सेटिंग है तो MDA से नक्शे को ना

RTI एक्टिविस्ट की जान को खतरा
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सेटिंग है तो MDA से नक्शे को ना, मेरठ विकास प्राधिकरण में सरकार से वेतन लेकर भूमाफियाओं से सांठगांठ रखने वाले जोनल अधिकारी व जेई से यदि आपकी सेटिंग है तो आपको मेरठ विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराने की कोई जरूरत नहीं है। आप बगैर नक्शा पास कराए भी अवैध रूप से कांप्लैक्स बना सकते हैं। आपका अवैध निर्माण ध्वस्त किया जाना तो दूर की बात मेरठ विकास प्राधिकरण से नोटिस तक नहीं मिलेगा। भले ही पूरे आवासीय क्षेत्र को कंकरीट के जंगल में बदल दीजिए। हरियाली का सत्यानाश कर दीजिए कोई पूछने वाला नहीं है। बस जोनल अधिकारी व जेई से सेटिंग अच्छी होनी चाहिए। उसके बाद यदि कोई आरटीआई एक्टिविस्ट आपकी शिकायत करता है और आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर शासन से कार्रवाई के आदेश आ जाते हैं तो आरटीआई एक्टिविस्ट की एमडीएम में जैसे ही नजर आए उसकी ठुकाई कर दीजिए। कोई आपको हाथ भी नहीं लगाएगा। भले ही पिटने वाला आरटीआई एक्टिविस्ट अरूण मारपीट मामले को लेकर थाने में तहरीर दे दे। जनपद के बड़े अफसरों से लेकर शासन तक जानलेवा हमले में कार्रवाई की गुहार लगाते रहे, आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला। एमडीएम में पिटाई कीजिए तो पूरा स्टाफ तमाशा तो देखेगा लेकिन पिट रहे आरटीआई एक्टिविस्ट को बचाने की जरूरत आपके सामने नहीं करेगा, क्योंकि सभी से सेटिंग पहले से है। ऐसे ही अवैध निर्माण एमडीए के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के दावों को मुंह चिढाते नजर आएंगे। किसी ने डरने या खोफ खाने की कोई जरूरत नहीं है। खुदा ना खास्ता कोई आरटीआई एक्टिविस्ट या मीडिया कर्मी अवैध निर्माणों पर एमडीए के अधिकारियों से सफाई मांगेगा तो उसका नंबर ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। यह बात अलग है कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त हिदायत है कि तमाम अधिकारी मीडिया कर्मियों के मोबाइल नंबर जरूर रिसीव करें। लेकिन जो हालात नजर आते हैं उससे तो यह लगता है कि एमडीए प्रशासन के जोनल अधिकारियों व जेई पर सीएम के आदेश लागू नहीं होते। (वीके गुप्ता की रिपोट)

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