बगैर सूची जैन मंदिर चुनावों की बात

सल्तनत को मंदिर समिति का विरोध क्यों
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बगैर सूची जैन मंदिर चुनावों की बात, मेरठ सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के चुनाव की बात तो की जा रही है, लेकिन बगैर सदस्यों की सूची के चुनाव होंगे कैसे यह यक्ष प्रश्त डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड सोसाइटी को परेशान कर रहा है। यूं तो यह मंदिर 18वीं शताब्दी का माना जाता है। लेकिन यदि मंदिर की कमेटी की बात की जाए तो डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में साल 1771 जिसे सेठ शीतल प्रसाद जैन सारू स्मैलटिंग और उसके बाद साल 2003 मेरठ के थापर नगर दिनेश चंद जैन का तो उल्लेख मिला है। इस प्राचीन जैन मंदिर का अंतिम चुनाव साल 2914 में होना बताया गया है। हालांकि मंदिर के यदि संविधान की बात की जाए तो एक चुनाव का कार्यकाल तीन साल का होता है। यदि मंदिर के संविधान की बात की जाए तो वर्तमान में यह मंदिर पदाधिकारी विहिन है। यहां जो भी वतर्मान में खुद को पदाधिकारी प्रचारित कर रहे हैं, वो इस मंदिर के सदस्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। क्योंकि जिन पदाधिकारियों को सदस्यों ने साल 2014 के चुनाव में दायित्व दिया था, उनका वैधानिक रूप से कार्यकाल साल 2017 में पूरा हो चुका है। समाज के अनेक लोग मानते हैं जो लोग अब खुद को मंदिर का कर्ताधर्ता बता रहे हैं, उन पर कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह ता रही मंदिर के आखिर चुनाव की बात। डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय के सूत्रों की मानें तो एक बार फिर से साल 2003 के रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के प्रयास हैं। यानि  एक ही झटके में 18 साल के नवीनीकरण का प्रयास है। लेकिन सदस्यों की सूची नहीं दी गयी है। केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार बार-बार पारदर्शिता की बात करती है। योगी सरकार तो तो मंदिर सरीखे धर्म स्थलों को लेकर बेहद गंभीर भी है। क्या योगी सरकार का कानून इस मंदिर पर लागू नहीं होता। इस दौरान मंदिर में क्या दान की कितनी रकम आयी, कितना व्यय हुआ। दान की बात की जाए तो समाज के लोग तमाम आयोजनों पर दान व सोना दान देते हैं। लेकिन बड़ा सवाल तो सदस्यों की सूची है।

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