक पशुओं का उपचार किया गया जिसमें बाँझपन व पशु का गर्मी में न आना, किलनी, जूं एवं कृमि संक्रमण, पाचन एवं कुपोषण प्रमुख समस्याएं पायी गयीं। शिविर में पशुओं को विटामिन और खनिज मिश्रण, कृमि नाशक, एंटीबायोटिक, दर्द निवारक, हॉर्मोन सहित कई आवश्यक बाँझपन की समस्या से सम्बंधित दवाएं नि:शुल्क वितरित की गईं। शिविर में डा० अमित वर्मा, डा० अरबिंद सिंह, डा० अजित सिंह, डा० आशुतोष त्रिपाठी, डा० नरेश चंद्रा, सुरेन्द्र उपाध्याय, डा० अफरोज, डा० सत्येन्द्र, कपिल, अर्जुन, आकाश आदि उपस्थित रहे । शिविर के आयोजन में क्षेत्रीय पशुचिकित्सा अधिकारी डा० सऊद हसन तथा गीता देवी, सुधीर उर्फ़ बिल्लू प्रधान सहित अन्य ग्रामीण पशुपालकों ने सक्रिय योगदान दिया। कार्यक्रम मेंं बड़ी संख्या में किसानों के अलावा ग्रामीण भी शामिल हुए।