बाबू ने फंसा दी अफसरों की गर्दन-कैसे पूरी हो जांच,
शिक्षा विभाग में सौ से ज्यादा नियुक्तियां हैं जांच के दायरे में
कायदे कानून ताक पर रखकर बीएसए के वरिष्ठ सहायक लिपिक पर नियुक्तियों का आरोप
मेरठ में बेसिक शिक्षा में की गयी सौ से ज्यादा नियुक्तियां की जांच अफसरों के लिए गले की फांस नजर आ रही है। दरअसल इस मामले में बीएसए के एक बाबू ने जिन नियुक्तियों की जांच की बात कही जा रही है उनमें अफसरों की गर्दन ही फंसा दी है। शिकायत करने वालों का कहना है कि जब खुद की गर्दन फंसी हो तो फिर अफसर से जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है। जांच रिपोर्ट का सभी को इंतजार है।
मठाधीश पर कौन डालेगा हाथ
हालांकि जिन के कार्यकाल में तमाम नियुक्तियां की गयी तथा जिसकी जांच की मांग शिक्षा क्षेत्र से जुड़े राधे श्याम कौशिक, भाजपा नेता मनोज कुमार अमानुल्लापुर व चर्च सिटी के रमेश गिल आदि की मांग पर शासन के निर्देश पर शुरू की गयी, उन तमाम नियुक्तियों से जुड़े अफसरों का यहां से तवादला हो चुका है, लेकिन आरोप है कि जांच के दायरे में आयी तमाम नियुक्तियों के पीछे बीएसए के जिस सहायक लिपिक का खेल बताया जा रहा है, उस पर हाथ डालने का साहस कोई नहीं कर सका है। हैरानी यहीं तक सीमित नही है।
नियुक्ति कराने वाले की तैनाती भी जांच के दायरे में
बेसिक शिक्षा में नियुक्तियों के इन तमाम खेलों का खुलासा करने वाले राधे श्याम व भाजपा नेता मनोज कुमार अमानुल्लापुर का कहना है कि उससे भी बड़ी हैरानी यह है कि जिस वरिष्ठ सहायक लिपिक का इन तमाम नियुक्तियों में हाथ है बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय मेरठ में खुद उसकी भी नियुक्ति जांच के दायरे में है। कायदे कानून की यदि बात की जाए तो बजाए बीएसए कार्यालय के उसकी सीट बीआरसी यानि ब्लॉक संसाधान सेंटर पर होनी चाहिए, लेकिन वह बैठते बीएसए आफिस में हैं।
विजय करन को भी सौंपा था पुलिंदा
बीते साल जून माह में जब महानिदेशक शिक्षा विजय करन आईएएस तीन मंडलों की समीक्षा को मेरठ आए थे तब उन्हें सौ से ज्यादा नियुक्तियों के घपले घोटाले की शिकायत का पुलिंदा सौंपदा गया था। तत्कालीन महानिदेशक शिक्षा को नियुक्तियों में धांधली की शिकायत करते हुए साक्ष्यों के साथ सौंपे गए पुलिंदे को मेरठ बेसिक शिक्षा में लिए बम सरीखा बताया था। इन सब में सबसे प्रमुख मामला जो बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के एक लिपिक के लिए मुश्किलें खड़ी करा सकता है।,
महानिदेशक से निष्पक्ष जांच की मांग
दरअसल चर्च सिटी जूनियर हाई स्कूल के प्रबंधक रमेश गिल (सेंट जोन्स के पूर्व प्रधानाचार्य) ने एक शिकायती पत्र मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा की मार्फत महानिदेशक शिक्षा को सौंपा था । साथ ही चर्च सिटी जूनियर हाई स्कूल के प्रबंधक ने इस पत्र में चर्च सिटी स्कूल द्वारा संचालित किए जाने वाले तीन स्कूलों ठठेरवाड़ा, अंदरकोट और सदर (मेरठ) की प्रधानाचार्यों द्वारा कथित रूप से अनर्गल आरोप लगाए जाने की शिकायत करते हुए पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग महानिदेशक शिक्षा से की। उनको शिकायती पत्र के साथ कुछ साक्ष्य भी उपलब्ध कराए गए। पत्र में बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नियुक्त प्रदीप बंसल (परिषदीय कर्मचारी) की नियुक्ति बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में साल 2001 में होने की जानकारी देते हुए अवगत कराया गया कि तत्समय प्रदीप बंसल टंकण अर्हता नहीं रखते थे। अत: उनकी यह नियुक्ति शासनादेश 1999 के विपरीत है।
