भारत से खाली हाथ लौटे पाकिस्तानी हिंदू, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान में पीड़ित हिंदुओं को भारत में नागरिकता दिए जाने के दावे की पोल उस वक्त खुल गयी जब नागरिकता की आस में आए आठ सौ पाकिस्तानी हिन्दू नामाम्मीद होकर वापस लौट गए। इसके लिए भाजपा सांसद सुब्रहमणयम स्वामी ने भी केंद्र सरकार पर तंज कसा है. ये हिन्दू पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए से भारत आए थे, लेकिन भारतीय नागरिकता हासिल करने में असमर्थ रहने के बाद साल 2021 में अपने देश लौटना पड़ा. एक रिपोर्ट के अनुसार, यह 2018 में गृह मंत्रालय (एमएचए) के प्रयासों के बावजूद और फिर 2021 में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसी, जैन और बौद्धों को भारत की नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अनुमति देने के बावजूद ऐसा हुआ. ‘एक बार जब वे (पाकिस्तानी हिंदू) लौट जाते हैं तो उन्हें पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा भारत को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मीडिया के सामने उन्हें पेश किया जाता है और यह कहने को मजबूर किया जाता है कि उनके साथ यहां (भारत में) बुरा बर्ताव किया गया.’ इसके लिए सरकार व सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इस पूरे घटनाक्रम को सीएए की विफलता से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब यदि बात पाकिस्तान में हिन्दुओं के हालात पर की जाए तो वो वाकई बद से बदत्तर है। हिन्दू युवतियों का जबरन धर्मांतरण के लिए अपहरण और विरोध पर उनकी हत्या तक कर देना यह पाकिस्तान में आमबात है। इमरान खान सरकार के कार्यकाल में हालांकि इस प्रकार की घटनाओं पर सख्ती की गयी थी, लेकिन आशंका है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं के हालात एक बार फिर से बद से बदत्तर होने जा रहे हैं। नागरिकता की आस में आए इन हिन्दुओं के वापस लौटने का जिम्मेदार कौन है, यह तो अभी स्पष्ट नहीं लेकिन भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रहमण स्वामी ने इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कहते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।