चर्च सिटी के तीन स्कूलों की नियुक्तियां दायरे में
पत्र में आरोप है कि चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल अंदरकोट, सदर और ठठेरवाड़ा में 9 नियुक्तियों के साथ ही जनपद में करीब सौ नियुक्तियां पूरी तरह से अवैध व मानकों के विपरीत की गयी हैं। अनेक के प्रशिक्षण व अनुभव प्रमाण पत्र नौकरी के लिए फर्जी तक लगा दिए गए हैं। ऐसा ही मामला चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल सदर व अंदरकोट की प्रधानाचार्य का भी है। महानिदेशक को भेजे गए पत्र में अवगत कराया गया कि उक्त विद्यालय की प्रधानाचार्य की बीएड प्रशिक्षण योग्यता रोहतक से पत्राचार से है, जबकि शासनादेश वर्ष 2008 के अनुसार प्रधानाचार्य पद नियमित बीएड व जूनियर हाईस्कूल में पांच वर्ष का अनुभव अनिवार्य है। इसके अलावा पत्र में लिपिक प्रदीप बंसल पर चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधक ने कई अन्य गंभीर आरोप लगाए, जिनमें उनकी संपत्ति के आय से अधिक होने की बात कहते हुए शासन से जांच कराए जाने की भी मांग की है। सबसे गंभीर आरोप महिला टीचरों से चरित्र हनन कराए जाने तथा धर्मांतरण सरीखे आरोप लगाए जाने की बात कही है। रमेश गिल का कहना है कि इस सारे फसाद की वजह उनकाे बतौर प्रबंधक चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल में नियुक्त किए जाने के बाद उन्होंने जो लगत लोग फर्जी संस्था बनाकर काविज हो गए थे, उनको डिप्टी रजिस्ट्रार की जांच के बाद बाहर कर देने की वजह से ही ये तमाम घटक्रम घटित होने लगे थे। उन्होंने बताया कि शिक्षिकाओं ने धर्मांतरण सरीखे जो गंभीर अनर्गल आरोप उन पर लगाए थे तमाम जांचों के बाद वो झूठे पाए गए है और उन्हें जांच ऐजेन्सियों ने क्लीनचिट भी थमाई है। सबसे गंभीर तथ्य तो यह है कि ठठेरवाड़ा विद्यालय की टीचर पुष्पा देवी ने जो आरोप लगाए थे सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्होंने उस आरोप को निरस्त किए जाने का शपथ पत्र भी दाखिल किया। पत्र में ठठेरवाडा विद्यालय की श्रीमती क्लेरिंस व पूर्व प्रबंधक वेद प्रकाश शर्मा वेतन भगतान को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। ऐसे ही कई अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए महानिदेशक शिक्षा से जांच कराकर विभागीय कार्रवाई की भी मांग की गयी है।
विभागीय जांच के आदेश:
वहीं दूसरी ओर प्रदीप बंसल पर लगाए गए आरोपों को लेकर कई शिकायतें पहुंचने के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक गणेश कुमार ने विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदीप बंसल ने स्वीकार किया था कि विभागीय जांच की जा रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जांच के आदेश भाजपा नेता मनोज कुमार की शिकायत का संज्ञान लेने जारी किए गए हैं।
भाजपा नेता से मांगे साक्ष्य
बीएसए कार्यालय से 9 फरवरी 2024 को पत्र भेजकर भाजपा नेता मनोज कुमार अमानुल्लापुर से बीएसए के लिपिक प्रदीप बंसल के खिलाफ की गयी शिकायत के साक्ष्य मांगे गए हैं।
लिपिक से मांगा स्पष्टीकरण
बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ ने 30 जनवरी को पत्र जारी कर कार्यालय के वरिष्ठ सहायक लिपिक प्रदीप बंसल से मनोज कुमार द्वारा लगाए गए आरोपाें के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।